उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत के साथ जीतने के बाद भाजपा ने निकाय चुनावों में भी प्रचंड जीत हासिल की है. इस चुनाव परिणाम के बाद ईवीएम को लेकर फिर सवाल उठने लगे हैं. ईवीएम द्वारा वोटिंग में भाजपा की जीत का प्रतिशत 48 प्रतिशत है, जबकि बैलेट पैपर द्वारा वोटिंग में उस की जीत का प्रतिशत केवल 17 प्रतिशत ही है.

यह संदेह और तब गहरा गया, जब एक निर्दलीय प्रत्याशी ने आरोप लगाया कि उसे एक भी वोट नहीं मिला है. उसका कहना है कि उसे दूसरों ने न सही, लेकिन उनका और उनके परिवार का वोट तो मिला ही होगा. सहारनपुर से निर्दलीय उम्मीदवार शबाना बता रही हैं कि उन्हें एक भी वोट नहीं मिला है. वार्ड नम्बर 54 से प्रत्याशी का कहना है कि मतगणना के बाद उन्हें एक भी वोट नहीं मिलने की बात पता चली. उन्होंने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि मैंने और मेरे परिवार ने मुझे वोट दिया था, तो फिर उनका वोट कहां गया. उन्हें एक भी वोट कैसे नहीं मिला. उन्होंने कहा कि कम से कम मुझे 1000 वोट मिलने थे, लेकिन एक भी वोट नहीं मिलना यह दिखाता है कि ईवीएम में काउंटिंग के दौरान खेल किया गया है.

इससे पहले भी ईवीएम को लेकर सवाल उठते रहे हैं. कानपुर के वार्ड नम्बर 66 में भी वोटिंग के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी की बात पता चली थी. इसके बाद स्थानीय लोगों ने जमकर हंगामा भी किया था. बसपा ने भी ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर भाजपा पर जोरदार हमला किया है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि अगर भाजपा लोकतंत्र में विश्‍वास करती है और अपने को एक ईमानदार पार्टी मानती है, तो उसे चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर बैलेट से चुनाव कराना चाहिए. मायावती ने कहा है कि यदि बैलेट पेपर से चुनाव होगा तो भाजपा सत्ता में नहीं आएगी. उन्होंने कहा कि अगर ईवीएम से चुनाव नहीं होता तो बसपा के मेयरों की संख्या और भी ज्यादा होती. गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश में हुए नगर निगम चुनावों में भाजपा ने 16 में से 14 सीटों पर जीत हासिल की है. नगरपालिका परिषद की 198 सीटों में से भाजपा को 70 जबकि बसपा को 29 सीटों पर सफलता मिली.

 

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