भारतीय फासीवाद की शुरुआत होने की
भीडके मानसशास्र की समझ रहना कइयों के लिए विशेष रूप से बहुत ही फायदेमंद होती है ! और मुख्यतः जो लोग सत्ता की राजनीति के खिलाडी होते हैं, और जो बारह महीनों चौबीसों घण्टे समूची जनता के दिलों-दिमाग पर राज करने हेतु ! उनके दिलों को जितने हेतु ! सतत प्रयास करते रहते हैं ! और इसी कारण दुनिया के तथाकथित यशस्वी लोग धर्म प्रवर्तक,विभिन्न साम्राज्यों के संस्थापक, विभिन्न विचारों के निष्ठावान अनुयाइयों और सभी मशहूर राजनीतिज्ञ यह सभी बहुत बडे मानसशास्र के जानकार लोग रहे हैं ! और भीड की रचनाको जन्मतः इन्हें समझने में आसानी होती है ! और उसीके बल पर वह आहिस्ता -आहिस्ता अपना जादू इस भीड़ के उपर करने मे कामयाब होते हैं !
और सबसे ज्यादा जरूरत राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने वाले लोगों के लिए ! यह पूर्वशर्त होती है ! कि जो जनभावनाओ पर अपनी पकड मजबूत करने मे कामयाब होते हैं ! वही भीड पर कब्जा करके सत्ता पर भी कब्जा कर सकते हैं !
जबरदस्त इच्छाशक्ति यह हिटलर के प्रमुख गुणोंमेसे एक था ! और उसके आसपास पैदा हुए लेनिन,स्टालिन, मुसोलिनी और माओ इसी जबरदस्त इच्छाशक्ति से सराबोर लोग थे ! और भारत में भी बीसवीं सदी में ! यानी सौ साल होने मे सिर्फ दो साल बांकी है ! राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना ! हूबहू हिटलर के स्टाॅर्म स्टुपर्स और मुसोलिनी के बलाल नाम के स्वयंसेवक संघ की स्थापनाके तर्जपर की गई है ! और इक्कीसवीं सदी के शुरूके पहले गुजरात नाम के राज्य में पर्याप्त मात्रा में जर्मनी और इटली की तर्ज पर एक विशेष समुदाय के लोगों का नरसंहार आज से एक सप्ताह बाद इक्कीस साल होने जा रहे हैं ! सुनियोजित तरीके से करने का प्रयोग किया गया है ! और वही से गुजरात माडल नाम का शब्द गत इक्कीस साल से लगातार बोला जा रहा है ! अरबी समुद्र तट के पस्चिमी भारत के गुजरात से आज बंगाल की खाड़ी के पस्चिमी बंगाल में 2021 के शुरू से ही खुब जोर शोर से बोला जा रहा है कि गुजरात माडल गुजरात माडल !
हिटलर चॅन्सलर होने के सौ साल पहले ! बर्लिन विश्वविद्यालय के अपने भाषण में, हीगेलने दुनिया के इतिहास में ! आने वाले दिनों मे स्थान निर्माण करने वाले व्यक्ति के संदर्भ मे कहा था ! “कि इस तरह के सामर्थ्यवान विभूतिको, असंख्य निष्पाप फुलो को अपने पैरों तले कुचलते हुए ! रास्ते में आने वाली हर तरह की रुकावटों की इटसे इट बजाते हुए आगे बढना पडता है !
हिटलर ने हीगेल पढा था कि नहीं पता नहीं ! लेकिन हिटलर के चाल ढाल जन्म से ही नेता जैसे थी ! नेतृव के लिए ही अपना जन्म हुआ है ऐसी उसकी धारणा और आत्मविश्वास था ! 1930 को सत्ता में आने के बाद उसने कहा था ! कि “भविष्य के आदेश मुझे मेरे अंदर से ही मिलते हैं ! और मैं निंद मे चलनेवाले आदमी के आत्मविश्वास के तरह चलता हूँ !”
