पणजी: गोवा कांग्रेस के प्रमुख गिरीश चूडांकर ने BJP और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर बड़ा हमला किया है, गिरीश चूडांकर ने कहा है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा पार्टी नेताओं से अल्पसंख्यकों तक पहुंच बनाने को कहा जाना अल्पसंख्यक समुदाय को मूर्ख बनाने का प्रयास है। हालांकि, चूडांकर ने कहा कि अल्पसंख्यकों को ‘‘मूर्ख’’ नहीं बनाया जा सकता है। क्योंकि अल्पसंख्यक अब बीजेपी की रणनीति को समझ गए हैं, उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को उनके खाने-पीने और पहनावे को लेकर भाजपा द्वारा पूर्व में की गई आलोचना को याद रखना चाहिए। केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने रविवार को कहा था कि पार्टी की ‘‘सर्व-समावेशी’’ छवि बनाने के लिए शाह ने पिछले हफ्ते पार्टी के नेताओं से अल्पसंख्यक समुदायों तक पहुंच बनाने को कहा था। चूडांकर ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, रविवार को जारी एक बयान में कहा, ‘‘अल्पसंख्यकों को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता है और वे भाजपा की उस चुप्पी को नहीं भूलेंगे, जब सात अक्टूबर, 2004 को विश्व हिंदू परिषद ने उन्हें (अल्पसंख्यकों) गोवा में ‘राहु-केतु’ कहा था।’’
–@AmitShah ji ur “love” for minorities’ (Votes?) was exposed to Goans on DyCM Francisco D’Souza being denied d deserved CM Post as he was rejected by @RSSorg despite being senior & committed to @BJP4India @BJP4Goa -Was rejected for being minority 1/2@INCGoa
— Girish Chodankar (@girishgoa) February 10, 2019
Minorities cannot be fooled & will not forget BJP’s silence despite protests, When VHP called them Rahu-Ketu in Goa on 7/10/2004. And further exposed by attacks on lifestyle of minorities by supressing their religious, dressing & eating habits.https://t.co/hinZ2Wxk2y
2/2— Girish Chodankar (@girishgoa) February 10, 2019
उन्होंने कहा, “भाजपा का चेहरा तब और उजागर हो गया जब उसने अल्पसंख्यकों की कपड़े पहनने और खाने की आदतों को लेकर उनकी जीवनशैली पर हमला करना शुरू कर दिया।’’ चूडांकर ने यह भी दावा किया कि भाजपा और आरएसएस ने गोवा के मुख्यमंत्री पद के लिए तब उप मुख्यमंत्री फ्रांसिस डिसूजा को नजरअंदाज किया था जब मनोहर पर्रिकर को 2014 में रक्षामंत्री नियुक्त किया गया था। कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग छिड़ी हुई है और ये चुनावी फुटेज लेने की होड़ में दिया गया बयान है लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि अल्पसंख्यकों का रुझान हमेशा से ही कांग्रेस के साथ रहा है और अगर बीजेपी 5 साल सत्ता में रहने के बाद अब भी अल्पसंख्यकों में अपना जनाधार तलाशने में लगी हुई है तो ये साफ़ दर्शाता है कि अल्पसंख्यक आज भी बीजेपी के साथ नहीं है जो बीजेपी की सफलता की कहने खुद बयान कर रहा है.