टीबी एक जानलेवा रोग है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में नवंबर 2018 तक टीबी के मरीजों की संख्या 18.62 लाख हो गई है. 2017 में यह आंकड़ा 18.27 लाख था. जबकि 2016 में इसे बीमारी से देशभर में चार लाख 23 हजार लोगों की मौत हुई थी.
भारत उन 30 देशों में शीर्ष स्थान पर है जहां टीबी मामले सबसे ज्यादा हैं. पिछले साल टीबी से ग्रस्त एक करोड़ लोगों से 27 प्रतिशत भारत के थे. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत, इंडोनेशिया और नाइजीरिया सूची में शीर्ष पर हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टीबी को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य 2030 रखा है. केंद्र की मौजूदा सरकार ने 2025 तक टीबी को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्षय रोग (2017 से 2025) के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना विकसित की है. जिसमें सभी टीबी मरीजों की यथाशीघ्र जांच, उपयुक्त मरीज सहायता प्रणाली के साथ गुणवत्ता वाली दवाओं और उपचार व्यवस्था मुहैया कराऐगी.
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प्रदूषण के कारण टीबी का खतरा दो से तीन गुना बढ़ जाता है. प्रदूषण के कारण सिलकोसिस रोग का खतरा 30 गुना तक बढ़ता है साथ ही सिलकोसिस बीमारी टीबी का एक बड़ा कारण है. वैज्ञानिकों के अनुसार यदि वातावरण में पीएम 2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड व कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से टीबी का खतरा बेहद बढ़ जाता है. ऐसे में प्रदुषण पर कंट्रोल बहुत जरूरी है अन्यथा 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य पूरा हो पाना संभव नहीं है.
टीबी के लक्षण
- तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी.
- बुखार (जो खासतौर पर शाम को बढ़ता है).
- छाती में तेज दर्द.
- वजन का अचानक घटना.
- भूख में कमी आना.
- बलगम के साथ खून का आना.
- बहुत ज्यादा फेफड़ों का इंफेक्शन होना.
- सांस लेने में तकलीफ.
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