pradeep-kumar-cabinet-secreपिछले दिनों जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1977 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी प्रदीप कुमार सिन्हा को कैबिनेट सचिव नियुक्त किया, तो पिछले साल के अंत से इस पद के लिए जारी खोज और कुछ महीनों से मीडिया सहित कुछ लोगों के बीच चल रही अटकलबाजियों पर विराम लग गया कि अजित सेठ की जगह कौन लेगा. ग़ौरतलब है कि अजित सेठ का कार्यकाल सबसे लंबा था. 77 अधिकारियों में से पांच के नाम अंतिम रूप से इस पद के लिए उपयुक्त समझे गए थे, जिनमें से तीन नाम प्रधानमंत्री के पास भेजे गए. जो दो अधिकारी सिन्हा से पीछे रह गए, वे आलोक रावत और राजीव महर्षि हैं. कहना दिलचस्प होगा कि सिन्हा के चयन के साथ ही मोदी को दिल्ली के सत्ता के गलियारों में दिग्गज नेताओं का ज़्यादा समर्थन हासिल हो गया है. सिन्हा की बहन रश्मि वर्मा वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव हैं और कथित तौर पर देश में जीएसटी लागू करने के लिए मोदी सरकार की मुहिम चला रही हैं. रश्मि के पति नवीन वर्मा कैबिनेट सचिवालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर पहले से ही कार्यरत हैं. दोनों को उम्मीद है कि जल्द ही वे प्रोन्नति पाकर सचिव बन जाएंगे.

 

प्रसार भारती की स्वायत्तता खत्म! 

प्रसार भारती के सीईओ जवाहर सरकार इस समय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के हस्तक्षेप से कथित तौर पर परेशान हैं. इस परेशानी का प्रमुख कारण है,  दूरदर्शन द्वारा नया लॉन्च किया गया चैनल किसान, जिसे मंत्रालय के बदले एक निजी संचालक द्वारा चलाया जाएगा. जवाहर सरकार ने प्रसार भारती के अध्यक्ष ए सूर्यप्रकाश को लिखे गए एक पत्र में इस पर नाराज़गी जाहिर की और कहा है कि इस भ्रम को दूर किया जाए. सरकार ने मंत्रालय के खिला़फ एक और शिकायत की है. मंत्रालय ने सूचना सेवा अधिकारी वीणा जैन को मंत्रालय की ओएसडी के साथ-साथ दूरदर्शन न्यूज की महानिदेशक के तौर पर नियुक्त करने की घोषणा की है. यह घोषणा प्रसार भारती के अध्यक्ष और सीईओ को जानकारी दिए बगैर की गई है. यह स्वाभाविक है कि मंत्रालय प्रसार भारती की भागीदारी के बिना सीधे दूरदर्शन चलाने की योजना बना रहा है.

 

नियुक्तियों और तबादलों में तेजी

मोदी सरकार की पहली वर्षगांठ के समय ये अफवाहें थीं कि सरकार नौकरशाही को प्रेरित करने के लिए अपने प्रयासों में ढीलापन ला रही है. कई महत्वपूर्ण पद खाली थे, जिससे सरकार की निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो रही थी, लेकिन सरकार ने अचानक अपने इस रुख में बदलाव किया. अब दिल्ली में नियुक्तियों और तबादलों की जैसे बारिश हो रही है. कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने सचिव स्तर के 17 तबादलों को मंजूरी दे दी है. हालांकि, रूटीन में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव स्तर की अधिकांश नियुक्तियां ही रहीं, सचिव स्तर की नियुक्तियां न के बराबर देखने को मिलीं. यह कई लोगों को चौंकाने वाला था. वरिष्ठ नौकरशाहों की प्रमुख मंत्रालयों में नियुक्तियों और तबादलों में चलती है. 17 अधिकारियों में, जो प्रभावित हैं, वे हैं नई वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया, ऊर्जा सचिव प्रदीप कुमार पुजारी (जो पीके सिन्हा के स्थान पर नियुक्त हुए, जिनका नाम कैबिनेट सचिव के लिए प्रस्तावित किया गया) और नए नागरिक उड्डयन सचिव राजीव नयन चौबे. दिलचस्प है कि तेवतिया और पुजारी 1981 बैच के गुजरात कैडर के अधिकारी हैं. मोदी के रेस कोर्स रोड आने के बाद दिल्ली के लिए इन अधिकारियों का पलायन देखा गया है. प्रधानमंत्री कार्यालय गुजरात के बाबुओं को अच्छी तरह से जानता है, क्योंकि उनमें से अधिकांश ने मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में उनके साथ मिलकर काम किया है. सा़फ है कि प्रधानमंत्री अपने मुख्यमंत्रित्व काल के दिनों को नहीं भूले होंगे. कहना ग़लत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में गुजरात से अधिक बाबुओं को केंद्र में लाया जाएगा.

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