मुनाफे वाले निगम-मंडल तरस रहे एरियर के लिए
भोपाल। तीन साल से भटक रही एरियर फाइल ठिकाने तक नहीं पहुंच रही है। नतीजा ऐसे निगम-मंडल, जिन्हें कमाऊ और मुनाफे का कहा जाता है, अपने अधिकार की एरियर राशि के लिए तरस रहे हैं। जबकि प्रदेश सरकार बाकी सभी विभागों को सातवां वेतनमान और उसके लिए एरियर राशि भुगतान कर चुकी है। प्रदेश के निगम-मंडलों में 2 साल बाद सातवां वेतनमान दिया गया लेकिन 2016 से 2018 तक के एरियर्स की राशि का भुगतान अब भी नहीं किया गया है। राज्य शासन द्वारा एरियर के भुगतान के लिए वित्त विभाग की अनुमति की अनिवार्यता से यह हालात बने हुए हैं। वित्त विभाग निगम-मंडलों से प्रस्ताव आने के बाद भी उन्हें एरियर्स की राशि के भुगतान की अनुमति नहीं दे रहा है।
सेमी गवर्नमेंट एंप्लाइज फेडरेशन के अध्यक्ष अनिल बाजपेई एवं निगम-मंडल कर्मचारी महासंघ के महामंत्री चंद्रशेखर परसाई ने बताया कि वित्त विभाग द्वारा 6 अप्रैल 2018 को सातवें वेतनमान के एरियर का भुगतान तीन किस्तों में किए जाने के आदेश दिए गए थे। राज्य शासन के कर्मचारियों को तीनों किस्तों का भुगतान हो चुका है। विभिन्न निगमों मंडलों की फाइलें वित्त विभाग में अनुमोदन के लिए 3 साल से घूम रही है। जहां पर वित्त विभाग को पैसा नहीं देना है वहां पर भी अनुमति नहीं दी जा रही है।
3 साल में 9 बार भेज चुका प्रस्ताव
एमपी एग्रो 20 करोड़ के लाभ में है, निगम द्वारा पिछले 3 वर्षों में 9 बार वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। वित्त विभाग को कोई राशि नहीं दी जाना है। फिर भी स्वीकृति नहीं दी जा रही है। इसी तरह से वेयरहाउसिंग कारपोरेशन, नागरिक आपूर्ति निगम, इलेक्ट्रॉनिक निगम, पर्यटन निगम, लघु उधोग निगम जैसे बड़े निगमों को भी एरियर्स भुगतान की अनुमति नहीं दी जा रही है। वेयरहाउस एवं नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा गेहूं उपार्जन एवं संग्रहण का महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है।