नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जनता ने कांग्रेस को नकारा, जिसे लेकर विपक्षी खेमे में एटीएम मंथन का दौर चल रहा है। कांग्रेस प्रवक्ताओं को महीने भर TV डिबेट से दूरी बनाकर रखने को कहा गया है। लेकिन जिस तरह से TV डिबेट में सिर्फ हिन्दू-मुसलमान और बिना सिर-पैर की बहस बाजी होती है। उस लिहाज से कांग्रेस का ये कदम सही माना जा सकता है।


लेकिन फिर भी मीडिया दूर भागने के कांग्रेस के फरमान के बाद लग रहा है कि कांग्रेस अब पस्त हो गई है जो स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने अपने प्रवक्ताओं को एक महीने तक टेलीविजन चैनलों पर नहीं भेजने का फैसला किया है।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ” कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह अपने प्रवक्ताओं को एक महीने तक टीवी चैनलों के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए नहीं भेजेगी।’ उन्होंने कहा, ‘सभी मीडिया चैनलों/संपादकों से आग्रह किया जाता है कि वे अपने शो में कांग्रेस प्रतिनिधियों को शामिल ना करें।’

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी मोदी सरकार पर शुरुआती एक महीने तक किसी भी टीका-टिप्पणी और आलोचना से बचना चाहती है, इसलिए यह फैसला किया गया है। एक ओर राहुल गांधी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहते हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने सभी प्रवक्ताओं को किसी भी टीवी डिबेट में शामिल न होने का निर्देश दिया है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि डिबेट में कुछ मीडिया मोदी सरकार का पक्ष ही लेते हैं, ऐसे में सिर्फ डिबेट में जाना और वहां गलत साबित किया जाना किसी फायदे की बात नहीं। इसके साथ ही डिबेट में किसान, रोज़गार, गरीब और मोदी के वायदों पर बहस हो नहीं रही, ऐसे में मोदी महिमामंडन और हिन्दू-मुस्लिम के मुद्दे पर बहस करके हारे हुए खिलाड़ी बनने से क्या लाभ।

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