भविष्य में होने वाले चुनावों मद्देनजर रखते हुए चुनाव आयोग ने बुधवार को नई ईवीएम मशीन को लांच कर दिया है. बता दें कि चुनाव आयोग ने इस ईवीएम को लेकर यह दावा किया है कि इस मशीन के साथ छेड़खानी नहीं की जा सकती है और यह पूरी तरह से ‘टेम्पर प्रूफ’ है. लेकिन चुनाव आयोग के इस दावे के बाद सवाल ये उठता है कि तो क्या पहले जो ईवीएम मशीन इस्तेमाल की जा रही थी उसमें हैकिंग संभव थी क्योंकि चुनाव आयोग ने तो पहले ये कह रहा था कि ईवीएम में छेड़खानी नहीं की जा सकती है तो फिर अब ये नई ईवीएम लांच करने का क्या मतलब है.
दरअसल कर्नाटक 13 मई को कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इन्हीं को देखते हुए नई ईवीएम मशीन को लांच किया गया है और ये चुनाव इन नई ईवीएम मशीनों पर ही करवाए जाएंगे. बता दें कि इस नई ईवीएम मशीन को मार्क 3 का नाम दिया गया है और इससे पहले जो जिन मशीनों पर चुनाव करवाए जाते थे वो मार्क 2 वर्जन था.
चुनाव आयोग ने इस ईवीएम मशीन को लेकर बड़े-बड़े दावे किए हैं और वो लगातार यह भी कह रहा है कि इस ईवीएम से छेड़खानी संभव नहीं है तो सवाल ये उठता है कि आखिर उस वक्त चुनाव आयोग ये बात क्यों नहीं मां रहा था जब मायावती और अरविन्द केजरीवाल ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे.
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बता दें कि मायावती ने साल साल 2017 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की हार के लिए ईवीएम हैकिंग को ज़िम्मेदार बताया था लेकिन उस वक्त सभी मीडिया चैनलों ने उनका खूब मज़ाक बनाया था लेकिन अब खुद चुनाव आयोग ये बात कह रहा है कि उसकी नई ईवीएम में छेड़खानी संभव नहीं है तो इसका मतलब तो यही बनता है कि पुरानी मशीन में हैकिंग की जा सकती थी. खैर अब क्या सच है और क्या झूट ये बात तो चुनाव आयोग ही जानता है लेकिन उसके इस तरह के बयानों से लोग असमंजस की स्थिति में ज़रूर हैं.