ऐसा नहीं कि दर्शन सिर्फ साधना और ध्यान का विषय हो कई बार जीवन के सामान्य अनुभव भी बड़ी महत्वपूर्ण बातें सिखा जाते हैं ,

इसी तरह मनोरंजन जगत भी कई बार हमें जीवन के ऐसे अनुभवों से जोड़ता है जो हम सामान्यतः सोच नहीं पाते और ऐसा ही कुछ हुआ खेल के मैदान पर , और वो भी क्रिकेट के मैदान में भारत में क्रिकेट अंग्रेजों के माध्यम से आया और इतना लोकप्रिय हुआ कि घर में घर कर गया , लोगों के जीवन का अंग बन गया और ऐसा अंग बना कि गली मोहल्लों और छतो चोबारों तक आप लोगों को क्रिकेट खेलते देख सकते हैं , इसकी दीवानगी के उदाहरण हमारे आसपास देखे गए जो शर्त लगाने से लेकर ऑफिस और क्लास बंक करने के रूप में देखे गए ,

यहां पान की दुकान से लेकर चबूतरों और चौराहों पर क्रिकेट पर ऐसे ऐसे विश्लेषण होते हैं , ऐसे ऐसे एक्सपर्ट कमेंट होते हैं कि अगर क्रिकेट के समीक्षक और विशेषज्ञ सुन लें तो इनके पांव पकड़ लें, निकट भविष्य में बी सी सी आई इनसे सलाह लेने पर विचार कर सकती है ,
क्रिकेट की इसी दीवानगी के बीच सन 2004 में भारतीय क्रिकेट के मैदान में एक लंबे बालों वाला लड़का आता है


उस समय इस खेल में रोमांच की जिम्मेदारी लगभग सहवाग पर थी लंबे बालों वाला ये लड़का न केवल बैटिंग में बल्कि विकेट कीपिंग में ऐसे हाथ जमाता है जो अब तक दुर्लभ ही रहा , बिना गाडफादर के इस खिलाड़ी को महेंद्र सिंह धोनी के नाम से जाना गया , देश इस खिलाड़ी को असमंजस से देखता है क्योंकि अब तक वो परम्परागत क्रिकेट ही देख रहा था , धोनी अब तक के सारे मिथक तोड़ कर नई परिभाषाएं गढ़ते हैं, विकिट कीपिंग में वो अर्जुन की दृष्टि से बॉल को देखते हैं वहीं बैटिंग वो बॉल को ऐसी ऐसी जगह पहुंचाते हैं जहां जाने को वो बरसों से तरसती रही और जहां का उसने मुंह भी नहीं देखा था ,
रही सही कसर वो कप्तान बनकर पूरी करते हैं और अपनी कप्तानी में ऐसे ऐसे निर्णय लेते हैं कि क्रिकेट के पंडित अपने पोथे फाड़कर फेंक देते हैं और इस सब से भी निराली बात ये कि वो तमाम रोमांच और उपलब्धियों के बीच निर्विकार बने रहते हैं और बिना किसी आक्रामक प्रतिक्रिया के एक सौम्य मुस्कराहट बिखेर देते हैं , गोया कि दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं ,बाज़ार से गुज़रा हूं खरीदार नहीं हूं

उनके चौंकाने वाले निर्णयों में टी 20 में रॉबिन उथप्पा को बॉल आउट में लाना चेतेश्चर पुजारा को डेव्यू टेस्ट में तीन नंबर पर खेलने भेजना , जिससे उनको गावस्कर ट्राफी मिली चैंपियंस ट्राफी में तो उन्होंने कमाल कर दिया जहां उन्होंने सबको चौंकाते हुए अठारहवें ओवर में बॉल इशांत शर्मा को सौंपी जो अब तक मैच में काफी महंगे साबित हुए थे , इशांत लगातार दो गेंदों में बोपारा और मॉर्गन को आउट करते हैं और मैच में भारत वापस आ जाता है ,

भारत बनाम पाकिस्तान 2007 में टी 20 फाइनल में तो देश की धड़कन लगभग थम जाती है जब वो जोगिंदर शर्मा से बॉल करवाते हैं और खेल का पासा पलट देते हैं
धोनी के रिकार्ड्स और उनके अभूतपूर्व निर्णयों की दास्तां लंबी है उनके हार और जीत से परे खेल में हमेशा याद किए जाएंगे उनके फैसले , उनकी रणनीति , उनका टीम मैनेजमेंट , अपने और दूसरे पर भरपूर विश्वास , जोखिम उठाने का माद्दा , और इन सबसे भी उपर एक सौम्य मुस्कान और शांत सरोवर सा व्यक्तित्व
ऐसे व्यक्ति की पारी कभी समाप्त नहीं होती , वो हमेशा क्रिकेट के मैदान में मौजूद होंगे , नीली जर्सी न सही आसमान की तरह अनन्त सपनों और उड़ानों के बीच और बकोल साहिर लुधियानवी यही कहेंगे
मैं हर इक पल का शायर हूं
हर इक पल मेरी कहानी है
हर इक पल मेरी हस्ती है
हर इक पल मेरी जवानी है

वनिता बाजपेई
विदिशा मध्य प्रदेश

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