केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात कुछ बाबू दिल्ली में जड़ जमा चुके हैं और अब अपने मूल कैडर में लौटने के प्रति अनिच्छुक हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय में बतौर संयुक्त सचिव अमित खरे का कार्यकाल ख़त्म हो रहा है और उनके लिए अब राजधानी छोड़ने का समय है. क्या वह ऐसा करेंगे? सूत्रों का कहना है कि खरे की सेवा बनाए रखने के लिए प्रयास चल रहे हैं. जाहिर है, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बिहार कैडर एवं 1985 बैच के इस आईएएस अधिकारी के लिए एक साल के विस्तार की मांग की है. अगर वास्तव में ऐसा होता है, तो वह शास्त्री भवन में सबसे लंबे समय तक सेवारत नौकरशाह होंगे. खरे चाईबासा के उपायुक्त रहते हुए बिहार में करोड़ों रुपये का चारा घोटाला उजागर करके 1996 में सुर्खियों में आए थे. वह कथित तौर पर मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह द्वारा चुने और दिल्ली लाए गए थे. वह तबसे कपिल सिब्बल, एम एम पल्लम राजू और अब स्मृति ईरानी के साथ काम कर रहे हैं. यह भी ख़बर आ रही है कि खरे राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण के सदस्य सचिव के पद के दावेदार हैं. जाहिर है, वह एक बहुत ही सक्षम बाबू हैं!
आईएएस से सावधान ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों और यहां तक कि सेवानिवृत्त लोगों से भी सावधान हैं. परंपरा से हटते हुए उन्होंने हाल में पश्चिम बंगाल सिविल सेवा के एक रिटायर्ड अधिकारी एस आर उपाध्याय को राज्य निर्वाचन आयुक्त पद के लिए नामित किया है. अब तक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों के पूल से इस पद को भरा जाता था. सूत्रों का कहना है कि सुश्री बनर्जी का राज्य पंचायत चुनाव के दौरान मनमाफिक काम न करने की वजह से पूर्ववर्ती अधिकारी मीरा पांडे के साथ एक विवादास्पद रिश्ता था. विशेष सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए उपाध्याय पश्चिम बंगाल के छठवें चुनाव आयुक्त होंगे. वह इस पद पर आने वाले राज्य सिविल सेवा के पहले बाबू हैं. पश्चिम बंगाल में बाबू बिरादरी सरकार के फैसले पर विभाजित है. पूर्व आईएएस एवं आईपीएस अधिकारियों ने इसे अभूतपूर्व कहा है और वे इस आदेश को लेकर उलझन में हैं. वहीं अन्य बाबू आईएएस के गढ़ में सेंध लगने पर खुश हैं.
दिल्ली का बाबू : दिल्ली से जाने में आनाकानी
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