हिमाचल प्रदेश कैडर के कम से कम 26 अधिकारी वर्तमान में प्रदेश के बाहर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति अथवा अन्य नियुक्तियों पर हैं. इस वजह से राज्य की नौकरशाही कमजोर हो गई है. कुछ नौकरशाह तो साफ़ तौर पर काम के बोझ तले दबे हुए हैं. 1980 बैच के आईएएस अधिकारी तरुण श्रीधर वर्तमान में राजस्व सचिव के साथ-साथ चार अन्य विभागों की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं. उनके अलावा अतिरिक्त मुख्य सचिव वी सी फरखा तीन विभागों की कमान संभाले हुए हैं. जाहिर है कि इस वजह से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अन्य राज्यों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि कुछ अधिकारियों को उनके राज्य वापस भेज दिया जाए. साफ़ तौर पर हिमाचल प्रदेश कैडर के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारी अपने गृह राज्य में वापसी के प्रति अनिच्छुक हैं. फिलहाल मुख्यमंत्री भी दिल्ली में आईपीएस अधिकारी ए पी सिंह को रेजिडेंट कमिश्नर के रूप में नियुक्त करने के बाद आईएएस अधिकारियों के एक धड़े के दबाव में हैं, क्योंकि इस पद पर अब तक पारंपरिक रूप से आईएएस अधिकारी की नियुक्ति होती रही है. सबसे दिलचस्प यह कि सिंह अभी भी पुलिस महानिरीक्षक (विजिलेंस) के रूप में कार्य कर रहे हैं. हालांकि सूत्रों का कहना है कि चूंकि रेजिडेंट कमिश्नर कैडर पोस्ट नहीं है, इसलिए मुख्यमंत्री इस पद पर किसी आईएएस अधिकारी को पदस्थ करने के लिए बाध्य नहीं हैं.
नियुक्तियों पर सवाल
अशोक खेमका के बाद हरियाणा के एक और आईएएस अधिकारी ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के निर्णयों पर सवाल खड़े किए हैं. प्रदेश के प्रशासनिक सुधार सचिव प्रदीप कांसी ने नए राज्यपाल द्वारा शपथ लेने के कुछ घंटे बाद ही राज्य सूचना आयुक्तों और राइट टू सर्विस आयुक्तों की नियुक्ति पर सवाल उठाए. सूत्रों का कहना है कि नाराज़ कांसी ने दो सूचना आयुक्तों और तीन राइट टू सर्विस आयुक्तों के नियुक्ति पत्रों पर दस्तखत करने से इंकार कर दिया. उनका कहना है कि इन नियुक्तियों में नियमों का पालन नहीं किया गया. इस रस्साकशी में केवल हुड्डा नहीं हैं. 1997 बैच के आईएएस अधिकारी कांसी ने मुख्य सचिव एस सी चौधरी पर भी उन्हें नियुक्ति मामले में धमकाने का आरोप लगाया है, हालांकि चौधरी ने इससे इंकार किया है. स्वाभाविक है कि इस खुलासे से हुड्डा विरोधियों को उन पर हमला करने का मौक़ा मिल गया है. जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव क़रीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे और कीचड़ उछलने के आसार दिख रहे हैं.
दबाव में नवीन सरकार
उडीसा के नए मुख्य सचिव और नए पुलिस महानिदेशक ने नवीन पटनायक सरकार की परीक्षा की घड़ी में कार्यभार संभाला है. हालांकि, पटनायक को राजनीतिक मोर्चे पर इसे लेकर कोई चिंता नहीं है, क्योंकि वह आसानी से चौथी बार मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए हैं. विश्लेषकों के अनुसार, उनकी सरकार के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है. उन्हें केंद्र में उर्वरक सचिव के रूप में नियुक्त हुए अपने मुख्य सचिव जे के महापात्रा को जाने देना पड़ रहा है. वह उनके एक पुराने सहयोगी हैं और वह उनके पिता बीजू पटनायक के निजी सचिव के रूप में भी कार्य कर चुके हैं. उनकी जगह 1978 बैच के आईएएस अधिकारी गोकुल चंद्र पाती को दी जा सकती है. वह रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत रक्षा उत्पादन विभाग में बतौर सचिव कार्यरत हैं. सूत्रों के अनुसार, पटनायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पाती को होम कैडर वापस भेजने का अनुरोध किया है, ताकि वह उन्हें प्रदेश का मुख्य सचिव नियुक्त कर सकें. इसी तरह पटनायक के एक और प्रिय अधिकारी पुलिस महानिदेशक प्रकाश मिश्रा को विशेष सचिव के रूप में स्थानांतरित किया गया है और उनकी जगह 1981 बैच के आईपीएस अधिकारी संजीव मलिक को मुख्यमंत्री की इच्छा के विरुद्ध भेज दिया गया. हालांकि, पटनायक ने अभी तक मलिक के नाम को हरी झंडी नहीं दिखाई है और वह मिश्रा को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं.
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