27 फरवरी 2002 की सुबह को! साबरमती एक्सप्रेस के एस – 6, कोच में गोधरा रेल्वे स्टेशन पर आग लगने के बाद तुरंत नरेंद्र मोदी जीने गोधरा पहुचकर अधजले शवोको आधेअधुरे पोस्टमार्टम रोककर और गोधरा की महिला जिलाधिकारी श्रीमती जयती राव के मना करने के बावजूद विएचपी के प्रदेश अध्यक्ष जयदीप पटेल के कब्जे में सभी शवोंको ओपन ट्रको मे लादकर अहमदाबाद की सडकों पर जुलुस निकालने के लिए विशेष रूप से सौपने का काम किया है ! और श्याम को गांधीनगर की कैबिनेट मिटिंग में कहा कि कल से गुजरात में जो भी कुछ होगा उसे रोकने का काम कोई भी नहीं करेंगे ! इस बात का सबूत संजीव भट्ट जो की उसीका खामियाजा जेल में रहकर भुगतना पड़ रहा है ! श्री. आर. बी. श्रीकुमार जो कॅटकी तरफसे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध के बावजूद गुजरात के पुलिस महानिदेशक पदपर आसिन हुए थे! और अपनी गुजरात बिहाइंड कर्टन नाम की किताब मे इन सब बातो का विस्तृत वर्णन किया है ! और किताब पढनेके बाद मैंने जब उनके साथ हालहिमे फोन पर बात की ! तो उन्होंने कहा “कि सर्वोच्च न्यायालय मे याचिका दायर की है !” और मुझे इमेल पर भी उनकी तफसील से लिखित सूचना प्राप्त हुईं हैं !
हिटलर को एक निसर्गदत्त वरदान मिला हुआ था ! कि कौनसे प्रसंग से किस तरह से किसी प्रसंग या घटना से अपने आप को प्रस्थापित करने के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं ! और बिल्कुल नरेंद्र मोदी जी को भी (10अक्तूबर 2001 मे) मुख्यमंत्री के रूप में शपथग्रहण के बाद ! आपको संपूर्ण गुजरात में एक भी विधान सभा चुनाव के लिए सुरक्षित जगह नहीं थी ! क्योंकी वह जिस खाँसी तेली समाज से आते हैं ! उसके संपूर्ण गुजरात में दो प्रतिशत भी मतदाता नहीं है ! और सबसे हैरानी की बात नरेंद्र मोदी जी को भी इसके पहले ग्राम पंचायत का चुनाव लढने का भी अनुभव नहीं था !
तो केसुभाई पटेलके खिलाफ चल रही बगावत को ! तात्कालिक तौर पर पर्यायी उम्मीदवार के रूप में, किसी भी सदन के सदस्य नहीं रहने वाले नरेंद्र मोदी जी को ! क्रिकेट के खेल में जिस तरह से श्याम के समय खेल के आखिरी ओवरों के समय भेजा जानेवाले खिलाड़ि को नाइट वाॅचमन के तौर पर भेजा हुआ खिलाडी कहा जाता है ! शपथग्रहण के बाद पहली प्रेसवार्ता में नरेंद्र मोदी ने पत्रकारों को कहा कि “मै वन डे मैच का खेल खेलनेके लिए नहीं आया हूँ ! मै टेस्ट मैच का खिलाड़ी हूँ !” भेजा गया मुख्यमंत्री ने अपने आप को प्रस्थापित करने के लिए ! विशेष रूप से गोधरा कांड के बाद हुए गुजरात के दंगे नरेंद्र मोदी जी की चालीस या चौवालिस इंची छाती का आकार ! दो हजार से भी अधिक लोगों को मारे जाने के बाद ! अचानक छप्पन इंच के आकार में हर मायने मे तब्दील कर दिया गया है ! सुबह गोधरा की खबर सुनने के बाद उन्होंने दूरदर्शन के अपने संबोधन जिसे राज्य सरकार के सूचना विभाग ने प्रकाशित किये हुए प्रसारण में कहा कि ” मै गुजरात की जनता को यह आश्वासन