नकली बीज का कारोबार करने वाले धंधेबाजों ने इस बार भी असली बीज के पॉकेट में नकली मक्के के बीज किसानों को उपलब्ध कराए. इस कारण मक्का फसल इस बार ठीक नहीं हुई. महाजनों से सूद पर रुपये लेकर किसानों ने बीज इस ख्याल से बोए थे कि अच्छी पैदावार होगी. लेकिन उनके सपने पूरे नहीं हो सके.
यह पहली बार नहीं है जब किसानों को धोखा हुआ है. इसके पहले भी किसान बीज खरीददारी के मामले में ठगी का शिकार हो चुके हैं. उस समय धरना प्रदर्शन कर किसानों के द्वारा रोष प्रकट किया गया था. सरकारी हुक्मरानों के द्वारा ठोस कार्रवाई का भरोसा दिलाया गया, लेकिन वक्त के साथ-साथ ठगी का मामला दफन होकर रह गया. अब एक बार फिर किसान ठगी का शिकार हुए हैं. लेकिन लगता नहीं है कि इस बार भी राज्य सरकार कोई ठोस कार्रवाई कर सकेगी. हां! किसानों को ठोस कार्रवाई का भरोसा जरूर मिल रहा है.
अन्य इलाकों की बातों को अगर नजरअंदाज कर भी दिया जाय तो मक्का का गढ़ कहे जाने वाले फरकिया अर्थात खगड़िया, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल तथा खगड़िया मुख्यालय से सटे रहीमपुर कुम्हरचक्की सहित अन्य गांव के किसान इस बार मक्का की अच्छी पैदावार नहीं होने के कारण माथा पीट रहे हैं.
खगड़िया जिलेद के अन्तर्गत परबत्ता प्रखंड के किसान जयराम यादव का कहना है कि सही समय पर मक्के का सरकारी बीज नहीं मिलने के कारण किसानों ने निजी कंपनियों के बीज खरीदे. सौ रुपये किलो के भाव से इनलोगों ने प्रोएग्रो कम्पनी का मक्का बीज खरीदा था. लेकिन पैदावार नहीं के बराबर होने से अब मक्का के पौधे का उपयोग मवेशियों के चारे के लिए किया जा रहा है.
सहरसा जिले के चर्चित किसान नेपाली मंडल, राजेश सदा, सुबोध साह तथा लाली झा ने अपनी बेबसी बयान करते हुए कहा कि वह लोग कई बार सरकारी बीज पाने की चाहत में ठगे गए. समय व्यतीत होने के बाद सरकारी बीज उपलब्ध कराया गया. इस तरह की स्थिति के कारण उन लोगों ने प्रोएग्रो कम्पनी का मक्का बीज खरीदा था. बीज विक्रेता ने अच्छी पैदावार होने का भरोसा दिलाया था.
बावजूद इसके जब अच्छी पैदावार नहीं हुई तो बीज विक्रेता से शिकायत की गई. लेकिन बीज विक्रेता ने यह कहकर पल्लू झाड़ लिया कि कंपनी के सेल्समैन के द्वारा दिलाए गए भरोसे के आधार पर उन्होंने किसानों को अच्छी पैदावार का भरोसा दिलाया था. इस संदर्भ में कंपनी से शिकायत की गई है. अगर कंपनी के द्वारा इस संदर्भ में कोई पहल की जाएगी तो किसानों को सूचना दी जाएगी.
खगड़िया प्रखंड मुख्यालय स्थित शेखपुरा गांव के किसान जवाहर महतो का कहना है कि पहले लोग मक्के का उत्पादन होने के बाद कुछ अच्छे मक्के के दानों को बीज के बाबत रख लेते थे. बुआई के समय मक्का बीज के रूप में इसी घरेलू बीज का प्रयोग किया जाता था लेकिन पैदावार बहुत अच्छी नहीं होती थी. काफी मेहनत के बाद भी अधिक से अधिक प्रति बीघा साठ मन अनाज ही होता था. इसी बीच कारगिल 900 एम नामक मक्का बीज बाजार में आया. किसानों के द्वारा जब इस बीज का प्रयोग किया गया तो प्रति बीघा सौ से एक सौ बीस मन मक्का हुआ.
इस तरह की स्थिति देखकर अधिसंख्य किसानों के द्वारा इसी बीज का उपयोग किया जाने लगा. इस बीज से अच्छी पैदावार होने के कारण किसानों का कारगिल 900 एम के प्रति विश्वास जम गया. बस तुरंत ही बाजार में कारगिल 900 के नकली बीज उतार दिए गए. नतीजतन किसानों को भारी धक्का सहना पड़ा. उसके बाद प्रोएग्रो बीज आ गया. किसानों को जब इससे लाभ होने लगा तो फिर इसका भी नकली बीज बाजार में आ गया. कई किसानों ने इस बार अच्छी पैदावार होने के बाद बिटिया की शादी तो कई ने घर बनाने की सोच रखी थी.
लेकिन सब बर्बाद हो गया. एक अधिकृत बीज विक्रेता का कहना है कि कोई भी कंपनी नहीं चाहती है कि बाजार में उसकी साख पर बट्टा लगे. नकली बीज का कारोबार करने वाले कंपनियों का नाम बदनाम करते हैं. उधर नकली बीज का धंधा करने वाले एक कारोबारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जिस कंपनी के बीज पर किसान अधिक भरोसा करने लगते हैं, उसी कंपनी के बैग में नकली बीज पैक कर बाजार में उतार दिया जाता है. किसान भरोसे के बल पर इस वर्ष भरोसे की कंपनी का ही बीज खरीदते हैं और ठगे जाते हैं.
किसानों द्वारा असली और नकली बीज पहचान पाना संभव नहीं है. इसी का फायदा उठाते हुए धंधेबाजों के द्वारा किसानों को ठगी का शिकार बनाया जाता है. बीज विक्रेता अगर चाहें तो किसानों को ठगी का शिकार होने से बचाया जा सकता है लेकिन अधिक मुनाफा पाने की चाहत में विके्रताओं के द्वारा किसानों को गुमराह किया जाता है.
दूसरी तरफ खगड़िया के जिलाधिकारी साकेत कुमार का कहना है कि यह काफी हद तक सही है कि ससमय किसानों को सरकारी बीज उपलब्ध नहीं हो पाते हैं जिसके कारण निजी कंपनियों के बीज का उपयोग किसानों के द्वारा किया जाता है. नकली बीज का धंधा करने वाले दुकानदारों के विरुद्ध समय-समय पर कारवाई की जाती है. अगर इस बार भी किसानों के द्वारा शिकायत की जाएगी तो निश्चित तौर पर आरोपी दुकानदारों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. लेकिन किसानों को भी चाहिए कि अधिकृत बीज विक्रताओं से ही बीज की खरीददारी करें वह भी रसीद के साथ.
बहरहाल, ठगी का शिकार होने वाले किसानों की शिकायत पर नकली बीज विके्रताओं के विरुद्ध कार्रवाई होगी या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन राज्य सरकार को चाहिए कि किसानों को न केवल सही समय पर सरकारी बीज उपलब्ध करायी जाय बल्कि नकली बीज का कारोबार करने वालों पर ठोस कार्रवाई भी हो.