देवाधिदेव महादेव अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं और उन्हें हर भय से मुक्ति दिलाते हैं. भगवान शिव को सौम्य रूप और रुद्र रूप, दोनों के लिए जाना जाता है. भगवान शिव को औघड़दानी, अर्द्धनारीश्वर समेत अनेक नामों से पुकारा जाता है. शिव के स्मरण से भक्तों को मोक्ष प्राप्त होता है. शिव के ज्योर्तिलिंग पर जल या गंगाजल का अभिषेक करने का विशेष महत्व हैं. भगवान शिव को पंचामृत स्नान भी कराया जाता है, जिसमें दूध, शहद, देशी घी, शक्कर एवं गंगाजल होता है. शिव का रुद्राभिषेक भी किया जाता है, जिसका विशेष महत्व है. भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं और उनकी अलग-अलग मान्यताएं हैं. भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (मंदिर) महाराष्ट्र में पुणे से लगभग 100 किमी दूर स्थित है. यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह मंदिर पश्चिमी घाट के सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है और यहीं से भीमा नदी भी निकलती है, जो दक्षिण दिशा में बहती हुई रायचूर ज़िले में कृष्णा नदी से मिलती है. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का वर्णन पुराणों में भी मिलता है. भीमाशंकर के दर्शन से शिव भक्तों को पापों से छुटकारा मिलता है और सुख की प्राप्ति होती है. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में शिवपुराण में कहा गया है कि एक समय भीम नामक एक राक्षस था, जो कुंभकर्ण का पुत्र था. उसका जन्म कुंभकर्ण की मृत्यु के तुरंत बाद हुआ था. उसे यह नहीं मालूम था कि उसके पिता की मृत्यु भगवान राम के हाथों हुई है. कुछ समय बीतने के बाद उसकी मां ने उसे बताया कि उसके पिता की मृत्यु भगवान राम के हाथों हुई है. यह सुनते ही वह क्रोध से लाल हो गया और भगवान राम का वध करने के लिए आतुर हो उठा.
अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने अनेक वर्षों तक कठोर तपस्या की. उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे विजयी होने का वरदान दिया. वरदान पाने के बाद वह अधिक ताकतवर हो गया और मनुष्यों के साथ-साथ देवी-देवताओं को भी परेशान करने लगा, जिससे सभी भयभीत रहने लगे. धीरे-धीरे सभी जगहों पर उसने आतंक फैलाना शुरू कर दिया. उसने युद्ध में देवताओं को भी परास्त कर दिया. वह जहां भी जाता, मृत्यु का तांडव मचाने लगता. देवता अत्यंत परेशान होकर भगवान शिव की शरण में गए. भगवान शिव ने देवताओं से कहा कि वे शांत हो जाएं. इसके बाद उन्होंने राक्षस भीम का वध कर दिया. देवताओं ने भगवान शिव से आग्रह किया कि वह इसी स्थान पर शिवलिंग के रूप में विराजमान हों. देवताओं की प्रार्थना स्वीकार कर भगवान शिव भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां प्रकट हुए, जो आज वहां स्थित है.
यहां शिवरात्रि पर दर्शन का विशेष महत्व है. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए देश-विदेश से हर वर्ष हज़ारों भक्त आते हैं. यहां आसपास कई अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें कमलजा, जिन्हें माता पार्वती का अवतार कहा जाता है, का मंदिर प्रमुख है. भीमाशंकर मंदिर के पीछे मोक्षकुंड स्थित है. इसके अलावा कुशराशन्य और सर्वतीर्थ नामक मंदिर भी दर्शनार्थियों के आकर्षण के प्रमुख केंद्र हैं.
कैसे जाएं:-
अगर आप भीमाशंकर मंदिर जाना चाहते हैं, तो रेल, हवाई और सड़क मार्ग से जा सकते हैं. रेल मार्ग से जाने के लिए आप देश के किसी भी प्रमुख स्टेशन से ट्रेन द्वारा पुणे जाएं. वहां से सरकारी बसें रोजाना सुबह 5 बजे से शाम 4 बजे तक चलती हैं. आप चाहें तो टैक्सी भी ले सकते हैं. हवाई मार्ग से जाने के लिए देश के किसी भी प्रमुख हवाई अड्डे से पुणे तक और फिर बस अथवा टैक्सी द्वारा भीमाशंकर जा सकते हैं. शिवरात्रि और प्रत्येक माह की शिवरात्रि के मौ़के पर विशेष बस सर्विस का प्रबंध किया जाता है.
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