देना चाहता हूँ कि इसके आगे इसतरह की कोई भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ! जिसने किसिने इस घटना को अंजाम दिया होगा उसे बक्शा नही जायेगा उसे ऐसा सबक सिखाया जायेगा कि वह इस तरह की हरकत दोबारा नहीं कर सकता ! और इसी तरह की घोषणा उन्होंने विधानसभा में कहा कि “राज्य सरकारने इस जधन्य घटना को बहुत ही गंभीर रूप से लिया है ! और सरकार की तरफसे इसके प्रतिकार का कदम उठाते हुए ऐलान करता हूँ ! कि भविष्य में ऐसी कोई भी घटना नहीं हो ! ” वैसे देखा जाए तो इस तरह की बातें एक राज्य प्रमुख के मुहँपर शोभा नहीं देतीं है ! क्योंकि मुख्यमंत्री ने अपने पद की शपथ लेते हुए यह घोषणा की थी कि मैं नरेंद्र दामोदरदास मोदी आजसे गुजरात के मुख्यमंत्री के पद की शपथ लेते हुए यह आश्वस्त करता हूँ कि गुजरात में रहने वाले हर जाति – धर्म तथा किसी भी तरह का भेद – भाव न करते हुए निस्पक्षता से अपने पद की जिम्मेदारी का निर्वाह करुंगा ! ” यह शपथ और 27 फरवरी 2002 के दिन दूरदर्शन से लेकर विधानसभा में दिए गए वक्तव्य से मुख्यमंत्री की शपथ का उल्लंघन है ! जिस बात का सज्ञान गुजरात दंगों के जांच दल के अध्यक्ष पूर्व न्यायमूर्ति श्री. जी. टी. नानावटी और सर्वोच्च न्यायालय के तरफसे भेजे गए एस आई टी के प्रमुख डॉ. आर. के. राघवन ( पूर्व संचालक सीबीआय ) ने इतने संगीन मुद्दे को अनदेखा किया ! और इसी कारण उन्हें क्लिनचिट भी दी गई है !
बिल्कुल जर्मनी में हिटलर के जू द्वेष के जैसे ! ( 60 लाख से अधिक यहुदीयो को मौत के घाट उतार दिया था !) भारत में संघ परिवार अपनी स्थापना के समय से ही ! मुसलमानों,क्रिस्चियन और कम्यूनिस्टो के खिलाफ ! 1925 से स्थापना के समय से ही शाखाओमे बौद्धिक गित और खेल के द्वारा स्वयंसेवकों को यह हमारे तीन शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का काम किया है ! और आज उसी शाखाओं के पैदाइश ! नरेंद्र मोदी,अमित शाह,आदि स्वयंसेवक ! देश के विभिन्न संविधानिक पदोपर बैठकर! संघ की तत्वप्रणाली को अमलीजामा पहनाने के लिए विशेष रूप से लगे हुए हैं! और उनके एक – एक निर्णय फिर वह सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को बेचने से लेकर ! देश की सभी जल – जंगल- जमीन को प्रायवेट सेक्टर में देने से लेकर ! अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का ! गोलवलकर गुरूजी-सावरकर के विचारों के अनुसार आसाम के नागरिकता कानून को संपूर्ण देश में लागू करने की तथाकथित एन आर सी का कानून वही बात है ! और सेक्युलरिज्म, समाजवाद या कम्युनिझम का विरोध अल्पसंख्यक विरोध जैसे ही है ! और उनके सपनों का भारत मे ! संविधान की जगह मनुस्मृतिको लागू करने से लेकर ! देश की आधी आबादी महिलाओकी जिम्मेदारी सिर्फ बच्चोकी पैदाइश से लेकर, परवरिश करना और दलित,आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों को अपने अपने चातुर्वण के हिसाब से ही रहना यही बात है !
