हरियाणा के करनाल में किसान नेताओं और पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियीं के बीच बुधवार को सवा तीन घंटे चली वार्ता नाकाम रही लिहाजा गुरुवार को भी ये धरना जारी है। वहीं मिनी सचिवालय पर जारी किसानों के धरने को देखते हुए आज भी करनाल जिले में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद रखने के आदेश हरियाणा सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए गए हैं। बता दें कि कल दो दौर की वार्ता हुई जिसमें प्रशासन की ओर से डीसी-एसपी ने और रेंज कमिश्नर ने बातचीत की थी।

किसानों की तादाद देखते हुए हरियाणा गृह मंत्रालय ने फिलहाल सुरक्षा की दृष्टि से मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवा को आज भी बंद रखने का निर्णय लिया है। उधर किसान नेता भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने प्रशासन ने दो दौर की वार्ता के बाद बुधवार को कहा कि हमारी मांग थी कि आईएएस आयुष सिन्हा को निलंबित कर मामला पंजीबद्ध किया जाए। प्रशासनिक टीम मामला दर्ज करना तो दूर निलंबित करने के लिए भी तैयार नहीं है। टिकैत ने जोर देकर कहा कि उनका एक मोर्चा दिल्ली बॉर्डर पर है और अब दूसरा करनाल सचिवालय पर जारी रहेगा।

बड़े नेता दिल्ली रवाना
बुधवार शाम को बैठक बेनतीजा रहने के बाद किसानों के अधिकतर बड़े नेता भी बेमियादी धरने का एलान कर दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पहले से चल रहे धरनों की ओर कूच गए। करनाल में धरने की जिम्मेदारी पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उतर प्रदेश के किसानों को दी गई है।

लोग परेशान
वहीं किसानों और सरकार का यह अड़ियल रवैया स्थानीय लोगों के लिए जरूर परेशानी का सबब बन गया है, क्योंकि लघु सचिवालय के बाहर किसानों ने तंबू गाड़ लिया है और इस ओर आने वाले तमाम रास्ते पहले ही प्रशासन ने सील कर रखे हैं। मंगलवार को भी आवाजाही खासी प्रभावित रही और लोग वैकल्पिक रास्तों पर भटकते नजर आए।

कम हैं समझौते के आसार
किसानों की पूर्व मांगों के साथ-साथ जिन नए मुद्दों पर करनाल का यह नया आंदोलन खड़ा किया गया है। उस पर अभी तक समझौते के आसार कम ही दिख रहे हैं। 28 अगस्त के लाठीचार्ज के बाद किसानों ने इस आंदोलन में जिन मांगों को बुलंद कर रखा है, उन्हें सरकार जायज नहीं मानती। लेकिन किसानों ने इस आंदोलन को अब ‘न्याय की जंग’ करार दे दिया है। मंगलवार को दूसरी बार किसानों से बातचीत में भी आला अफसरों ने किसानों से इन्हीं मांगों पर समझौता करने का खासा प्रयास किया। बैठक के बीच कई बार अफसरों ने चंडीगढ़ सरकार से निर्देश लेते हुए किसानों को मनाने के लिए हरसंभव प्रयास किया। मगर बात सिरे नहीं चढ़ी।

 

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