लूट हमेशा धन की नहीं होती, दिमागों की भी होती है । याद कीजिए जहांगीर का दरबार। जहां एक अंग्रेज अफसर बादशाह से व्यापार की इजाजत की दरख्वास्त कर रहा था । और जहांगीर ने इजाजत दे दी थी । फिर क्या हुआ सब जानते हैं । अब सीधे लौट आइए 2012- 13 में जहां एक व्यक्ति देश की जनता से व्यापार कर रहा था । वह कह रहा था देश की लूटी रकम लानी होगी और जनता ताली बजा बजा कर उसका स्वागत कर रही थी । इस व्यापारिक साझेदारी में जनता को उसे सत्तानशीन करना था । क्या फर्क था उस अंग्रेज अफसर में और इस व्यक्ति में । उसका हश्र देश ने ढाई सौ सालों तक देखा , इसका हश्र हम आज रोजाना देख रहे हैं , और निश्चित है कि अभी आगे भी देखेंगे । कोई हिटलर नहीं, कोई मुसोलिनी नहीं बस एक व्यापारी है और गुजराती के खून में व्यापार होता है । इसमें ‘हिंदू राष्ट्र’ का तड़का लगा लीजिए जो इस व्यापारी का कम उसकी मातृ संस्था का ज्यादा है । व्यापारी व्यापार करते करते मातृ संस्था की सेवा करना चाहता है । अब दोनों काम होंगे हिंदू राष्ट्र भी बनेगा और व्यापारी का राज भी लंबा चलेगा । क्योंकि देश भूल भुलैया बन गया है । कहीं कुछ साफ नहीं है । हर किसी ने हथियार डाल दिए हैं । किसी को साफ साफ कुछ समझ नहीं आ रहा है । आप जनता की बात करें, राजनीतिक दलों की बात करें, समझदार विरोधियों की बात करें, सामाजिक संस्थाओं और उनके कर्ताधर्ताओं की बात करें । किसी की बात करें सब, सब कुछ समझते हुए भी संभ्रम की स्थिति में हैं । जैसे पांच पाण्डव कौरवों के सामने हताश, परेशान और परास्त होते दिख रहे हों । किसी भी नज़र से देखना शुरू करें । आप पाएंगे स्थितियां हाथ से निकल चुकी हैं। जैसे एक मवाली अपने साथियों के साथ आपके घर में घुस आए और जब तक आप कुछ समझ पाएं वह आपके पूरे घर पर कब्जा जमा लें । अब वह मालिक और आप उसके नौकर । रोने पीटने का समय गया । हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला की ऊंचाईयों पर एक जगह है धर्मकोट । वहां पैसे वाले हिप्पी आते हैं वे घरों में इस कदर बस जाते हैं कि घर के सारे सदस्य दिन रात उनकी सेवा में ही अपना जीवन व्यतीत कर देते हैं । पैसे के सामने सुबह- शाम- रात सब नतमस्तक है ।
आज देश विस्फोट के मुहाने पर है । लेकिन विस्फोट नहीं होगा फिलहाल । होने नहीं दिया जाएगा । क्योंकि देश भूल-भुलैया बना चुका है । इस देश में बर्दाश्त करने की ताकत देख कर हर कोई हैरान रह सकता है । हम तो हैं । उसका सबसे बड़ा फलसफा है कि देश की सोचने की ताकत निचोड़ लो । उसकी दिशाभ्रम कर दो । उसे चौबीस घंटे तरह तरह के लालच में लटकाए रखो । साबित कर के दिखाओ कि तुम ही गरीब के कृष्ण हो और राम हो । इस सबके लिए असंख्य झूठों और बेशर्मी का सहारा लेना होगा । आप हैरान हो सकते हैं कि कोई झूठ के विषय पर भी पीएचडी करके सफल हो सकता है । उसने चाय बेची हो या न बेची हो पर पांच साल की उम्र से ही झूठ बेचा है । ऐसे जीनियस हर देश में पैदा हो भी सकते हैं और नहीं भी पर भारत ऐसों की जननी है । राजनीति को छोड़ हर फील्ड में आपको नटवरलाल मिल जाएंगे । पर राजनीति में इस प्रतिभा को देश ने पहली बार देखा । देश के पढ़े लिखे अवाक हैं । इस जीनियस के बहकावे में पहली बार अच्छे अच्छे आ गये । आज स्वीकारते हैं ।
आपको बहस – मुबाहिसें करनी हैं, करते रहिए । किसी का कुछ नहीं बिगड़ेगा । दिमाग वालों ने हाथ खड़े कर दिए हैं । हम न श्रीलंका हैं, न पाकिस्तान , न मालदीव , न म्यांमार । हम हम हैं । हम थंडा करके खाने के आदी हैं । परवाह नहीं कि थंडा खाना आंतों के लिए नुकसानदायक हो । इसे कहते हैं ‘कंगाली में आटा गीला’ फिर भी मरते तक बर्दाश्त करते चलना । यही भारत है । इसके निर्माण की कथा सदियों पुरानी है । दास प्रथा। पैसे वाले के हाथ में हमेशा हंटर की कल्पना करते चलना । आज टैक्नोलॉजी ने सब कुछ बदल दिया है । लेकिन इसी टैक्नोलॉजी के संचालक उस आदमी के दिमाग को नहीं बदलना चाहते जो उन्हें हमेशा के लिए जिलाये रखने की इच्छा के सामने नतमस्तक है । इसीलिए आज का समय किसी का नहीं सिर्फ एक वोट के व्यापारी का है । शायद प्रलय सामने आ खड़ी हुई है इसीलिए इस व्यापारी की सत्ता चमक रही है और इस चमक में पूरे देश की ‘हाय’ कहीं सिमट चुकी है । जान लीजिए जब देश और समाज का प्रबुद्ध वर्ग दिशाभ्रम की हालत में हो और कुछ न करने की स्थिति के लिए बेबस हो , वह समाज पाताल में जाता ही जाता है । अगला एक साल इस दिशा में सोचने का है । इस भ्रम में मत रहिए कि श्रीलंका जैसी कोई चिंगारी यहां भी फूटेगी ।
तय हमें करना है , हम उठें या सब कुछ नियति के हाथ छोड़ दें । इस विचार पर भी हमारे प्रबुद्ध बिखर जाएंगे । ऐसे में महात्मा गांधी को याद कीजिए और ‘हे राम’ का प्रलाप कीजिए ।
लगता है अभय दुबे लाउड इंडिया का अपना शो छोड़ रहे हैं । हम जानते हैं वे नहीं छोड़ रहे हैं फिर भी कर उनकी निराशा ने तो यही जताया । उन्होंने कहा, हम भी हर हफ्ते यहां आकर विश्लेषण कर देते हैं उससे क्या होता है । यह साफगोई के साथ हताशा को भी दर्शाता है । हर किसी को यह समझना चाहिए । एक आदमी का अट्टहास पूरे देश में सुनाई दे रहा है और सब बेबस हैं । मुस्लिम कौम की चिंता कीजिए और सो मत जाइए । यह आज का सबक है ।
देश को भूल-भुलैया बना कर लूटा जा रहा है ….
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