काफी कुछ हिटलर से मिलता जुलता है ! उसने ब्रिटिश और फ्रेंच जनता को कम्युनिझमका लगने वाले डर को जर्मनी में बहुत चतुराई से इस्तेमाल किया है ! और जानबूझ कर जर्मनी की तथाकथित लोकशाही यंत्रणा को यथावत रखने की विशेष व्यवस्था की है ! और अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाकी भनक तक नहीं लगने दी ! जर्मनी की प्रथम युद्ध में हुई हार का गुस्सा जर्मनी के लोगों मे बढानेका काम ! और उसके लिए यहूदियों को दोषी ठहराने के मुद्दों पर ! बहुत ही कम समय में जर्मनी की ड्यूमा (पार्लियामेंट) तक का सफर तय किया है ! और उसके लिये एस एस स्वंयंमसेवक से लेकर ! अपने नाझी दल के लोगों को बखूबी इस्तेमाल किया है ! और कमाल की बात ! औद्योगिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विकसित समाज ! जिसमें कार्ल मार्क्स से लेकर, सिग्मंड फ्रायड,अल्बर्ट आइनस्टाइन, एरिक फ्रॉम, सिमोन द बोआर, जा पॉल सात्र, अॉर्थर कोस्लर, शूमाखर जैसे विलक्षण प्रतिभाशाली लोगों के भूमि पर रहते हुए ! हिटलर और मुसोलिनी,स्टालिन जैसे तानाशाह पनपते हैं ! और औद्योगीकरण के बाद के यूरोपियन समुदाय के लोगों को अपने फासिस्ट विचारधारा पर चलने के लिए प्रेरित किया है ! और काफी हद तक वह अपने मकसद में कामयाब हो रहा था ! इसीलिए मरने के पहले जनमत संग्रह में उसे 99% मत वह भी समस्त विश्व को कब्जे में करने के लिए ! विशेष रूप से !
बिलकुल महात्मा गाँधी और सरदार पटेल के गुजरात को जो तथाकथित गुजरात माडल नाम का शब्द गत इक्कीस साल से लगातार बोला जा रहा है ! और वह भी भारत के गौतम बुद्ध-महावीर अशोक और हाल के महात्मा गाँधी जैसे लोगों की भूमि में ! नरेंद्र मोदी जैसा तानाशाह ! बिमारी के स्तर पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को तिरस्कृत मानसिकता से देखने वाला आदमी ! लगभग दुनिया के सभी धर्म के लोगों के रहवासियों के भारत में प्रधानमंत्री बनना बिलकुल जर्मनी की याद दिला रहा है !
और इन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए जर्मन पूंजीपतियों ने जिस तरह से अपनी थैलियों को खोल दिया था ! बिलकुल भारत के पूंजीपतियों ने भी आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी ! और सबसे अमीर पार्टी ! जिसकी शुरुआत आजसे सिर्फ चालीस साल पहले हुई है ! और जब यह पार्टी शुरु हुई ! तब इसके कुल सदस्यों की संख्या लोकसभा में सिर्फ दो थी ! और भारत की तीन चौथाई हिस्से में इसका अस्तित्व नहीं के बराबर था ! और वह भी एक विशेष समुदाय के लोगों का ! चंद व्यावसायिक और कुछ उंची जाति के लोग छोड़ कर और कोई नहीं था !
लेकिन गुजरात दंगों के बाद ! गौतम अदानी ने खुल कर नरेंद्र मोदी को समर्थन देने की शुरुआत की है ! और मंदिर-मस्जिद के सहारे आज की तारीख में भारत के हर जाति के लोग इस पार्टी की जय-जय कार कर रहे हैं ! और अब बंगाल के लिए ! विशेष रूप से गत वर्ष भर से भी ज्यादा समय से बहुत सुनियोजित तरीके से ! बंगाल के लिए यूहरचना करके नमशुद्रो से लेकर ! बंगंला देश से आये हुए शरणार्थियों को ! एन आर सी का लालच देकर ! और वर्तमान सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस के ! आये दिन नेता से लेकर कार्यकर्ताओं को अलग अलग तरह से प्रलोभन देकर ! तो ईडी,आय बी,सीबीआई जैसे सेंट्रल एजेंसियों का इस्तेमाल करते हुए डरा धमका कर ! दलबदलू, कोविद बिमारी से भी ज्यादा ! प्रभावशाली रचना कर के ! संपूर्ण बंगाल को अभी से युद्ध भूमि में तब्दील कर दिया है ! और उसके बावजूद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपि नड्डा दावा कर रहे हैं ! “कि कैसे हम पार्टी वुइथ डिफरेंस है !”
बिल्कुल सही फरमाया है ! क्योंकि बटवारे के पचहत्तर साल के बावजूद ! बंगाल में इतना सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की प्रक्रिया कभी भी नहीं हुई थी ! लेकिन जबसे संघ परिवार ! और अब कुछ समय से !
