अभिके लोकसभा अधिवेशन में प्रथम दिन से ही, विरोधी दलों के नेताओं की कोशिश चल रही है ! कि शेकडो गुना महंगाई बढ रही है ! लोगों के रोजमर्रे की वस्तुओं के दामों में वृद्धि होते जा रही है ! उपर से सरकार एकसे बढकर एक नये – नये टैक्स मूडी (मुरमुरा) छाछ, दुध, दही और क्लायमॅक्स की बात सार्वजनिक स्वच्छतागृहो के सौच के लिए जाने वाले लोगों के जेबों पर भार बढते जा रहा है !


मुझे याद है कलकत्ता में अस्सी के दशक में, बंगाल सरकार ने ट्रॅम और बसों के किराये में सिर्फ पांच पैसे की वृध्दि की थी ! तो चार ट्रॅम लोगों ने जला दिये थे ! तो ज्योति बसु की सरकारने पांच पैसे की वृध्दि को वापस लिया था !

और नरेंद्र मोदी अच्छे दिनों के सपने दिखा कर ! (भले वह खुद रेवडी बाटना गलत बोल रहे होंगे ! लेकिन उन्होंने सिर्फ रेवडी नही रबडी, मालपुआ जैसे हरेक के बैंक खातों में पंद्रह लाख रुपये जमा करने की बात कही है !) बीजेपी या संघ के लोग जो भाषा बोलेंगे ! वहीं भारत की भाषा होगी ! फिर आझादिसे लेकर देशभक्ति, देशद्रोह, हालांकि यह सब चालाकी में देश के असली समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए सोची-समझी साजिश है ! और संघ के दोसौ शब्दों का शब्दकोश को लोगो के उपर थोपना है ! जिसमें लोगों के रोजमर्रे की बातों का कोई स्थान नहीं है ! पूरा दर्शन पांच हजार साल पहले मनुस्मृति के अनुसार या सबसे सटीक डॉ बाबा साहब अंबेडकरजी ने इस हिंदु धर्म की चार मंजिला इमारत में सिढीयो का प्रावधान ही नहीं है ! जो जहाँ पर है, वहीं पर खुश रहें ! निचले हिस्से का निचे, उपरवाला उपर, और मझोले हिस्से का मंझधार में ! यही समरसता का भी सिध्दांत है ! (ठेविले अनंते तैसेची रहावे, चित्ति असु द्यावे समाधान !) उस ईश्वर ने जैसे रखा है ! वैसे ही रहीऐ और मन में समाधान मानिये की ! आपकों इस तरह का स्थान मिला है ! शायद अगले जन्म में अच्छा काम करने से कुछ बदलाव हो ! इसतरह के गतिहिन समाज को जैसे के वैसे रखने वाले लोगों ने लोगों को धर्म की अफिम देकर पिछले कुछ सालों से कुंद करके रखा है ! और संसद तथा विधानसभा तथा न्यायालय भी इसी तरह चलना चाहिए ! इस मानसिकता के कारण वर्तमान समय में भारत के संसद में जो कुछ चल रहा है ! वह इसी मानसिकता का परिचायक है !


