अब राजनीतिक दल बनाकर कालाधन खपाने का तरीका कारगर  साबित नहीं होगा .चुनाव आयोग ने 200 राजनीतिक दलों को अपनी लिस्ट से बाहर कर दिया है. आयोग सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) से कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखने की तैयारी में है. इन राजनीतिक दलों ने 2005 से कोई चुनाव नहीं लड़ा था. ये सिर्फ कागज पर मौजूद थे.

आयोग आशंका जता रही है कि ये सभी पार्टियां मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त थीं. सूत्रों की मानें तो अभी चुनाव नहीं लड़ रहे अन्य राजनीतिक दलों पर भी कार्रवाई होगी. सभी गैर-जिम्मेदार पार्टियों को लिस्ट से बाहर किया जाएगा. इनमें से कई ऐसी पार्टियां हैं, जो इन्कम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करती हैं.

आयोग का कहना है कि अगर कोई पार्टी इन्कम टैक्स रिटर्न फाइल भी करती है, तो उन्हें उसकी कॉपी नहीं दी जाती है. आयोग का कहना है कि इनमें से कई राजनीतिक दलों का काफी समय से कोई फाइनेंशियल रिकॉर्ड नहीं रहा है. ऐसे में सीबीडीटी उनपर नजर रख सकेगा.

आयोग राजनीतिक दलों के खर्चों में पारदर्शिता लाने के लिए कई साल से प्रयास कर रहा है. आर्टिकल 324 के तहत मिली शक्तियों के तहत ही 200 राजनीतिक दलों को बाहर किया है. देश में फिलहाल सात राष्ट्रीय दल व  58 क्षेत्रीय दल हैं. 1786 रजिस्टर्ड पार्टियों की कोई पहचान नहीं है. ऐसी हैं जिनकी कोई पहचान नहीं है।

हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि चुनाव आयोग का यह कदम छोटी पार्टियों के लिए एक खतरनाक संकेत है, जो लोकतंत्र के लिए उचित नहीं कहा जा सकता है. लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर व्यक्ति को संगठन बनाने और चुनाव लड़ने का अधिकार है.

हो सकता है कि इनमें से कुछ राजनीतिक दल कालाधन के खेल में संलिप्त हों, लेकिन सभी को एक ही नजरिए से नहीं देखा जा सकता है. इनमें से कई राजनीतिक दल ऐसे भी हैं, जो अल्पसंख्यक, दलित व पिछड़े तबके की आवाज मुखर करने के लिए दल बनाते हैं और चुनाव में हिस्सा लेते हैं. इन वैकल्पिक राजनीतिक दलों के लिए यह कदम उचित नहीं होगा.

 

 

 

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