मुख्य रूप से 2014 के चुनाव के बाद ! बीजेपी लगातार बंगाल में यह कोशिश कर रहे हैं ! और अब बंगाल के लोगों मे कुछ हदतक उसे कामयाबी भी मिल रही है ! क्योंकि वर्तमान सत्ताधारी दल, तृणमूल और उसके पहले भी पैतीस सालों से वामपंथी दलों की ! कुछ गलतीयोको भुनाकर, बीजेपी अपने आप को प्रस्थापित करने के लिए ! विशेष रूप कामयाबी हासिल कर रहे हैं ! और शायद बटवारेके जख्म को हरा कर के ! बंगाल का गुजरात माडल बनाने मे कामयाब भी हो सकते हैं !
गुजरात दंगों के 21 सालों के बाद ! भारत में सांम्प्रदायिक तनाव फैलाने मे, संघ परिवार और उसके राजनीतिक इकाई को ! लगभग कमधीक प्रमाणमे संपूर्ण भारत में ही ! ध्रुवीकरण की प्रक्रिया करते हुए ! और रोजगार के अवसर,किसानों की समस्याओं को लेकर विभिन्न आंदोलन जारी है !
गौतम अदानी के औद्योगिक साम्राज्य का विस्तार पिछले नौ सालों के भीतर कैसे हुआ है ? यह 24 जनवरी 2023 के दिन ! हिंडेनबर्ग रिपोर्ट ने ! और इसके पहले भी इकॉनमिक क्षेत्र की पत्र – पत्रिकाओं ने समय-समय पर प्रकाशित करते हुए ! 1988 में रजिस्ट्रेशन किए गए अदानी उद्योग का पैतिस सालों में से ! पिछले बाइस सालों से ( अक्तुबर 2001 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद ! ) जो विकास हुआ है ! वह कोरोना और नोटबंदी जैसे ! आर्थिक कमरतोड़ करने वाली घटनाओं के बावजूद ! अदानी उद्योग समूह के समृद्ध बनने की रहस्यमय गति को ! कुछ हदतक हिंडेनबर्ग के रिपोर्ट ने उजागर करने का काम किया है ! और इसीलिये सत्ताधारी दल इस विषय पर ! लोकसभा में समस्त विरोधी दलों की कोशिश के बावजूद ! एक शब्द से भी प्रधानमंत्री ने अदानी का नाम नहीं लिया ! और उल्टा राहुल गांधी ने, अपने भाषण में लिया हुआ ! अदानी उद्योग समूह के संदर्भ में के ! सभी शब्दों को लोकसभा की कार्रवाई में से हटाने की कृती को क्या कहेंगे ? बिल्कुल सौ साल पहले की जर्मनी की संसद की याद दिला दिया है !
तोभी दूसरी तरफ बीजेपी ! हिटलर ने जर्मनी के संसद का इस्तेमाल जिस तरह से किया था ! बिल्कुल उसीकी तर्ज पर पिछले बजट सत्र में जिसे ड्यूमा बोला जाता है ! की भांति विश्व के औद्योगिक इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला हिंडेनबर्ग रिपोर्ट के मुताबिक उजागर हुआ है ! जिसपर अबतक भारत में जबरदस्त जनांदोलनों के शुरू होने की आवश्यकता है ! उसे देखते हुए लगता है ! कि विरोधी दलों की ओर से जो कोशिश होनी चाहिए ! वह नहीं हो रही है ! उल्टा सत्ताधारी दल और खुद अदानी उद्योग समूह भी ! तथाकथित देश की आडमे में अपनी राजनीति कायम करने की कोशिश कर रही हैं ! और जर्मनी में हिटलर भी समय – समय पर यही जुमला इस्तेमाल करते हुए ! पंद्रह साल तक जर्मनी की छाती पर मुंग दलता रहा है ! उसे रोकने का काम कोई भी नहीं करता हुआ दिखाई नहीं देता है ! यह सबसे बड़ी हैरानी की बात है !
डॉ सुरेश खैरनार 20 फरवरी 2023 , नागपुर