#श्रमकानून

भाजपा ने देश को ठेके पर चलाने का फैसला किया है। बिना विपक्ष के संसद से पास किया गया श्रम कानून अंग्रेजो की ईस्ट इंडिया कंपनी को भी मात देने वाला है।आइये जानते हैं इसमे खतरनाक क्या है ?

1-अब जिन कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 300 से कम है, वे सरकार से मंजूरी लिए बिना ही कर्मचारियों की छंटनी कर सकेंगी. अब तक ये प्रावधान सिर्फ उन्हीं कंपनियों के लिए था, जिसमें 100 से कम कर्मचारी हों. अब नए बिल में इस सीमा को बढ़ाया गया है.

2.ये बिल कंपनियों को छूट देगा कि वे अधिकतर लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर यानि कि ठेके पर नौकरी दे सकें. साथ ही कॉन्ट्रैक्ट को कितनी भी बार और कितने भी समय के लिए बढ़ाया जा सकेगा. इसके लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है. वो प्रावधान भी अब हटा दिया गया है, जिसके तहत किसी भी मौजूदा कर्मचारी को कॉन्ट्रैक्ट वर्कर में तब्दील करने पर रोक थी.

3- अब देश के मजदूर अपनी हकदारी को लेकर हड़ताल नही कर सकेंगे।किसी भी संगठन में काम करने वाला कोई भी कामगार बिना 60 दिन पहले नोटिस दिए हड़ताल पर नहीं जा सकता. फिलहाल ये अवधि छह हफ्ते की है.

4-जिन लोगों को फिक्सड टर्म बेसिस पर यानि कि ठेके ऑयर या संविदा पर नौकरी मिलेगी. उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का भी हक होगा. इसके लिए पांच साल पूरे की जरुरत नहीं है. अगर आसान शब्दों में कहें तो कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने वालों को उनके वेतन के साथ-साथ अब ग्रेच्युटी का फायदा भी मिलेगा. वो कॉन्ट्रैक्ट कितने दिन का भी हो.

5- इस बिल से राज्य को, केंद्र को तथा प्राइवेट कंपनियों को ये अधिकार मिल गया हैं कि कभी भी, किसी भी स्थायी कर्मचारी को कभी भी निकाला या कंट्रेक्ट वर्कर में बदला जा सके।

आवेश तिवारी

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