साथियों यह फोटो सबौर ब्लॉक भागलपुर के चंदेरी नाम के गांव के बिहार भागलपुर १९८९ के दंगे के बाद, टाटा उद्योग समूह की तरफ से कीया गया पुनर्वास की ताजी तस्वीर है ! 11 दिसंबर २०२१ !


सस्ते लोकप्रियता का यह सबसे भद्दा उदाहरण है ! जिसके लिए करोड़ों रुपये खर्च करने बावजूद भी, असुरक्षा की भावना के कारण मुस्लिम समुदाय के लोगों को वापस अपने पुश्तैनी मकानों में आने की हिम्मत नहीं है ! और यह असुरक्षित मानसिकता आज भारत के अल्पसंख्यक समुदायों की वर्तमान स्थिति भी बन गई है ! जो भारत के समाजस्वास्थ के लिए चिंताजनक है !
और सौ साल होने जा रहे, संघ परिवार द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति फैलाया गया जहरीला प्रचार आम लोगों में रिसता जाने का प्रतिफल भी हैं ! पैंतालीस मकान खाली और खस्ता हालत में पड़े हुए हैं ! और इसका एकमात्र कारण असुरक्षित मानसिकता के शिकार होना !


कुल पचास मुस्लिम परिवार के लिए बनाया गया यह निर्माण कार्य है ! जिसे बनाने के विरोध में मैंने कहा था कि, चंदेरी के अन्य मकानों के तुलना में यह सिमेंट कांक्रीट के मकान अन्य लोगों के आँख की किरकिरी बन जायेंगे ! और गांव की सिमेट्री के साथ यह कही भी मेल नहीं खाते ! इसलिए इन्हें बनाने की जगह, हम शांतिनिकेतन, कलकत्ता से जानेवाले साथियों की कोशिशों से चंदेरी के हिंदू नागरिकों की पहल से, हर एक घर से एक व्यक्ति इस निर्माण कार्य में भाग लेकर दंगे में धाराशाही किये मकानों को प्रायश्चित के बतौर करेंगे ! और इसके लिए स्थानीय संसाधनों का प्रयोग करेंगे ! इसलिये हमारी और चंदेरी के नागरिकों की कई बार बैठकों के बाद निर्माण कार्य शुरू करने का निर्णय लिया गया था !


इसलिये हम लोगों ने स्थानीय लोगों के सहयोग से प्रायश्चित करने के बतौर ! काफी बार सभा,बैठकों के बाद चंदेरी के अन्य नागरिक खुद मुस्लिम समुदाय के मकानों को स्थानीय संसाधनों से बनाना चाहिए ! और इस कामके लिए चंदेरी के हिंदू समुदाय के लोग तैयार हो गए थे ! लेकिन हमारे इस प्रयास के बिच में ही, कुछ राॅयट टूरिज्म की मानसिकता वाले लोगों की फुहड पहल का उदाहरण है ! चंदेरी के पैंतालीस सिमेंट – कांक्रीट के मकान ! जो तीस सालों के बाद भी विरान हालत में खाली पड़े हैं ! और इस बात का मलाल नहीं बनाने वाले को है ! और नहीं सरकारों को !
और धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति का नग्न प्रदर्शन भी भागलपुर के बत्तीस साल पहले के दंगे की देन है ! जो तेरह साल बाद गुजरात में दोहराया गया है ! और उसीसे हवा तैयार करके वर्तमान बीजेपी ने दिल्ली के तख्तको हथियाया है !
लेकिन एक टाटा उद्योग समूह से संबंधित सफेद पोश महिला ने, अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर के टाटा समूह को कहकर इन मकानों को बनाए हैं ! और आज तीस साल से अधिक समय हो रहा है !


लेकिन चार परिवार छोड़ और कोई मुस्लिम परिवार इन मकानों में नहीं आए ! अब मकान इस हालत में है ! जिन्हें देखने के लिए मै, और हमारे भागलपुर दंगे के बाद के काममे काफी लोग आये लेकिन सबसे सक्रिय साथी और बंगाल में सांप्रदायिकता के खिलाफ लगातार सक्रिय, शांतिनिकेतन की मनिषा बॅनर्जी और उनकी सुपुत्री मेघना कल ११ दिसंबर को भागलपुर, बाबुपूर, राजपूर और चंदेरी का निरिक्षण करके लौटे हैं !
२४ अक्टूबर १९८९ के दिन शुरू हुआ दंगे में चंदेरी के पैसठ से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोगों को मारकर बगल के तालाब में फेंक दिया था ! और अन्य लोग भागने के कारण बच गए हैं ! लेकिन चार परिवार छोड़ अन्य किसी की हिम्मत नहीं हुई ! वापस आने की, और इस कारण ४५ मकान खाली पड़े हैं ! और अन्य रह रहे लोगों में से मुख्तारी बीवी के मकान के छत की यह कल ली गई फोटो है !


