बीजेपी के कद्दावर नेता और देश के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का आज 24 अगस्त 2019 को दिल्ली में निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली. अरुण जेटली को बीते 9 अगस्त को सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी की शिकायत के बाद एम्स में भर्ती किया गया था. लंबे समय से डायबिटीज़ से ग्रसित होने के कारण अपने बढ़े हुए वजन को कम करने के लिये सितंबर 2014 में उन्होंने बेरियाट्रिक सर्जरी कराई थी. तो वहीं पिछले साल 14 मई को एम्स में उनके गुर्दे का प्रत्यारोपण हुआ था.
पिछले कुछ दिनों से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी. ऐसे में एम्स के डॉक्टर्स ने उन्हें ईसीएमओ में शिफ्ट कर दिया था. जहां डाक्टर्स लगातार उनकी सेहत की निगरानी में लगे हुए थे. ईसीएमओ के जरिए उनके शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही थी.
28 दिसम्बर, 1952 को दिल्ली में जन्में अरुण जेटली ने छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत की थी. साल 1973 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के ‘संपूर्ण क्रांति आंदोलन’ में उन्होंने बढ़ चढ़ कर भाग लिया था. आपातकाल के वक्त 19 महीने रहे नजरबंद जेटली वर्ष 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बने.
साल 1975-77 तक देश में आपातकाल के दौरान उन्हें मीसा एक्ट के तहत 19 महीने तक नजरबंद रहना पड़ा. इसके तुरंत बाद वे जनसंघ में शामिल हो गए. साल 1991 में पहली बार जेटली को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य के तौर पर शामिल किया गया. इसके बाद वह काफी लंबे वक्त तक भाजपा प्रवक्ता रहे. 1999 में एनडीए की सरकार बनने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अरुण जेटली को पहली बार केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया था.
अटल कैबिनेट में उन्हें राज्य मंत्री बनाकर कानून एवं न्याय, सूचना एवं प्रसारण के साथ साथ विनिवेश जैसे अहम मंत्रालयों का जिम्मा सौंपा गया था. अरुण जेटली अटल के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक थे.साल 2006 में जेटली पहली बार राज्यसभा सांसद बने. जून 2009 में उन्हें पार्टी ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता की अहम जिम्मेदारी सौंपी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. बीजेपी में अरुण जेटली ने एक महत्वपूर्ण रणनीतिकार से लेकर कई बड़ी जिम्मेदारियां संभाली. 2014 लोकसभा चुनावों में उनको अमृतसर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया.
हालांकि, जेटली यह चुनाव हार गए, बावजूद इसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें वित्त और रक्षा मंत्रालय की दो बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी. नोटबंदी से लेकर जीएसटी लागू करने में अरुण जेटली की अहम भूमिका रही. कुशल राजनीतिज्ञ होते हुए अरुण जेटली ने वकील के तौर पर भी खूब नाम कमाया.
आपातकाल के बाद से ही वह वकालत की प्रैक्टिस शुरू करने वाली जेटली साल 1990 में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील नियुक्त हुए. हालाकिं इस पद पर पहुंचने से पहले ही वी. पी. सिंह ने 1989 में उन्हें देश का अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल नियुक्त किया था. बोफोर्स घोटाले से जुड़ी जांच की जरूरी कागजी कार्रवाई जेटली ने ही पूरी की थी. जेटली ने बतौर वकील शरद यादव, लालकृष्ण आडवाणी, माधवराव सिंधिया, बिड़ला परिवार और फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा को अदालत से बरी करवाया है. अरुण जेटली को क्रिकेट से भी बेहद लगाव था और वे बीसीसीआई के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं.