भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ताओं का दौर जारी है। इसी कड़ी में दोनों देशों के बीच 12वें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता शुरू हो गई है।  वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीनी हिस्से के मोल्डो में यह वार्ता चल रही है। सूत्रों के अनुसार इस दौरान भारत और चीन के बीच हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा हाइट्स एरिया से डिसइंगेजमेंट पर चर्चा होने की उम्मीद है।

इससे पहले दोनों देशों के बीच 11वें दौर की वार्ता नौ अप्रैल को एलएसी के भारतीय पक्ष में आने वाले चुशुल में हुई थी। उल्लेखनीय है कि दोनों देश पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से अपने-अपने सैनिकों और हथियारों को हटाने की प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं। लेकिन, टकराव वाली बाकी जगहों पर अभी सैनिकों को वापस ले जाने की शुरुआत अभी तक नहीं हो पाई है। दोनों के बीच पिछले साल मई से पूर्वी लद्दाख में कुछ स्थानों को लेकर सैन्य गतिरोध की स्थिति बनी हुई है।

इन मुद्दों पर हो सकती है बातचीत

  • सैन्य सूत्रों के मुताबिक, ईस्टर्न लद्दाख में गोगरा और हॉट स्प्रिंग एरिया से डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनाने को लेकर चर्चा हो सकती है। इन दोनों पॉइंट पर दोनों तरफ से करीब 30-35 सैनिक ही तैनात हैं।
  • हॉट स्प्रिंग एरिया में पैंगोंग से भी पहले डिसएंगेजमेंट शुरू हुआ था, लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया। यहां दोनों सेनाओं की एक प्लाटून (करीब 30 सैनिक) तैनात हैं। दोनों देशों के सैनिक इन पॉइंट्स पर पेट्रोलिंग भी नहीं कर पा रहे हैं।
  • बातचीत में डेमचोक और डेपसांग का मसला भी उठाया जाएगा। भारत चाहेगा कि डेपसांग एरिया में चीनी सैनिकों ने जो पेट्रोलिंग पॉइंट ब्लॉक किए हैं उन्हें वह खोले और अपने सैनिकों को हटाए।
  • डेमचोक एरिया में चीनी सैनिकों के साथ ही सिविलियंस के टेंट भी लगे हैं। यह भी करीब दो साल पुराने हैं और मीटिंग में इन पर भी बात होनी है। मीटिंग में भारत की तरफ से अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल करने पर बात होगी। हालांकि यह इतना आसान नहीं है।
  • इससे पहले 14 जुलाई को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी। उस वक्त दुशांबे में शंघाई सहयोग सम्मेलन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर हुई इस मुलाकात में एलएसी को लेकर चल रहे मुद्दों पर चर्चा हुई थी। जयशंकर ने कहा था कि स्थिति में एकतरफा परिवर्तन किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा था कि सीमा क्षेत्रों में हमारे संबंधों के विकास के लिए शांति और व्यवस्था की पूरी तरह वापसी बहुत जरूरी है।

     

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