gnm-68मुख्यमंत्री रघुवर दास का यह बयान अक्षरशः सही प्रतीत हो रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि झारखंड के राजनेताओं ने केवल लूटने का काम किया है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी भी इस बयान को चरितार्थ करते ही दिख रहे हैं. उन्होंने अपने नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दिलाने के लिए मातहत अधिकारी से फर्जी रिपोर्ट बनवाकर नर्सिंग काउंसिल को भेज दिया, ताकि मान्यता मिलने पर अपने कॉलेज को भारी-भरकम अनुदान दिला सकें. स्वास्थ्य मंत्री की संस्था रामचंद्र चंद्रवंशी वेलफेयर ट्रस्ट ने सोहारी चंद्रवंशी नर्सिंग स्कूल में जीएनएम की पढ़ाई के लिए इंडियन नर्सिंग काउंसिल को फर्जी रिपोर्ट भेजी है.

दरअसल, चंद्रवंशी स्वास्थ्य मंत्री हैं और वही विभाग नर्सिंग कॉलेज के संबंध में रिपोर्ट देता है. मंत्री ने पावर का दुरुपयोग करते हुए सिविल सर्जन से रिपोर्ट बनवाकर केन्द्र सरकार के नर्सिंग काउंसिल को भेज दी, ताकि उनके कॉलेज को मान्यता मिल जाये और नर्सिंग की पढ़ाई शुरू कराकर करोड़ों की कमाई की जा सके. झारखंड में नर्सिंग की पढ़ाई की मांग है और एक-एक छात्रों से दो-दो लाख रुपए तक फीस ली जाती है. राज्य सरकार भी कौशल विकास के तहत नर्सिंग का प्रशिक्षण करवाती है और इसका शुल्क खुद वहन करती है. इससे भी इस कॉलेज को अच्छी आय होने की उम्मीद थी. मंत्री ने नियम-कानून को तोड़ते हुए राज्य सरकार के अनुदान से अपने ही कैम्पस में हरिजन आदिवासी छात्रावास बनवाये. इस छात्रावास में रहने वाले आदिवासी छात्रों का खर्च राज्य सरकार उठाती है, पर इन छात्रावासों में सामान्य वर्ग के छात्रों को कमरा/बेड मुहैया कराया गया और उनसे छात्रावास की फीस वसूली गई.

स्वास्थ्य मंत्री जिस क्षेत्र से आते हैं, वहां नर्सिंग कॉलेज खोलने को लेकर मारामारी मची हुई है. पलामू में रामचंद्र चंद्रवंशी वेलफेयर ट्रस्ट ने पलामू के विश्रामपुर एवं मेदिनीनगर के साथ ही गढ़वा में कई शैक्षणिक संस्थान खोले हैं. सबसे ज्यादा संस्थान विश्रामपुर में एक ही जगह पर ट्रस्ट के परिसर में हैं. यहां पर तकनीकी से लेकर व्यावसायिक शिक्षा के संस्थान हैं. ट्रस्ट यहां जीएनएम की पढ़ाई भी शुरू करना चाहता है. पलामू प्रमंडल में जीएनएम की पढ़ाई के लिए कोई संस्थान नहीं है. पलामू प्रमंडल में पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति, जनजाति की आबादी ज्यादा है. इनकी पढ़ाई के लिए सरकार छात्रवृत्ति भी देती है. हर वर्ष कल्याण विभाग से करोड़ों रुपये इस मद में संस्थान को मिलते हैं. अगर चंद्रवंशी ने यह संस्थान शुरू किया होता तो संस्थान को करोड़ों रुपयों का फायदा होना तय था.

इन सभी आरोपों को राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी सिरे से नकारते हैं. उनका कहना है कि उन्हें बदनाम करने के लिए विपक्ष इस तरह के आरोप लगा रहा है. उनका 100 बेड का अस्पताल है, जिसमें सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, अत्याधुनिक भवन एवं मशीनें हैं, तो उन्हें गलत प्रमाण-पत्र लेने की क्या आवश्यकता है, वे सभी अहर्ताएं पूरी करते हैं.

दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी की संस्था रामचंद्र चंद्रवंशी वेलफेयर ट्रस्ट ने जीएनएम कोर्स 2016-2017 के लिए स्वीकृति मांगी थी. इसके लिए आवेदन नर्सिंग काउंसिल को भेजा गया. आवेदन के साथ पलामू जिला निबंधन पदाधिकारी ने 28 अप्रैल, 2016 को सोहारी चंद्रवंशी अस्पताल के लिए जारी प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र की कॉपी भी दी. संस्थान की रिपोर्ट पर तत्कालीन सिविल सर्जन सह डिस्ट्रिक्ट रजिस्टरिंग अथॉरिटी डॉ. कलानंद मिश्रा ने अपनी मुहर लगा दी, साथ ही पचास हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट जिसका नम्बर- 774499, दिनांक-03.03.2016 का बना हुआ नर्सिंग काउंसिल को भेजा गया. रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि जीएनएम कॉलेज खोलने के लिए निर्धारित अर्हता में शामिल एक सौ बेड का अस्पताल पलामू जिले के विश्रामपुर नगर परिषद् के नावाडीह में है. इस अस्पताल का नाम सोहारी चंद्रवंशी अस्पताल है, जबकि इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी ‘कॉसेट मैनेजमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम’ पर है, जबकि सच्चाई यह है कि इस क्षेत्र में कोई अस्पताल ही नहीं है. इसकी पुष्टि विश्रामपुर नगर पंचायत की अध्यक्ष हलीमा बीबी भी करती हैं. उन्होंने कहा कि हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि इस क्षेत्र में कोई अस्पताल भी चलता है.

