मस्जिदों में तरावीह पर पाबंदी, हाफिज हो रहे परेशान
भोपाल। राजधानी भोपाल में सैंकड़ों मदरसा और इनमें तालीम पाकर तैयार होने वाले हजारों हाफिज (कुरआन कंठस्थ करने वाले)। मदरसों में शिक्षा देकर सालभर अपना गुजारा करना और माह-ए-रमजान में तरावीह (नमाज के दौरान कुरआन पाठ) पढ़ाना इनकी आमदनी का जरिया है। लेकिन पिछले एक साल से न मदरसों की पढ़ाई जारी है और न ही मस्जिदों में तरावीह पढऩे की इजाजत। ऐसे में हजारों हाफिजों के सामने मुश्किल हालात खड़े हो गए हैं। मदरसों से महीने की तंख्वाह न मिल पाने के हालात के बीच रमजान से होने वाली आमदनी से भी दूरी ने इनकी उम्मीदों को तोड़ दिया और मुश्किलों को बढ़ा दिया है।
मदरसा जामिया शरीफिया कीरत-उल-कुरआन, शारदा नगर के कारी औसामा अहमद बताते हैं कि पिछले साल लॉक डाउन शुरू होने के दौर से ही मदरसों में तालाबंदी के हालात हैं। जिसके चलते यहां आने वाले स्टुडेंट्स और व्यवस्थापकों से मिलने वाली तंख्वाह के हालात खत्म हो गए हैं। ज्यादातर हाफिज रमजान माह में तरावीह की नमाज अदा कराने के लिए शहरभर की मस्जिदों में पहुंचते हैं। जिसके बदले उन्हें नजराना के तौर पर अच्छी रकम मिल जाती है, जिससे उनकी रमजान और उसके बाद ईद की तैयारियों का आसरा हो जाता है। लगातार दूसरे साल मस्जिदों में तरावीह न होने से राजधानी भोपाल के सैंकड़ों हाफिजों के सामने मुश्किल हालात खड़े हो गए हैं।
कारी औसामा बताते हैं कि दो साल पहले तक हालात यह होते थे कि लोग रमजान से कई महीनों पहले हाफिजों की बुकिंग करना शुरू कर देते थे, ताकि समय पर उन्हें बेहतर हाफिज के साथ तरावीह पढऩे का मौका मिल जाए, लेकिन बदले हालात में हाफिजों को कुरआन सुनाने का मौका नहीं मिल पा रहा है। वे बताते हैं कि इस साल ऐन वक्त तक तरावीह को लेकर स्पष्ट आदेश न हो पाने के चलते अधिकांश हाफिज बिना काम के ही बैठे हैं। कारी औसामा बताते हैं कि राजधानी भोपाल के हाफिजों के इल्म (ज्ञान) का आलम यह रहा है कि उनके लिए दिल्ली, मुंबई और देश के अन्य बड़े शहरों से फरमाईश आया करती थी। साथ ही राजधानी भोपाल के अलावा आसपास के जिलों रायसेन, सीहोर, विदिशा, होशंगाबाद आदि में भी यहां के हाफिजों द्वारा कुरआन पढ़ा और सुनाया जाता था, लेकिन कोविड हालात ने इनके सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
मुश्किल में बाजार भी
रमजान माह के दौरान बाजार में जमकर होने वाली खरीद-फरोख्त के हालात पर फिलहाल असमंजस के बादल मंडरा रहे हैं। सारी रात आबाद रहने वाले बाजारों के कारोबारियों को अब रात 9 बजे बाजार बंद के हालात ने सहमा रखा है। जिसके चलते अधिकांश व्यापारियों ने रमजान और ईद के लिहाज से अपने स्टॉक को अपडेट नहीं किया है। इब्राहिमपुरा बाजार के इत्र फरोश रफीक अहमद बताते हैं कि रमजान माह में पूरी रात कारोबार करने वाले व्यापारी अब दिन के धंधे को लेकर भी असमंजस में हैं। लॉक डाउन की लटकती तलवार के चलते न तो ग्राहकों के बाजार पहुंचने की उम्मीद की जा रही है और न आर्थिक रूप से टूटे लोगों से त्यौहार पर बड़ी खरीदारी की कोई आस है।
इनका कहना
मस्जिदों के अलावा बड़ी तादाद में लोग घरों में भी तरावीह की नमाज अदा किया करते थे। जिसके लिए हाफिजों को पाबंद किया जाता था और उन्हें बेहतर नजराना दिया जाता था, लेकिन कोविड गाइडलाइन के चलते घरों में भी लोग जमा होने से कतरा रहे हैं। सरकार को हाफिजों की परेशानी को समझते हुए उनके लिए मुआवजा तय करना चाहिए।
काजी सैयद अनस अली नदवी,अध्यक्ष, ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड