भोपाल। सरकारी उड़न खटोला हादसा मामले में विमानन विभाग ने प्रदेश के चीफ पायलट कैप्टन माजिद अख्तर का उड़ान लाइसेंस एक साल के लिए निलंबित कर दिया है। इसके विपरीत करीब तीन माह पहले हुए हादसे के बाद कंडम हुआ 65 करोड़ का सरकारी विमान अब भी अटाले में पड़ा धूल खा रहा है।

कोरोना काल में प्रदेश के जरूरतमंद मरीजों के लिए अहमदाबाद से रेमडिसिवर इंजेक्शन की खेप लेकर आ रहा सरकारी विमान ग्वालियर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। मामले को लेकर की गई जांच के बाद डीजीसीए ने विमान के चीफ पायलट कैप्टन माजिद अख्तर का उड़ान लाइसेंस दुर्घटना दिनांक से एक साल के लिए निलंबित कर दिया है।

ये है मामला
हादसे से कुछ ही समय पहले करीब 65 करोड़ की लागत से खरीदे गए सरकारी विमान 6 मई को अहमदाबाद से रेमडेसिविर के 71 डिब्बे ला रहा था। इस दौरान वह रात साढ़े आठ बजे ग्वालियर रनवे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में कैप्टन माजिद अख्तर, सह-पायलट शिव जायसवाल और एक अन्य व्यक्ति मामूली रूप से घायल हो गए थे।

फैसले पर ऐतराज
हालांकि डीजीसीए के निलंबन संबंधी फैसले को लेकर कैप्टन माजिद से उनके आधिकारिक बयान के लिए संपर्क नहीं किया जा सका, लेकिन उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि वह डीजीसीए के फैसले को लेकर विचलित हैं क्योंकि यह फैसला विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो, भारत (एएआईबी) द्वारा अपनी जांच पूरी करने से पहले आया है।

पहले दायर हुई थी याचिका
सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2019 में एक वरिष्ठ पायलट द्वारा एक ऑनलाइन याचिका दायर की गई थी, जिसमें किसी भी अवधि के लिए पायलट के लाइसेंस को निलंबित करने के लिए DGCA की शक्ति को हटाने की मांग की गई थी। ‘पायलट के निलंबन के लिए डीजीसीए की व्यापक शक्तियों को फिर से स्थानांतरित करें’ शीर्षक वाली याचिका में तर्क दिया गया कि लाइसेंस केवल “घोर लापरवाही, जानबूझकर उल्लंघन के मामलों में निलंबित किए जाने चाहिए।” भारतीय विमान नियम, 1937 के मौजूदा प्रावधानों के तहत, यदि ऐसा करने के लिए पर्याप्त आधार है तो पायलट का लाइसेंस किसी भी समय के लिए निलंबित किया जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि प्रावधान में इस तरह संशोधन किया जाना चाहिए कि लाइसेंस तभी निलंबित किया जाए, जब प्रारंभिक या अंतिम जांच में घोर लापरवाही या जानबूझकर उल्लंघन के पर्याप्त सबूत मिल जाएं। ऑनलाइन याचिका में कहा गया है कि यदि प्रारंभिक जांच पूरी नहीं होती है, तो निलंबन 90 दिनों तक सीमित होना चाहिए।

अटाके में 65 करोड़
नौ सीटर बीच क्राफ्ट किंग एयर बी-250 जीटी को एक साल पहले पुराने एयरक्राफ्ट की नीलामी के बाद 65 करोड़ रुपये में खरीदा गया था, जिसके रखरखाव में सालाना 8 करोड़ रुपये का खर्च आता था। गौरतलब है कि पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुई
खरीद टेंडर प्रक्रिया के बाद इस विमान की खरीदी के रास्ते
तत्कालीन कमाल नाथ सरकार में
आसान हुए थे। लेकिन विमान की डिलीवरी लॉक डाउन के कारण रुकी रही। पुनः शिवराज सरकार के काबिज होने के बाद ये सरकारी विमान भोपाल आ पाया था। चंद दिनों बाद ही दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद से ये विमान अब ग्वालियर में ही अटाला होकर धूल खा रहा है। जबकि प्रदेश की जरूरी उड़ानें किराए के विमान से पूरी की जा रही हैं। ये विमान निजी कंपनियों से गुजरात, राजस्थान और दिल्ली से लिए जा रहे हैं। जिसके लिए सरकार को इन विमान कंपनियों को महंगा किराया अदा करना पड़ रहा है।

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