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उत्तर प्रदेश में विकास को लेकर सरकार अब तक खुद अपने हाथो से अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन इस विकास की हकीकत सब के सामने है. बता दें कि विकास के नाम पर महज उत्तर प्रदेश की दीवारें रंगी जा रही हैं लेकिन इससे प्रदेश के किसानों का क्या भला होगा यह तो सोचने वाली बात है. बता दें कि आज सुबह तड़के लखनऊ विधानसभा के पर किसानों ने अपना विरोध दर्ज कराया। किसानों का कहना है कि आलू का लागत मूल्य ही नहीं निकल पा रहा है, ऐसे में किसानों के सामने बड़ी समस्या उठ खड़ी हुई है।

कड़ाके की ठंड के बावजूद किसानों ने तड़के करीब चार बजे विधानभवन के सामने, हजरतगंज, राजभवन के सामने और कुछ अन्य मार्गों पर आलू फेंककर सरकार की नीतियों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।

किसान नेता राजेन्द्र सिंह का कहना है कि कोल्ड स्टोरेज का किराया 220 रुपए प्रति क्विंटल है और बाजार में किसान को 150 से 200 रुपए प्रति क्विंटल आलू बेचना पड़ रहा है। ऐसे में किसान के सामने आलू फेंकने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।

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सिंह ने कहा कि सरकार ने समर्थन मूल्य तो घोषित कर दिया लेकिन सरकार आलू कहां खरीद रही है यह किसी को पता नहीं है। उनका कहना था कि अधिकारी केवल आंकड़ों का खेल, खेल रहे हैं। सरकार भी अधिकारियों की सुन रही है। किसानों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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