कलकत्ता में 1982 – 97 पंद्रह साल में हमारे घरेलू कामकाज में मदद करने वाली लड़की थी ! जब भी मैडम खैरनार स्कूल के लिए निकलती थी ! तो वह लड़की पुछती थी “दीदी कब आऐगा” ! और मै बाहर जाने पर पुछती थी “भाईसाहब आप कबतक आयेंगी” ! और उसके लिंग बदलने की बात को पंद्रह साल हो गये थे ! जिसे हम दुरूस्त करने के बावजूद ! उसने अपनी बात को बदस्तूर जारी रखा ! हालांकि अधिर रंजन चौधुरी की हिंदी टिपिकल बंगाली के कारण यह उच्चारण उन्होंने किया होगा ! लेकिन इसमें इतना हंगामा मचाने की जरुरत क्या है ? यह संघ की स्रि विषयक विकृत मानसिकता जो मनुस्मृति का महिमामंडन करने के कारण ! पत्नी को दोयम दर्जे की मानने के कारण ही ! यह लोग इतना हंगामा मचा रहे हैं ! और सबसे आस्चर्य की बात इसमें शामिल सबसे ज्यादा बीजेपी की महिला सांसद है ! आचार्य दादा धर्माधिकारी हमेशा स्रि – पुरूष के संबंध में बोलते हुए कहा करते थे ! “कि महिला ही ज्यादा महीलाओ के विरोधी होती है” ! जिसका प्रमाण वर्तमान समय में भारत के लोकसभा में सत्ताधारी दल की महिला सदस्यों के व्यवहार देखने के बाद आचार्य दादा धर्माधिकारी की बात साबित होती हुई दिखाई देती है !
और ज्यादा तर बंगाली हिंदी में इसी तरह बोलते हैं ! तो कांग्रेस के संसदीय नेता श्री अधिर रंजन चौधुरी ने हमारे राष्ट्रपति के बारे में जो भी कुछ बोले है ! (हालांकि वह उसके लिए लिखित रूप में माफी मांग चुके हैं !) क्या भारतीय जनता पार्टी के लोगों को इतनी सी बात मालुम नहीं ? या जानबूझकर संसद में पहले दिन से महंगाई पर बहस की मांग को अनदेखा करने के लिए इसे ज्यादा तूल दे रहे हैं ?


अगर नहीं मालूम तो भाजपा वाली जमात संघ ने शुरू की हुईं संस्कृतप्रचुर हिंदी को देश के सभी प्रदेशों में थोपना चाहते हैं ! तो हिंदी का विरोध करने वाले और भी गैर हिंदी प्रदेश के लोग सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होंगे !


किसी समय में डाॅ राम मनोहर लोहिया ने अंग्रेजी हटाओ आंदोलन की कोशिश की थी ! लेकिन उसका मतलब हिंदी थोपना नही था ! उल्टा डॉ साहब का आग्रह था कि हर उत्तर भारत के नागरिक ने एक दक्षिण भारतीय भाषा सिखनी चाहिए ! और प्रादेशिक भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए ! नही संघ के जैसा एक भाषा, एक वेष, एक खानपान (लोकसभा के बाहर महात्मा गाँधी जी के मूर्ति के सामने धरना प्रदर्शन करने वाले लोगों के खाने में आपत्ति लेने वाले !) सत्ताधारी दल के लोगों को शर्म आनी चाहिए कि खाने की चिजो के दाम बढाएं है ! उसकी चर्चा की जगह धरना प्रदर्शन करने वाले लोगों के खाने में क्या है ? हां अगर मांस मछली है ! तो महात्मा गाँधी संघीयो के जैसे संकीर्ण मानसिकता वाले नही थे ! सेवाग्राम के आश्रम में बादशाह खान अब्दुल गफ्फार खान के लिये ! खुद मांसाहारी पदार्थ बनाकर खिलाने वाले ! गाँधी जी के मूर्ति के सामने कौन क्या खा रहा है ? कौन गलत हिंदी बोल रहा है ? महंगाई जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने की जगह इस तरह की हरकतों से संपूर्ण बहस को टालने के हथकंडे संपूर्ण देश देख रहा है !


बीजेपी की मुख्य समस्या संसदीय प्रणाली है ! संघ फासीस्ट विचारों का संघठन होने के कारण वह एकचालकानुवर्त सिद्धांत के अनुसार उसकी कार्यप्रणाली चलती है ! वहां पर चुनाव नहीं होते हैं ! और बहसों के लिए कोई स्थान नहीं है ! वह एक रेजिमेंटेड संघठन होने के कारण ! वहां सिर्फ वरिष्ठो का आदेश का पालन करने की परंपरा है ! और वह आज भारतीय लोकसभा में विपक्षियों साथ शत्रुओं जैसा व्यवहार ! बीजेपी के मातृसंस्था की देन है !
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिंदुभूमे सुख वर्धितोहम
महामंड्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते!! 1!!

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