किसी ने सोचा न होगा कि कभी हाथों की लिखावट दिल के सारे राज़ खोल देगी, पर यह सच है. विज्ञान के अनुसार भी व्यक्ति की लिखावट में उसका व्यक्तित्व छिपा होता है. लिखावट यानी हैंडराइटिंग पढ़ने और इसके ज़रिए व्यक्तित्व को समझने की पढ़ाई को ग्राफोलॉजी कहते हैं. आजकल की ज़िदंगी में लोग इतने व्यस्त और कामकाजी हो चुके हैं कि उन्हें छोटी-छोटी बातों में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे अत्यधिक काम के दबाव से तनाव, अवसाद और नींद की कमी आदि. ऐसी ही रोज़मर्रा की समस्यायों को हल करने के लिए व्यक्ति को पता चले बगैर ग्राफोलॉजी द्वारा परिस्थितियों का पता लगाकर उसका इलाज संभव हो पाता है.
कोर्स-: ग्राफोलॉजी में व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करना सिखाया जाता है. कोर्स के दौरान व्यक्ति को मानसिक बीमारियों के बारे में पता लगाना भी सिखाया जाता है. इन दिनों ग्राफोलॉजी का सबसे बेहतर इस्तेमाल व्यक्ति का चरित्र सुधारने के लिए हो रहा है जिसे ग्राफोथेरॉपी कहते हैं. इसके तहत व्यक्ति के लिखावट का तरीका बदलकर उसकी पर्सनालिटी में भी बदलाव लाया जाता है. यह ग्राफोलॉजी के पाठ्यक्रम का अहम हिस्सा है.
हर पढ़ाई की तरह इसके भी मौलिक आधार होते हैं जिसे मानने के लिए व्यक्ति बाध्य होता है, जीवन के कई पहलुओं को बताने के बाद भी यह व्यक्ति की जाति, लिंग, रंग, भाई-बहनों में क्रमांक संख्या या भविष्य की बातें नहीं बता सकता है. इससे केवल व्यक्ति के सामाजिक रिश्ते, जीवन व समय बचाने का तरीक़ा, स्वाभिमान का विकास, सोचने का तरीक़ा, भय व हर्ष की स्थिति को जाना जा सकता है. प्रसिद्ध करियर काउंसलर प्रवीण मल्होत्रा का कहना है कि इस कोर्स के साथ यदि फॉरेंसिक साइंस का कोर्स किया जाए तो वह सोने पर सुहागा होगा.
योग्यता
ग्राफोलॉजी की पढ़ाई के लिए किसी शैक्षणिक योग्यता से ज़्यादा ज़रूरी है इस विषय में रुचि होना. विभिन्न तरह के लोगों के बारे में जानकारी प्राप्त करने और उनके व्यक्तित्व का अध्ययन करने का शौक़ इस विषय की पढ़ाई के लिए आवश्यक माने जाते हैं. वैसे लिखावट के आधार पर छोटे-छोटे अक्षरों में लिखने वाले इस पढ़ाई के लिए अव्वल होते हैं, क्योंकि ग्राफोलॉजी में यह माना जाता है कि जिसकी लिखावट छोटे अक्षरों की होती है वह अंतर्मुखी होता है. उसका दिमाग़ एकाग्र, तेज़, बुद्धि प्रबल और मन सुदृढ़ होता है. ये सभी गुण ग्राफोलॉजी के लिए बेहद फलदाई साबित होते हैं.
संस्थान
वैसे हमारे देश में अभी कम ही संस्थान हैं जो ग्राफोलॉजी का प्रशिक्षण देते हैं. इस क्षेत्र में देश का बेहतरीन संस्थान विशाखापतनम के हैंडराइटिंग अनालिस्ट ऑफ इंडिया को माना जाता है. इसके तहत तीन महीने से लेकर एक वर्ष तक की शिक्षा नियमानुसार पाने का प्रावधान है. दूसरा बेहतरीन संस्थान है दिल्ली स्थित ग्राफोलॉजी इंडिया डॉट कॉम, जहां से दो कोर्स होते हैं. लेखनी के बेसिक जानने के लिए केवल 750 रुपये में तीन हफ़्तों का अमेच्योर क्विक ग्राफोलॉजी लर्नर कोर्स, और दूसरा लेखनी के तमाम तकनीकों को जानने का चौबीस हफ़्तों में पूरा होने वाला सर्टिफिकेशन कोर्स इन ग्राफोलॉजी, केवल 3,500 रुपये में किया जा सकता है.
इसके अलावा एम. जे़ राजौर ग्राफोलॉजी संस्थान भी प्रतिष्ठित है. साथ ही बेंगलुरू के कई कॉलेज जैसे धर्मराज कॉलेज, श्रीभगवान महावीर जैन कॉलेज, हैंडराइटिंग इंस्ट्ीट्यूट ऑफ इंडिया व अन्य से इसके शार्ट-टर्म कोर्स किए जा सकते हैं.
अवसर
इस पढ़ाई को पूरा करने के बाद ग्राफोलॉजिस्ट किसी व्यक्ति के मस्तिष्क की वर्तमान स्थिति, उसके प्रियजनों से उसके मन की नज़दीकियां व दूरियों को भी आंक सकता है. ग्राफोलॉजी की ज़रूरत आम लोगों के बीच देखी जा रही है. ऐसे में यह तेज़ी से उभरता हुआ क्षेत्र है. ग्राफोलॉजी में निपुण व्यक्ति की आवश्कता हर बड़ी कंपनियों में पड़ने लगी है, क्योंकि आजकल कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए इस टेस्ट में उत्तीर्ण होना भी आवश्यक माना जाने लगा है जिससे पद के लिए उपयुक्त कर्मचारी का चुनाव हो सके.
आजकल सबसे ज़्यादा परेशानी रिश्ते निभाने में है, ऐसे में किसी काउंसलिंग कंपनी के साथ जुड़कर या अपनी काउंसलिंग कंपनी खोलकर लोगों की समस्या उजागर कर निदान कर सकते हैं. इसकी विश्वसनीयता देखकर सभी फॉरेंसिक जांच केंद्रों में भी हैंडराइटिंग अनालिस्ट की ज़रूरत होने लगी है. यही नहीं, पश्चिमी देशों में तो ग्राफोलॉजी मनोविज्ञान के अंतर्गत आने वाले एक विषय के रूप में उभर रहा है, ऐसे में विदेशों में भी इस कोर्स के बाद रोज़गार की प्रबल संभावनाएं नज़र आती हैं.
हाथों की लिखावट में छिपी है करियर की बुलंदी
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