आजादी के बाद, भागलपुर दंगे के पहले के में जो कुछ हुआ वह आजादी के बाद भारत के सबसे भयानक दंगे के रूप में यह दंगा है ! इसके पहले के सभी दंगे स्थानीय स्तर पर कुछ चंद गली – मोहल्ले के दंगे होते थे लेकिन भागलपुर का दंगा मुंगेर, गोड्डा, खगरिया, साहेबगंज, दुमका, बांका मतलब संपूर्ण भागलपुर कमिश्नरी में फैला था ! और तीन हजार से अधिक लोगों को मारने के अलावा ! तीन सौ से अधिक गांव के मुसलमानों के मकानों को मटीयामेट किया गया था ! उनके रेशम के यंत्रों को जलाकर, हजारों की संख्या में पारंपरिक हथियार लेकर इस दंगे में नया बाजार भागलपुर, भतौडिया, लोगांव जैसे जघन्य हत्याकांड के साथ चंदेरी भी है ! जहाँ ६५ से भी अधिक लोगों को मार कर तालाब में फेंक दिया था !
आज भागलपुर दंगे को ३२ साल और दो महीने पूरे हो चुके हैं ! और पुनर्वास के नाम पर किया गया टाटा उद्योग समूह द्वारा यह निर्माण कार्य आज इस हालत में है ! रिलीफ के नाम पर कीए गया यह काम करने के पहले हम लोगों की बात को अनदेखा कर के किया गया है !


भागलपुर दंगे के बाद मुस्लिम समुदाय का घेट्टोझायजेशन शुरू हुआ है ! जो बदस्तूर जारी है ! जो भावी दंगे के लिए बहुत ही नुकसान दायक होने की संभावना है ! लेकिन वर्तमान समय में संपूर्ण देश में ही यह प्रक्रिया बदस्तूर जारी है ! और कम – अधिक प्रमाण में यह क्रम संपूर्ण देश में जारी है ! जो राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक है ! और इसिलिये मैंने इस लेख का शीर्षक और कितने पाकिस्तान ? रखा है ! आखिर इस देश का बटवारा किस आधार पर हुआ ? संघ के लोग अखंड भारत की रट लगातार करते रहते है ! लेकिन उन मुर्खो की समझ में क्यों नहीं आता कि आखिर बटवारा क्यो हुआ ?
दंगे के बाद कुछ लोगों के काम करने के सतही प्रोफेशनल रवैये का चंदेरी का तथाकथित पुनर्वास आज उसकी जीती – जागती मिसाल है ! और गुरु गोलवलकर के तथाकथित भुमिका के अनुसार, अल्पसंख्यक समुदायों को अगर भारत में रहना होगा तो, बहुसंख्यक समुदाय के सदाशयता पर रहना होगा ! और दोयम दर्जे के नागरिक के हैसियत से रहना होगा !
इस तरह के फासिज्म सोच का तेरह साल बाद 28 फरवरी 2002 का गुजरात का दंगा जिसे ढाई महिनों के बाद बिस साल भी पूरे हो रहे हैं ! और भारत की राजनीति सिर्फ धार्मिक ध्रुवीकरण के इर्द-गिर्द गत तीस सालों से बदस्तूर जारी है ! और इसे लोकतंत्र बोल कर लोकतंत्र का माखौल उडाया जा रहा है ! यह शतप्रतिशत भिडतंत्र है !


और सबसे महत्वपूर्ण बात अगर भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों की बस्तियों के अलग – अलग होने से आने वाले पिढी को उन समुदायोका परिचय नहीं हो सकता ! और उस कारण सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने वाले लोगों का उद्देश्य आपसी द्वेष पैदा करके अपने राजनीतिक रोटियों को सेकना ! जो काम बीजेपी और उसके मातृ संघटन द्वारा किया जाता है ! और मेरे विचार में बटवारे के बीज अगर बोते रहोगे तो और भी पाकिस्तान बनेंगे ही बनेंगे ! इसलिये भारत की एकता के लिए किसी भी प्रकार की सांप्रदायिकता खतरनाक है !

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