election steps of india's president
नई दिल्ली : अभी तक राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारों का नाम तय नही हुआ है लेकिन जुलाई में भारत के वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है जिसे देखते हुए कई नामों को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है फिलहाल कोई भी नाम ऐसा नहीं है जिसके बारे में कुछ भी कहा जा सके.
इस मौके पर ये यह जानना भी ज़रूरी हो जाता है कि राष्ट्रपति का चुनाव आखिर किस तरह से किया जाता है.
कौन लोग इस पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं, इस पद के लिए होने वाले चुनाव की प्रक्रिया क्या है, मतदान कैसे होता है, मत का मूल्य कैसे तय किया जाता है और कौन-कौन से लोग मतदान में भाग लेते हैं? आम आदमी राष्ट्रपति चुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया को समझ सके, उससे परिचित हो सके, इसलिए आज हम आपको ‘राष्ट्रपति’ से जुडी हुई सभी जानकारियाँ देने जा रहे हैं.
election steps of india's presidentसंविधान के निर्माण के वक़्त ही यह तय हुआ कि देश को न केवल प्रधानमंत्री, बल्कि राष्ट्रपति भी मिले. संविधान के अनुच्छेद 52 के अनुसार, भारत का एक राष्ट्रपति होना अनिवार्य है, जिसका कार्यकाल पांच वर्ष का हो. राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को 15,000 रुपये की ज़मानत राशि के साथ अपना नामांकन दाखिला करना होता है. इसके साथ ही उसे कम से कम पचास मतदाताओं (सांसद/विधायक) के प्रस्ताव और समर्थन की ज़रूरत होती है. राष्ट्रपति चुनाव भी चुनाव आयोग ही कराता है.election steps of india's presidentएक व्यक्ति को राष्ट्रपति बनने के लिए कुछ अनिवार्य शर्तें हैं –

  • वह भारत का नागरिक हो.
  • उसने कम से कम 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली हो.
  • वह लोकसभा का सदस्य बनने की पात्रता रखता हो.
  • राष्ट्रपति बनने के बाद उम्मीदवार संसद के किसी भी सदन या राज्यों की किसी भी विधानसभा/विधान परिषद का सदस्य नहीं होना चाहिए.
  • वह भारत सरकार के अंतर्गत किसी भी लाभ के पद पर न हो.
  • भारत में राष्ट्रपति का चयन सीधे-सीधे जनता नहीं करती है, लेकिन वह अप्रत्यक्ष रूप से इस चुनाव में सम्मिलित होती है.
  • राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जनता का वोट उसके प्रतिनिधि यानी क्षेत्र के विधायक के ज़रिए मिलता है.
  • राष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य मतदान करते हैं.

राष्ट्रपति चुनाव में कोई भी पार्टी व्हिप नहीं जारी करती है यानी यह ज़रूरी नहीं है कि किसी भी पार्टी के सदस्य उस पार्टी द्वारा प्रस्तावित उम्मीदवार को ही वोट करेंगे. चूंकि राष्ट्रपति चुनाव में गुप्त मतदान होता है, इसलिए इसका खुलासा नहीं हो पाता है कि किस सांसद/विधायक ने किस उम्मीदवार को वोट दिया. देश में छह राज्य ऐसे हैं, जहां विधानसभा के साथ-साथ विधान परिषद भी है, लेकिन इस चुनाव में केवल राज्यों के निचले सदन (विधानसभा) के सदस्य ही मतदान में भाग ले सकते हैं.

देश में सभी राज्यों में उच्च सदन (विधान परिषद) नहीं है. सभी राज्यों में एकरूपता और समानता बनी रहे, इसलिए केवल विधानसभा के सदस्यों को ही राष्ट्रपति के चुनाव में मत देने का प्रावधान है. विधानसभा में ऐसे विधायक, जो राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं, वे किसी क्षेत्र विशेष की जनता का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, इसलिए राष्ट्रपति के  चुनाव में उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होता है. ठीक यही नियम लोकसभा और राज्यसभा में मनोनीत सदस्यों पर लागू होता है.

राज्यसभा के वे सदस्य, जिन्हें अपने क्षेत्र में विशिष्ट पहचान और स्थान बनाने की वजह से मनोनीत किया गया है, भी राष्ट्रपति के चुनाव में अपना वोट नहीं डाल सकते. उदाहरण के तौर पर इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा सदस्य क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, अभिनेत्री रेखा एवं अनु आगा अपना वोट नहीं डाल सकेंगे. इसी तरह लोकसभा में मनोनीत किए जाने वाले एंग्लो इंडियन सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते हैं.
अब यह जानते हैं कि आ़िखर राष्ट्रपति चुनाव में मतदान किस प्रकार होता है –

भले ही 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 1.2 अरब है, लेकिन अभी भी भारत में चुनावों के लिए 1971 की जनगणना के आंकड़ों को आधार माना जाता है. 2026 तक 1971 की जनगणना के आधार पर ही चुनाव संपन्न होंगे. राष्ट्रपति चुनाव के लिए ़खास प्रकार का फार्मूला तय किया गया है, जिससे बिना किसी पक्षपात या गड़बड़ी के यह चुनाव सही तरीक़े से संपन्न हो सके.

इसके लिए यह जानना ज़रूरी है कि राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्येक मतदाता का मत एक मत के रूप में नहीं गिना जाता है. सांसदों के वोट की वैल्यू तो समान होती है, मगर हर राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू अलग-अलग होती है. दोनों सदनों के निर्वाचित सांसदों के वोट की वैल्यू सभी राज्यों के विधायकों की कुल वोट वैल्यू के बराबर होती है.

राष्ट्रपति चुनाव में इस्तेमाल होने वाले फार्मूले के आधार पर वोट वैल्यू निकालने के तीन चरण हैं –

  • सबसे पहले हर राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू निकाली जाती है.
  • विधायकों की संख्या के आधार पर उस राज्य के  कुल वोटों की वैल्यू निकाली जाती है.
  •  देश के कुल विधायकों की संख्या और वोट वैल्यू के आधार पर लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के वोट की वैल्यू निकाली जाती है.
  • इस प्रक्रिया से गुज़रते हुए राष्ट्रपति चुनाव में पड़ने वाले कुल वोटों की गणना की जाती है. चुनाव में पड़ने वाले कुल वोटों की वैल्यू निकाली जा सकती है.

राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू यानी संख्या निकालने के लिए – 1971 की जनगणना के अनुसार, राज्य की जनसंख्या को वहां की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की संख्या से भाग दिया जाए, परिणाम में जो भी संख्या आए, उसे फिर से 1000 से भाग दिया जाए. इसके बाद जो परिणाम निकलेगा, वह उस राज्य के एक विधायक के वोट की वैल्यू होगी. इस तरह प्रत्येक राज्य के विधायकों के वोट की वैल्यू निकाली जाती है.

राज्य की कुल वोट वैल्यू निकालने के लिए – राज्य के कुल विधायकों के वोटों की वैल्यू निकालने के लिए एक विधायक के वोट की वैल्यू को राज्य विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या से गुणा किया जाए. इससे जो परिणाम आएगा, वह उस राज्य का कुल वोट होगा. इसी तरह हर राज्य अपनी भागीदारी राष्ट्रपति चुनाव में सुनिश्चित करता है.

सांसदों के वोट की वैल्यू निकालने के लिए – सांसदों के वोट की वैल्यू निकालने के लिए संसद के निर्वाचित सदस्यों की संख्या को जोड़

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