‘और तो कोई बात नहीं है
बस तू मेरे साथ नहीं है’

मैंने यह अनुभव किया है कि इस दुनिया में सबसे ज़्यादा लोग ‘प्रेम’ में ठगे गये हैं। संभवत: इसलिये एक प्रेमी कभी सियासत या सिस्टम को ‘ठग’ नहीं कहता। उसके अपने दर्द के आगे दुनिया का हर दर्द फीका, हर उथल-पुथल मामूली लगती है।

वो भीड़ से बचता है। एकांत में देर तक सूनी आँखों से अपने अतीत में झांकता रहता है। वह उन उलझे धागों को सुलझाने की कोशिश में और उलझकर रह जाता है। वह गला फाड़ कर रोना चाहता है, पर सुबक कर रह जाता है। तड़प कर रह जाता है। वो कोसना चाहता है, पर अपनी पूर्व प्रेमिका को जी भर कर कोस भी नहीं पाता।

वो फेसबुक पर भी घुमा- फिराकर प्रेम के अपने कटु अनुभव पर पोस्ट लिखने लगता है। वो जानता है कि ये सब सच है, पर कोई उसकी बात को गंभीरता से नहीं लेगा। वो खुद भी यही चाहता है। वो बेबस और असहाय नहीं दिखना चाहता। कभी-कभी मुस्कुराते हुए सेल्फी भी शेयर करता है। ऐसा कई बार कई दिनों या फिर महीनों तक चलता है। फिर वो धीरे-धीरे सामान्य हो जाता है। फिर वो थोड़ा सा पत्थर हो जाता है।

हीरेंद्र झा

(एक प्रेमी की डायरी से चुनकर एक पन्ना हम आपके लिए लाते रहेंगे)

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