आर. एस. एस. ( रुमर्स स्प्रेडिंग सोसायटी ) आने वाले 2025 में इस संघठन को सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं ! लेकिन झूठ बोलना इनके टेकनिक का हिस्सा है ! और यह बात आजसे पचहत्तर साल पहले आचार्य विनोबा भावे ने महात्मा गाँधी जी के हत्या के बाद सेवाग्राम में इकट्ठे सभी साथियों को लेकर संघ के बारे में बोलते हुए कहा है कि लगता है कि इनका असत्य का मार्ग है और असत्य बोलने का इनका अपना तकनीक है ! जिसमें महात्मा गाँधी से लेकर डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, पटेल, सुभाष बाबु, स्वामी विवेकानंद, रविंद्रनाथ टागौर और अब उन्होंने ने ही जिस बच्चे के जन्म शांतिनिकेतन में 3 नवंबर 1933 को हुआ ! और उसका नामकरण किया है गुरुदेव रविंद्रनाथ टागौर ने ! वह अमात्य सेन को घर से बाहर निकालने के लिए उनके उम्र के 90 साल के दौर में ! विश्वभारती प्रशासन की ओर से जो भी कुछ करवा लिया जा रहा है ! वह विश्वभारती विश्वविद्यालय के इज्जत को मट्टीपलित करने का काम हो रहा है !

 


दिल्ली के युनिवर्सिटी के शिक्षक मित्रों से सुना है ! “कि वर्तमान विश्वभारती विश्वविद्यालय के व्हाईस चांसलर लेफ्ट के शिक्षक संघ के पद पर रहे हैं !” और आज वह शांतिनिकेतन में आए तबसे संघ के इशारे पर कोई न कोई विवाद में दिखाई दे रहे हैं ! कम-से-कम 73 शिक्षक, और विभिन्न कर्मचारियों के उपर चार साल से कोर्ट के केसेस चल रहे हैं और आज के ही स्टेटसमन अखबार में चालीस लाख से अधिक रुपये कोर्ट केसेस में खर्च कर चुके हैं ! और वह अमित शाह जैसे आदमी को पाठाभवन के बच्चे – बच्चियों के सामने पेश करते हुए ! बच्चों को नाचगान करने लगाने की कृती को क्या कहेंगे ?


और अब पिछले कुछ दिनों से विश्वविख्यात अर्थशास्त्री और रविंद्रनाथ टागौर के बाद शांतिनिकेतन के दुसरे व्यक्ति है ! जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ! और सुना है कि बंगाल में संघ की सैफ्रोन डिजिटल आर्मीने अमात्य सेन को लेकर विभिन्न तरह की बदनामी की मुहिम शुरू कर दी है ! जिसमें एक है ! “कि उनका विश्वभारती के साथ कोई भी संबंध नहीं है !”लगभग दस साल तक पाठाभवन मे पढ़ने के बावजूद यह शांतिनिकेतन के स्थापना के समय से शुरू किया गया स्कूल है ! और दुसरा ताजा मुद्दा कि उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला ही नहीं है ! सुना है जब निल आर्मस्ट्रांग और रशियन एस्ट्रोनेट सत्तर के दशक के पहले चांद पर उतरे थे ! तो संघ के तत्कालीन प्रमुख श्री. माधव सदाशिव गोलवलकर ने कहा था कि वह चांद चांद ही नही है !
महात्मा गाँधी जी के खिलाफ बदनामी की मुहिम में उनके बकरी से लेकर, लडकियो के कंधे पर हाथ रखकर चलने वाली बात हो ! या हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री. पंडित जवाहरलाल नेहरू और एडविना मौंटबॅटन के रिश्ते को लेकर कितना दुष्प्रचार किया गया है ? और वर्तमान प्रधानमंत्री के द्वारा और भी अधिक मात्रा में किया जा रहा है ! जैसे कमर के निचे हमले करने वाली जमात !
अब अमात्य सेन ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने के पहले ! इंग्लंड मे रहते हुए ही अॅडम स्मिथ और रविंद्रनाथ टागौर के जीवन का आखिरी भाषण 1941 ने समस्त विश्व में ( The best and noblest gifts of humanity cannot be the monopoly of a particular race or country ; it’s scope may not be limited nor may it be regarded as the miser’s hoard buried underground.) पढ़ने के बाद उन्होंने शासन और शिक्षा तथा स्वास्थ्य के विषय पर दुसरे महायुद्ध के बाद गोरे लोगों ने अफ्रीका के लोगों को अपने यहां लाकर गुलाम बनाना ! और बेतहाशा काम करने के बावजूद उन्हें निम्नस्तर के लोग समझने की बात और हमारे अपने देश में हजारों सालों से मनुस्मृति के अनुसार सबसे निचले स्तर के लोगों को धर्मग्रंथों का आधार बताकर गुलामों से भी बदतर स्थिति में रखने की तुलना ! अमात्य सेन ने अॅडम स्मिथ से लेकर कार्ल मार्क्स तथा रविंद्रनाथ टागौर के अध्ययन से तुलना करते हैं ! तो संघ की सबसे बड़ी चिडने की वजह अमात्य सेन के गैरबराबरी के सिद्धांत ! और उसे लेकर अकादमीक काम वर्तमान समय की सरकार को नापसंद है !


