देश भर में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का भाजपाई अभियान अब गंगा विश्वविद्यालय की स्थापना पर आकर टिक गया है. अब गंगा की सफाई की व्यवहारिकता पर काम करने की बजाय सफाई पर शोध किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद गंगा की सफाई पर सबसे अधिक बोलने वाली केंद्रीय जल संसाधन एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती गंगा विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए प्रयासरत हैं. इस संदर्भ में उन्होंने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव से मुलाकात की. ग़ौरतलब है कि साध्वी उमा भारती ने कहा था कि तीन साल में गंगा नदी को स्वच्छ बना दिया जाएगा. मुख्यमंत्री अखिलेश और वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव से प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा विश्वविद्यालय की स्थापना किए जाने के विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा हुई. उमा भारती और शिवपाल यादव ने इसकी आधिकारिक पुष्टि की. उमा भारती ने कहा कि गंगा की स्वच्छता एवं उसके संरक्षण पर शोध के लिए उक्त विश्वविद्यालय खोला जा रहा है और यह निर्मल गंगा के उद्देश्य में शामिल है. गंगा एवं उसकी सहायक नदियों की पड़ताल के बाद उनके पुनर्जीवन के लिए भी सरकार कई क़दम उठाने जा रही है.
उमा भारती ने कहा कि गंगा विश्वविद्यालय जल शोधन एवं संरक्षण केंद्र के रूप में काम करेगा. इसमें जल शोधन की नई तकनीक पर शोध होगा. गंगा एवं उसकी सहायक नदियों की वास्तविक स्थिति की पड़ताल के लिए तीन सौ करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं. गंगा विश्वविद्यालय में देश-विदेश के छात्र दुनिया भर के पानी की किस्मों, पर्यावरण और अन्य विषयों की पढ़ाई करेंगे. उन्होंने दावा किया कि आगामी डेढ़ साल में गंगा में सफाई का एहसास होने लगेगा. इस बारे में उन्होंने उन मुख्यमंत्रियों से सकारात्मक बातचीत की है, जिनके राज्यों से होकर गंगा बहती है. उनमें भाजपा या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के किसी घटक की सरकार नहीं है. बावजूद इसके गंगा के निर्मलीकरण में उनका पूरा सहयोग मिल रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आश्वस्त किया है कि गंगा की सफाई में राज्य सरकार केंद्र को पूरा सहयोग देगी. केन-बेतवा लिंक परियोजना पर मिलकर कार्य करने पर केंद्र एवं राज्य सरकार के बीच सहमति बन गई है. यह परियोजना दस हज़ार करोड़ रुपये की है.
उमा भारती ने बताया कि लखनऊ में बाढ़ नियंत्रण आयोग का कार्यालय खोलने की प्रदेश सरकार की मांग मंजूर कर ली गई है. वर्ष 1972 में गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग गठित हुआ था, जिसका मुख्यालय पटना में बनाया गया था. अखिलेश ने कहा कि केंद्र द्वारा गंगा की सफाई के लिए जो भी प्रयास किए जाएंगे, राज्य सरकार उसमें पूरा सहयोग करेगी. उन्होंने कहा कि गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए ज़रूरी है कि सहायक नदियों पर भी पूरा ध्यान दिया जाए. बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि कानपुर, मथुरा एवं वृंदावन में नालों को डायवर्ट किया जाएगा. यह भी तय किया जाएगा कि इनका पानी शोधन के बाद ही नदी तक पहुंचे. गंगा के किनारे स्थित गढ़मुक्तेश्वर, कन्नौज, कानपुर, इलाहाबाद एवं वाराणसी सहित दूसरे शहरों की रीवर फ्रंट विकास परियोजनाएं राज्य सरकार द्वारा केंद्र को भेजी जाएंगी. बैठक में यह भी तय हुआ कि माघ स्नान के लिए गंगा में एक हज़ार क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा. एसटीपी के ज़रिये पानी को शोधित करके उसे सिंचाई एवं औद्योगिक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे नदियों में जलस्तर बरकरार रहे. राज्य सरकार से कहा गया है कि वह बुंदेलखंड के लिए स्पेशल सिंचाई पैकेज का प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजे. केंद्र उस पर विचार करेगा.
राजनीति और गंगा नरेंद्र मोदी ने जब कहा था कि गंगा के शुद्धिकरण के लिए हज़ारों करोड़ रुपये खर्च करके जनता को बेवकूफ बनाया जाता रहा, अब जनता उसका हिसाब चाहती है, तो उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि गंगा क्षेत्र के बाहर के लोगों को गंगा की चिंता करने की ज़रूरत नहीं. संयोग से नरेंद्र मोदी गंगा क्षेत्र से ही सांसद चुन लिए गए. अब चुनौती वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है. केवल उन्हीं के संसदीय क्षेत्र में प्रतिदिन 20 करोड़ लीटर मल-मूत्र और औद्योगिक कचरा गंगा नदी में गिरता है. घाटों के किनारे दिन-रात लाशें जलती हैं. राख, अधजली लकड़ियां, अधजली लाशें और मृत जानवर उसमें तैरते रहते हैं. दूसरी तरफ़ कानपुर में गंगा चमड़ा कारखानों के कारण काली और ज़हरीली हो चुकी है. कानपुर में 372 पंजीकृत टेनरियां हैं और 500 से अधिक ग़ैर-पंजीकृत. दर्जनों नाले हैं, जिनसे बड़ी मात्रा में कचरा गंगा में जाता है. आईआईटी कानपुर की जांच में बताया गया है कि चमड़ा कारखानों के गंदे पानी में क्रोमियम की मात्रा लगभग 124 मिलीग्राम प्रति लीटर है, जो निर्धारित मात्रा से 62 गुना अधिक है. कानपुर के पुरातन ट्रीटमेंट प्लांट की तकनीक क्रोमियम को साफ़ करने में सक्षम नहीं है. यहां पर क़रीब 16 करोड़ लीटर शहरी सीवेज के ट्रीटमेंट की व्यवस्था है. इस सीवेज में भी क्रोमियम की मात्रा करीब 17 मिलीग्राम प्रति लीटर यानी ख़तरनाक स्तर तक पाई गई. कई चमड़ा कारखानों का ज़हरीला कचरा शहर की सीवर लाइन में डाला जा रहा है.
1985 में राजीव गांधी की पहल पर गंगा एक्शन प्लान बना था, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल किया गया था. बाद में गंगा को राष्ट्रीय नदी भी घोषित किया गया. देश की एक ब़ड़ी आबादी गंगा के सहारे ही जीती है. अब जब केंद्र की नई सरकार ने गंगा की सफाई को लेकर एक नई पहल की, तो राजनीति फिर अड़ंगे डालने लगी. केंद्र सरकार भी एकसूत्रीय अभियान चलाने की जगह गंगा सफाई के नाम पर कई लक्ष्य साधने लगी. यहां ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आरोप लगा चुके हैं कि भाजपा का गंगा सफाई अभियान राजनीति से प्रेरित और कम्युनल एजेंडे पर आधारित है.