बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए बोधगया सबसे पवित्र स्थानों में से एक है, लेकिन इन दिनों विदेशी बौद्ध मठों के व्यावसायिक इस्तेमाल पर विवाद पैदा हो गया है. बौद्ध मठों में होटल व रिसॉर्ट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. इन विदेशी बौद्ध मठों में रहने वाले बौद्ध श्रद्धालु व भिक्षु आज सुख-सुविधाओं से लैस जीवन जी रहे हैं. विदेशी श्रद्धालु भी इन होटल में मिल रही सुविधाओं को पसंद करते हैं. इससे बोधगया के होटल व्यवसाय को काफी नुकसान हो रहा है. इससे सरकारी राजस्व की भी क्षति हो रही है.
बौद्ध मठ अपने यहां आने वाले विदेशी पर्यटकों के संबंध में जिला प्रशासन को फॉर्म सी भरकर भी नहीं देते हैं. इन्हीं सब बातों को देखते हुए बोधगया होटल एसोसिएशन व बोधगया मुखिया संघ ने पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. इस याचिका को हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया है. इसमें दो दर्जन से अधिक विदेशी बौद्ध मठों, बिहार सरकार के मुख्य सचिव और संबधित विभाग के उच्चाधिकारियों समेत गया के जिला पदाधिकारी को भी पार्टी बनाया गया है.
बिहार सरकार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने एक वर्ष पूर्व 1 जुलाई 2016 को गया के जिला पदाधिकारी को विदेशी बौद्ध मठों के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद बौद्ध मठों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. बौद्ध मठों द्वारा किसी सरकारी जांच एजेंसी को भी सहयोग नहीं कर रहे हैं. कागजात मांगने पर कहा जाता है कि संबंधित देशों के नई दिल्ली स्थित दूतावास से कागजात मांगा जाए. लेकिन अब जिला प्रशासन ने बौद्ध मठों पर कड़ी कार्रवाई का निर्णय लिया है. बौद्ध गया स्थित सभी 55 बौद्ध मठों को नोटिस जारी कर पूरी जानकारी मांगी गई है. इसमें सहयोग नहीं करने वाले बौद्ध मठों पर नियम के तहत शिकंजा कसने की तैयारी की गई है.
हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले बोधगया होटल एसोसिएशन के महासचिव सुदामा कुमार और बोधगया मुखिया संघ के अध्यक्ष राजेश यादव ने याचिका में बौद्ध मठों द्वारा बिल्डिंग बायलॉज की अनदेखी, बौद्ध मठों के व्यावसायिक उपयोग और पर्यटकों का सही ब्योरा नहीं रखने जैसे नियमों की अवहेलना करने की बात कही है. हाईकोर्ट ने बौद्ध मठों को नोटिस जारी कर 7 दिनों में पूरी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है. इस संबंध में बोधगया नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी सुशील कुमार सिंह ने बताया कि जांच में पता चला कि 10 ऐसे बौद्ध मठ हैं, जो परवाना की जमीन पर बने हैं, जबकि 10 से अधिक बौद्ध मठ अनधिकृत ठग से बनाए गए हैं.
जिला पदाधिकारी ने ऐसे मठों को चिन्हित करने का आदेश जारी किया है. कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि बौद्ध मठ अपने परिसर में अवैध तरीके से होटल और अतिथिशाला चला रहे हैं, जिसका असर स्थानीय होटल कारोबारियों पर पड़ रहा है. बोधगया होटल एसोसिएशन के महासचिव सुदामा कुमार ने बताया कि नियमानुसार मठों को अधिकतम 10 कमरे बनाने की इजाजत है, लेकिन विदेशी बौद्ध मठों ने सौ से अधिक कमरे बना रखे हैं. इनमें होटल, रिसॉर्ट जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं.
ऐसे में पर्यटक उनके मठों में ठहरना पसंद करते हैं और बोधगया में होटल कारोबार ठप हो रहा है। वहीं धर्म की आड़ में ये मठ सरकार को टैक्स भी नहीं देते हैं, जिससे सरकार को राजस्व की क्षति उठानी पड़ रही है. ऐसे कई मठ हैं, जिन्होंने नियम कानून को धत्ता बताते हुए निर्माण कार्य कर लिया है. एक अन्य होटल एसोसिएशन के महासचिव संजय कुमार सिंह ने कहा कि सभी बौद्ध मंदिरों या मठों में ऐसा नहीं हो रहा है, लेकिन जहां भी इन मठों का व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है, वहां जरूर कार्रवाई होनी चाहिए.
हाईकोर्ट में मामला जाने के बाद पुलिस और स्थानीय प्रशासन भी सक्रिय हो गया है. अब फार्म सी भरकर विदेशियों को ब्योरा नहीं देने वाले बौद्ध मठ, होटल संचालक तथा निजी मकान मालिकों की जांच शुरू कर दी गई है. 20 जून 2017 को पुलिस ने बोधगया के भागलपुर गांव के एक मकान मालिक जितेन्द्र सिंह पर विदेशी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की है. उसने अपने मकान में एक जापानी महिला को ठहरा रखा था, लेकिन इसकी सूचना फॉर्म सी के माध्यम से नहीं दी थी. इसके बाद से बोधगया के होटल व मठ संचालकों में हड़कंप मचा है. अब सभी लोगों की नजर हाईकोर्ट के फैसले पर है.