क्योंकि बीजेपी जबसे सत्ता में आई है ! तबसे कल्याणकारी सरकार के तत्व को समाप्त करते हुए ! शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य की सेवा प्रायवेट मास्टर्स के हवाले करने का सिलसिला जारी है ! और इसलिए अमात्य सेन जैसे लोगों से वर्तमान समय की सरकार को डर है ! कि हमारे तथाकथित योजनाओं की जानकारी उन्हें नहीं पता चलें ! और सभी तरह के तानाशाही मनोवृत्ति के लोगों को हमेशा ही ऐसे लोगों से डर लगता है ! जैसे हिटलर ने को आईन्स्टाईन से लेकर सिगमंड फ्राइड तथा अन्य बुध्दिजीवियों से लगा रहता था ! और इसीलिए सबके सब जर्मनी छोडकर ( छ हजार से अधिक यहुदी ) बाहर के देशों में चले गए थे ! नरेंद्र मोदीजी भी चाहते हैं कि अमात्य सेन भारत में आए ही नहीं ! सभी तानाशाह इस तरह की कुंठा में रहते हैं ! कि कोई उनकी गलीयो को देखेंगे ! क्योंकि नोटबंदी से लेकर जीएसटी और योजना आयोग को खत्म करने से लेकर रोजगार देने के केंद्रों को बंद करने से लेकर सौ साल के संघर्ष के बाद मजदूरों ने जो आधिकार प्राप्त किए थे उन्हें उद्योगपतियों के सुविधाओं के अनुसार बदलने का काम किया है ! और अब सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को औने-पौने दामों में एक विशेष व्यक्तियों के हवाले करने का काम किया जा रहा है ! इसलिए कोई ऐसा व्यक्ति अगल – बगल में नही होना चाहिए जिसके कारण यह सब वह देखे और इसपर कोई टिप्पणी करे !
सबसे अधिक महत्वपूर्ण विरभूम जिले में साईकिल से कैसे – कैसे संथाल तथा स्थानीय लोगों के घरों में जाकर ! आदमी और औरत के अनुपात में लड़कियों को उनके जन्म के बाद ही कुपोषण के शिकार होने से मुखतः लड़कियों के मृत्यु के कारण ढूंढने के लिए ! नवजात शिशु के जन्म के बाद उसके वजन करने से लेकर मांओं के खानपान तथा उनके परिवार की आर्थिक स्थिति के बारे में आकड़े इकट्ठे किए हैं !


और हमारे देश में अस्सी वाले दशक में पी. साईनाथ जैसे खोजी पत्रकारों के द्वारा महाराष्ट्र के सातपुडा पर्वत के मेलघाट क्षेत्र में शेकडो शिशुओं के मृत्यु की खबर से संपूर्ण भारत में तहलका मचा था ! और उसी को लेकर डॉ. अभय बंग और उनकी जीवन संगीनी डाॅ. राणी बंग और उनके गडचिरोली जिले के सर्च नाम के संस्था के आदिवासी सहकारीयो के मदद से ! उन्होंने अपने जीवन के सबसे बेहतरीन समय देकर वैश्विक स्तर पर एक मॉडल विकसित किया ! जो विश्व आरोग्य संघठने स्विकार किया ! और डॉ. अभय बंग विश्व स्वास्थ्य संगठन के बच्चों की मौत को लेकर बनी हुई एक कमेटी के (चाईल्ड मॉर्टलिटी ) सलाहकार है ! और इसी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2013 में अपने सर्वेक्षण में गुजरात के चाईल्ड मॉर्टलिटी रेट बिहार – ओरिसा से भी ज्यादा है ऐसा रिपोर्ट दिया है ! और यह नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब की बात है ! जो कश्मीर फाईल्स और केरला स्टोरी जैसे घटिया प्रचार प्रसार कर रहै है तो मेरा भी चैलेंज है कि आप क्या गुजरात फाईल्स सिनेमा बनाने दोगे ? संपूर्ण विश्व में आपको मुंह दिखाने के लिए मुश्किल हो जायेंगी ! विश्वगुरु की रट लगाने वाले के गुजरात मॉडल का असली रूप क्या है ?