जब प्रमाण-पत्र जारी करने वाले तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. कलानंद मिश्रा से इस अस्पताल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने व्यक्तिगत रूप से इस अस्पताल का निरीक्षण किया था. अस्पताल भवन में अत्याधुनिक उपकरण थे, डॉक्टर थे, सभी चीज देखकर ही नियमानुसार प्रमाण-पत्र दिया गया. मैंने किसी के दबाव में कोई काम नहीं किया है. पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही मैं कोई काम करता हूं. जबकि वर्तमान में वहां पदस्थापित सिविल सर्जन डॉ. बेनेदिक मिंज ने कहा कि हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि इस तरह का कोई प्रमाण-पत्र इस अस्पताल से जारी किया गया है. मुझे इस फाइल के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है. वैसे कुछ-कुछ ऊपर से सुनने को मिल रहा है, पर मैं इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहता हूं.

विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत, झारखंड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबुलाल मरांडी ने स्वास्थ्य मंत्री द्वारा फर्जी कॉलेज चलाये जाने, फर्जी प्रमाण-पत्र लेने के मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. साथ ही राज्यपाल से स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी को अविलंब बर्खास्त करने की मांग भी की है.

कोई झूठी रिपोर्ट नहीं भेजी – चंद्रवंशी

स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं. वे कहते हैं कि मैंने अपनी संस्था के संबंध में कोई भी फर्जी रिपोर्ट राज्य सरकार को नहीं दी है. मंत्री का यह कहना है कि अस्पताल कोई सामान तो है नहीं, जिसे छुपा दिया जाए. यह सब मेरी छवि को धूमिल करने के लिए विरोधियों की चाल है.

जब उनसे यह पूछा गया कि सोहारी चंद्रवंशी अस्पताल कितने बेड का है, तो उन्होंने कहा कि यह 100 बेड का बनाया गया है, इसमें अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं और यहां वरिष्ठ एवं विशेषज्ञ चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इस अस्पताल में आईसीयू एवं आईसीसीयू की सुविधा भी है. इस क्षेत्र का यह सबसे अत्याधुनिक अस्पताल के रूप में जाना जाता है.

वहीं, लोगों का कहना है कि यहां कोई अस्पताल नहीं है. एक मकान में केवल ओपीडी संचालित होता है. जब स्वास्थ्य मंत्री को यह बताया गया कि वहां मेडिकल सामान है, पर अस्पताल नहीं तो उन्होंने कहा कि हो सकता है कि उस समय अस्पताल में कोई मरीज नहीं रहा हो. अस्पताल नहीं है, यह आरोप बेबुनियाद है. फर्जी प्रमाण-पत्र मामले में उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई झूठी रिपोर्ट नहीं दी है. प्रमाण-पत्र सिविल सर्जन ने पूरी तरह से जांच पड़ताल कर ही दी है. कोई भी वरीय अधिकारी झूठी रिपोर्ट क्यों देगा?

क्या कहता है नियम?

जीएनएम कॉलेज खोलने के लिए संस्थान के पास अपना एक सौ बेड का अस्पताल होना जरूरी है. अगर उस कॉलेज के पास अपना अस्पताल नहीं है तो उस संस्था का कम से कम तीन ऐसे अस्पताल से संबंधन जरूरी है, जिनके पास 100 बेड का अस्पताल हो. ऐसे संबद्ध अस्पतालों की कॉलेज से दूरी 15 से 30 किलोमीटर जबकि पहाड़ी एवं आदिवासी इलाके में 50 किलोमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. अस्पताल के 75 प्रतिशत बेड पर मरीज भर्ती रहने चाहिए और अस्पताल में सामान्य बेड के साथ ही आईसीयू, आईआईसीयू, माइनर, मेजर ऑपरेशन थियेटर, गाइनिक, बच्चे, हड्डी, डेंटल, आईएनटी, न्यूरो वार्ड सहित अन्य सुविधाएं होनी चाहिए.

स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त करें – विपक्षी दल

मुख्यमंत्री रघुवर दास भले ही भ्रष्टाचार समाप्त करने को लेकर बड़े-बड़े दावे करें, लेकिन विवादों में घिरने के बाद भी अभी तक राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी पर न तो कोई कार्रवाई हुई है और न ही मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कोई टिप्पणी की है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने चाईबासा में स्वयं सहायता समूहों को संबोधित करते हुए कहा था कि चौदह साल में झारखंड को यहां के नेताओं और मंत्रियों ने केवल लूटने का काम किया है. झारखंड गठन के 16 साल हुए हैं और लगभग साढ़े तेरह वर्षों तक यहां भाजपा ने ही शासन किया है. ऐसे में जाहिर है कि मुख्यमंत्री अपने दल के नेताओं पर हमला तो कर रहे हैं, पर विवादों में घिरे मंत्रियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं.

झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा एवं कांग्रेस के आला नेताओं ने कहा कि मंत्री ने गलत रिपोर्ट देकर अपने कॉलेज को करोड़ों रुपये का अनुदान दिलाने का काम किया है. विपक्षी नेताओं ने मुख्यमंत्री पर भी निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कहते हैं, मुख्यमंत्री से लेकर संतरी तक को नहीं छोड़े जाने का दावा करते हैं, पर उनके मंत्री ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे हैं, तो मुख्यमंत्री उनके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं? क्या मुख्यमंत्री केवल जनता को गुमराह करने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं? विपक्षी नेताओं ने अविलंब स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त करने की मांग मुख्यमंत्री से की है.

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