वर्ष 2002 से पंजाब के कई नौकरशाह अध्ययन अवकाश नीति (स्टडी लीव पॉलिसी) का उपयोग करके विदेश गए और वहां जाकर पैसे बनाए. उनमें से कुछ को तो कनाडा जैसे देशों में स्थायी निवासी का दर्जा भी मिल गया है. देर से ही सही पर सरकार को यह एहसास हो गया है कि कुछ लोगों ने अध्ययन अवकाश की आड़ में वहां अपने व्यावसायिक हितों को विकसित किया है. यह सरकारी सेवा नियमों का उल्लंघन है. मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने राज्य के मुख्य सचिव सुरेश कौशल को इस संबंध में जांच करने निर्देश दिया है और जिन नौकरशाहों ने विदेशों में स्थायी निवासी या अप्रवासी दर्जा प्राप्त किया है उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है. सूत्रों के अनुसार राज्य के तकरीबन दो हजार बाबुओं ने शैक्षिक अवकाश लिया है. जाहिर तौर पर सरकार तब जागी है जब इन बाबूओं द्वारा हवाला के जरिए पैसे भारत भेजने की बातें विजिलेंस विभाग के सामने आई हैं. पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के प्रमुख सुरेश अरोरा के अनुसार सरकार अब इस घोटाले की जांच करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दृढ संकल्पित है. जाहिर है कि अच्छे दिन हमेशा नहीं बने रहते.
सुलह की ओर?
केरल के मुख्य सचिव ईके भारत भूषण और राज्य के आईएएस एसोसिएशन के बीच विवाद का जिक्र हमने पिछले महीने इस कॉलम में किया था. यह अब भी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. जाहिर तौर पर एसोसिएशन को भारत भूषण के खिलाफ अपने सहयोगियों के साथ बदले की भावना और अशिष्ट व्यवहार करने की कई शिकायतें मिलीं हैं. उनके खिलाफ लोगों की पदोन्नति रोकने की भी शिकायतें मिली हैं, इस वजह से वह अपने आईएएस सहयोगियों के बीच अलोकप्रिय मुख्य सचिव बन गए हैं. दोनों पक्षों के बीच संघर्ष विराम के प्रयास विफल रहे हैं. सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री ओमान चंडी ने प्लानिंग बोर्ड के उपाध्यक्ष के एम चंद्रशेखर के जरिए मध्यस्थता करवाने की कोशिश की लेकिन वह प्रयास असफल रहा. लेकिन इसके बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव वी सोमसुंदरन को मध्यस्थता के लिए लाया गया लेकिन उनकी केंद्रीय नागरिक उड्डयन सचिव के रुप में नियुक्ति हो गई और उन्हें जाना पड़ा. लेकिन अब लग रहा है कि एसोसिएशन के दबाव का असर हुआ है और भूषण नरम पड़े हैं. वह इस मसले को सुलझाने के लिए एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ मुलाकात करने के लिए राजी हो गए हैं, लेकिन क्या केरल के नौकरशाह इस विवाद का पटाक्षेप करेंगें?
नाफरमानी काम आई
यह कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र के शिक्षा विभाग में कार्यरत आईएएस अधिकारियों का एक वर्ग गैर आईएएस अधिकारियों से नाराज है. क्योंकि वो न सिर्फ बार-बार स्थानांतरण के आदेशों को धत्ता बता रहे हैं बल्कि अपने शक्तिशाली संपर्कों का उपयोग कर स्थानांतरण आदेशों को स्थगित भी करा रहे हैं. सवालों के घेरे में आए एक अधिकारी शिवाजी पंधारे का नागपुर के क्षेत्रीय बोर्ड विभाग में स्थानांतरण किया गया था लेकिन उन्होंने वहां पदभार संभालने से इंकार कर दिया और पुणे में बने रहने का फैसला किया. सूत्रों के अनुसार स्कूली शिक्षा के प्रमुख सचिव अश्विनी भिड़े ने पंढारे के नागपुर स्थानांतरण का आदेश दिया था क्योंकि वहां एक साल से ज्यादा वक्त से रिक्त पड़ा है. लेकिन बाबू का अड़ियल रवैया शिक्षा विभाग के ताकतवर अधिकारियों से भी ज्यादा शक्तिशाली सिद्ध हुआ. साफ तौर पर विभाग ने इस मसले विद्रोही अधिकारी के साथ रस्साकशी नहीं करने का निर्णय लिया. कथित तौर पर अब उन्हें पुणे स्थित स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशन एंड ट्रेनिंग(एससीईआरटी) में संयुक्त निदेशक का कार्यभार संभालने को कहा गया है. लेकिन उसने जिन अधिकारियों के आदेश की नाफरमानी की वो अभी भी गुस्से से लाल पीले हो रहे हैं.
दिल्ली का बाबू : अच्छे दिन खत्म
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