मुद्दा अमात्य सेन की बदनामी की मुहिम में, उनके और शांतिनिकेतन के रिश्ते से लेकर उनके नोबेल पुरस्कार तक संघ के ट्रोल्स लगातार कुछ न कुछ गलत जानकारी फैलाने का काम कर रहे हैं ! यह जो अंग्रेज़ी लेख है ! वह उनके बंगाल के आदिवासी जिला विरभूम के बच्चों की कुपोषण के शिकार होने के संथाल और अन्य आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों के घर – घर जाकर उन्होंने और उनके साथ कुछ सहयोगियों ने मिलकर आजसे चालिस साल से भी अधिक समय पहले किया गया अध्ययन ! जिसपर उन्होंने भारतीय राज्यों की तुलना की है ! और अमात्य सेन को घर – घर साईकिल से घुमते हुए देखने वाले कुछ लोगों ने भी बताया कि “वह साईकिल पर आते थे !” और वह साईकिल आज नोबेल पुरस्कार समिति के संग्रहालय में मौजूद है !


मेरे हिसाब से नरेंद्र मोदी 2013 के पहले चुनाव में अपने प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचार कर रहे थे ! तो जैसा तवलिन सिंह के बेटे अतिष तासीर ने टाईम पत्रिका में प्रकाशित कवर स्टोरी में नरेंद्र मोदी को ‘डिवाइडर इन चिफ’ की उपमा दी है ! और नरेंद्र मोदी ने उसके भारत के पासपोर्ट को रद्द कर दिया है ! अमात्य सेन ने भी नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यकाल को देखते ( मुखतः 2002 के गुजरात दंगों को लेकर ) हुए कडी टिप्पणी की है ! और उसमें ऐसा कुछ भी आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं है ! कि नरेंद्र मोदी ने इतना गुस्सा करते हुए प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद अमात्य सेन को सबसे पहले उन्हें नालंदा विश्वविद्यालय के पद से बर्खास्त कर दिया ! और अब विश्वभारती के व्हाइस चांसलर के द्वारा ! सौ साल पुराना घर जो जमीन उनके मां के पिता क्षितिमोहन सेन 1901 में शांतिनिकेतन के पाठाभवन की शुरुआत करने वाले पहले पांच – दस लोगों में से एक थे ! शुरू में वह शांतिनिकेतन के रविंद्रनाथ टागौर ने दिए हुए मकान में रह रहे थे ! और उन्होंने अपने जेब से पैसे खर्च कर के वर्तमान ‘प्रतिति’ नाम के घर और उसकी जमीन को खरीदने के बाद निर्माण किया है !

https://scroll.in/latest/923004/time-magazine-cover-story-calls-pm-narendra-modi-indias-divider-in-chief

राम जन्मभूमि के आंदोलन के उपर संपूर्ण राजनीतिक करियर बनाने वाले नरेंद्र मोदी को क्या अमात्य सेन जिस घर में जन्मे और अमात्य नाम भी रविंद्रनाथ टागौर ने ही दिया है ! उसकी पुश्तैनी जमीन का विवाद खड करने के लिए कुछ भी लिहाज नही है ?
वसुधैव कुटुंबकम और दुनियाभर की लफ्फाजी करते हुए थकते नही हो ! और जिस आदमी ने भारत का नाम समस्त विश्व में अपने अर्थशास्त्री के नाते रोशन किया है ! उसे इस तरह अपमानित करने की कृती को क्या कहेंगे ?
यह सिर्फ और सिर्फ बदले की भावना से किया जा रहा काम है ! जिस बदले की भावना में इस देश ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को खोया है ! और उसी बदले की भावना में भागलपुर से लेकर गुजरात तक हजारों बेकसूर मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया है ! महात्मा गाँधी जी के भाषा में अगर इसी तरह की आंख के बदले आंख तो संपूर्ण विश्व अंधा हो जायेगा ! और भारत में भी एक चौथाई हिस्सा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की संख्या का है ! और इसी तरह की बदले की भावना दिन-प्रतिदिन लोगों के भीतर फैलाने से इस देश के अमिबा के जैसे टुकड़े हो सकते हैं ! और अतिष तासीर की टाईम की कवर स्टोरी के जैसे सचमुच ही आप डिवाइडर इन चिफ कहलाएंगे !
डॉ. सुरेश खैरनार, 12 मई 2023, नागपुर

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