पालक का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पालक को किस विधि से खाया जाए, जिससे उसके पोषक तत्वों की कम से कम क्षति हो। वैज्ञानिकों का दावा है कि पालक समेत पत्तेदार सब्जी को अधिक पकाने से इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट नष्ट हो जाते हैं। खासकर इसमें मौजूद पोषक तत्व ल्यूटिन खत्म हो जाता है। जबकि इसे दही के साथ मिलाकर ग्रहण करने से ल्यूटिन प्रचुर मात्रा में निकलता है। ल्यूटिन हृदय रोग के जोखिम को कम करता है। यह आंखों की रोशनी के लिए भी काफी फायदेमंद है।
इसके लिए स्वीडन में लिंकोपिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने खाना पकाने के लिए बेबी पालक के विभिन्न तरीकों का परीक्षण किया। इस दौरान पालक को कई तापमान पर पकाया गया और ल्यूटिन के स्तर को कई चरणों में नापा गया। उन्होंने पाया कि विभिन्न तापमान पर इसकी पोषण सामग्री का स्वरूप भी बदलता गया। अध्ययन के प्रमुख लेखक रोस्ना चुंग ने कहा कि पालक को अधिक तापमान पर पकाना कतई उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इसका कच्चा सेवन यानी सलाद के रूप में सर्वश्रेष्ठ है। इसे खाने का सबसे स्वास्थ्यप्रद तरीका है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हरी सब्जी या पालक को लंबे समय तक पकाना या इसे फ्राई करना उचित नहीं है। अध्ययन से पता चलता है कि कम तापमान में पकाया जाने वाला भोजन विटामिन को बनाए रखता है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि कच्चे पालक को डेयरी पदार्थों (क्रीम, दूध या दही) के साथ मिलाकर खाना ज्यादा लाभप्रद है। दरअसल, डेयरी पदार्थ ल्यूटिन की घुलनशीलता को बढ़ाते हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि पालक के छोटे टूकड़े करने पर पत्तियों से अधिक मात्रा में ल्यूटिन निकलता है। यह ल्यूटिन वसा में घुलनशीलता को बढ़ाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ल्यूटिन जितनी आसानी से घूलता है वह शरीर द्वारा उतनी ही आसानी से अवशोषित किया जाता है।
पालक में पाया जाने वाला ल्यूटिन दिल के दौरे के जोखिम को घटाता है। दरअलस, ल्यूटिन कोरोनरी धमनी रक्त वाहिकाओं में पुरानी सूजन को कम करने में मदद करता है। इससे दिल का दौड़ा पड़ने का जोखिम कम होता है। इसे ‘आंखों के विटामिन’ के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि ल्यूटिन धूप से होने वाले नुकसान से बचाता है। हृदय रोग, पेट या स्तन कैंसर, और टाइप-2 मधुमेह के जोखिम को कम करने के लिए कई लोग ल्यूटिन की खुराक भी लेते हैं।