हाल में जब केरल के नवनियुक्त राज्यपाल पी सथाशिवम दिल्ली आए, तो प्रोटोकॉल के अनुरूप उन्हें रिसीव करने न तो राज्य के रेजिडेंट कमिश्नर गणेश कुमार पहुंचे और न डिप्टी कमिश्नर बिस्वनाथ सिन्हा. सूत्रों का कहना है कि सथाशिवम राज्यपाल बनने के बाद पहली बार दिल्ली पहुंचे थे और वह इस बात को लेकर नाराज़ थे कि उन्हें रिसीव करने सबसे वरिष्ठ अधिकारी की बजाय प्रोटोकॉल अधिकारी एवं एक जनसंपर्क अधिकारी आए. यह बात अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी है कि उक्त अधिकारियों ने राज्यपाल की झुंझलाहट शांत करने के लिए अपनी अनुपस्थिति का कारण बताया या नहीं. पर्यवेक्षक इसी तरह की एक अन्य घटना याद करते हुए बताते हैं कि राज्य के महानिदेशक (अभियोजन) टी आसफ अली को केरल हाउस में लंच देने से मना कर दिया गया था, क्योंकि रेजिडेंट कमिश्नर का आदेश था कि केवल केरल हाउस में ठहरे मेहमानों को ही लंच दिया जाए. लेकिन, अंतत: कुछ फोन कॉल्स करने के बाद महानिदेशक ने वहीं पर अपने भोजन का प्रबंध कर लिया.
राजस्थान को बढ़त
मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय एवं बड़े मंत्रालयों के सर्वोच्च पदों पर केरल और दक्षिण भारत के अधिकारियों का बोलबाला था. मोदी सरकार में प्रधानमंत्री कार्यालय में मुख्य अधिकारी गुजरात कैडर के हैं, खासकर वे हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनके गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए काम किया था. लेकिन, अब ऐसा लग रहा है कि केंद्र में राजस्थान क्लब उभार पर है, क्योंकि राज्य के पूर्व मुख्य सचिव राजीव महिर्षी को हाल में वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों का सचिव नियुक्त किया गया है. सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में राजस्थान कैडर के 9 आईएएस अधिकारी मोदी सरकार में सचिव स्तर पर कार्यरत हैं, जिनमें दो राजस्थान के हैं. पहले महिर्षी और दूसरे 1980 बैच के आईएएस अधिकारी जी एस संधू, जो वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवाओं को देख रहे हैं. केंद्र में सेवाएं दे रहे राजस्थान के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों में अरविंद मायाराम, कृषि सचिव आशीष बहुगुणा, संगीता गिरोला (रक्षा विभाग), सुधीर भार्गव (सामाजिक न्याय) और ललित कुमार पंवार (अल्पसंख्यक मामले) शामिल हैं. फिलहाल लग रहा है कि मोदी सरकार में राजस्थान क्लब को बढ़त हासिल है.
विदेशी पद-स्थापना पर पाबंदी
जो वरिष्ठ नौकरशाह लंबे समय से विदेश में पदस्थ हैं और कई बार सेवा विस्तार करा चुके हैं, वे अब ऐसा नहीं कर पाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएमओ को एक नई नीति बनाने का निर्देश दिया है, जिसमें 55 वर्ष से अधिक उम्र के नौकरशाहों की विदेश में प्रतिनियुक्ति नहीं हो सकेगी. सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने नौकरशाहों के केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने के लिए एक कट-ऑफ उम्र की घोषणा की है. सूत्रों का कहना है कि नई प्रस्तावित नीति दस सालों से विदेश में पदस्थ एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा सेवा विस्तार के लिए दिए गए आवेदन का परिणाम है. जाहिर है, सरकार के लिए यह दु:खद विषय इसलिए है, क्योंकि कई नौकरशाह विदेश में कार्यकाल ख़त्म होने के बाद वापस भारत नहीं लौटते और उसी देश में बस जाते हैं, जहां उन्होंने सेवा दी. आईएएस अधिकारी नमिता दत्ता वाशिंगटन में विश्व बैंक में काम करने के बाद देश नहीं लौटीं. इसी तरह वरिष्ठ अधिकारी अतुल बगाई, राहुल आनंद, एलवी नीलेश भी भारत वापस नहीं लौटे. आशा है कि नई प्रस्तावित नीति आने के बाद इस चलन पर रोक लगेगी.
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