सुशील मोदी की आशा के अनुरूप तेज प्रताप यादव ने तुरंत ही प्रतिक्रिया दी और कहा कि वे मोदी पर मानहानि का मुकदमा ठोकेंगे. तेज की इस प्रतिक्रिया के बाद लालू कुछ समझते या बोलते, तब तक हंगामा खड़ा हो चुका था. लालू प्रसाद को शायद मोदी की रणनीति का पता नहीं था, इसलिए उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया. मामले को ठंडा करते हुए उन्होंने पत्रकारों के जवाब में यह कह डाला कि चिड़ियाघर को तो वे मुफ्त में अपनी गायों का गोबर देते हैं.

Lalu prasad yadavजम्हूरियत यानि लोकतंत्र के बारे में अल्लामा इकबाल के एक शेर का सार यह है कि लोकतंत्र में बंदे को गिना जाता है, तौला नहीं जाता. यही कारण है कि लोकतांत्रिक प्रणाली में की जाने वाली राजनीति में तमाम दल, जन को प्रभावित करके उसे अपने पक्ष में करने के लिए हर समय कोशिश करते हैं. तमाम दल अपने विरोधी दल को बुरा और खुद को अच्छा साबित करने में लगे रहते हैं.

मौजूदा दौर की सर्वश्रेष्ठ शासन प्रणाली होने के बावजूद लोकतंत्र की लिमिटेशन ये है कि तथ्य और हकीकत कुछ भी हो, लेकिन जनमानस का परसेप्शन राजनीतिक दलों को सत्ता सौंपने का आधार बन जाता है. यही कारण है कि राजनीतिक दल भी जनसमर्थन जुटाने में अपनी सारी ऊर्जा लगा देते हैं, बंदे को तौलने की जरूरत उन्हें नहीं पड़ती.

इस लिहाज से देखें, तो बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी कानूनी तौर पर यह कभी साबित नहीं कर पाएंगे कि लालू प्रसाद ने रेल मंत्री रहते हुए कोचर बंधुओं को रेलवे के दो होटल देकर फायदा पहुंचाया और उसके बदले कोचर बंधुओं ने डिलाइट मार्केटिंग नामक कम्पनी को पटना की धड़कन कहे जाने वाले बेली रोड (जवाहरलाल नेहरू मार्ग) पर दो एकड़ जमीन दी. फिर उस जमीन को लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों को हस्तांतिरत कर दिया गया. हालांकि सुशील मोदी ने अपनी सरकार के रेल मंत्रालय से आग्रह करने की बात कही है कि वे लालू प्रसाद द्वारा कथित तौर पर कोचर बंधुओं को फायदा पहुंचाने की जांच करें.

सुशील मोदी अपने दावे की सच्चाई किसी भी कीमत पर साबित नहीं कर सकते. इसकी वजह लालू प्रसाद के उस जवाब में है, जिसे उन्होंने प्रेस कांफ्रेस करके दिया था. लालू ने पांच पन्नों के अपने जवाब में जो तर्क दिए हैं उसके अनुसार, 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने रेलवे के लिए एक निगम आईआरसीटीसी का गठन किया था.

आईआरसीटीसी अपने होटलों और यात्री निवासों को पंद्रह वर्षों के लिए लीज पर निजी पार्टियों को हस्तांतिरत करता है. इसके लिए वह ओपेन बीड निकालता है और जिस पार्टी द्वारा उच्चतम मूल्य की बोली लगाई जाती है, उसे होटल या यात्री निवास सौंप दिया जाता है. इस प्रकार कोचर बंधुओं को लीज पर दो होटल दिए जाने की प्रक्रिया तकनीकी और कानूनी मानदंडों के अनुकूल थी. लालू ने यह भी कहा कि आईआरसीटीसी स्वतंत्र संस्था है और उसमें बतौर रेल मंत्री उन्होंने कोई हस्तक्षेप नहीं किया और न ही कर सकते थे. लालू ने प्रेस कांफ्रेंस में यह भी बताया कि कोचर बंधुओं ने होटल के आवंटन के 22 महीने पहले डिलाइट मार्केटिंग को बेली रोड की जमीन बेची थी.

तब यह किसी को पता भी नहीं था कि आईआरसीटीसी अपने होटलों और यात्री निवासों को खुली निविदा के अधार पर निजी कम्पनियों को आवंटित करने वाला है. लालू ने इस तकनीकी और कानूनी प्रक्रिया को भी समझाया कि समहर्ता द्वारा निर्धारित नियमों और मूल्य के मुताबिक कोचर बंधुओं से डिलाइट मार्केटिंग कम्पनी ने जमीन प्राप्त की थी. ये बातें समझाने के बाद लालू ने सुशील मोदी से सवाल पूछा कि क्या कोचर बंधुओं को 22 महीने पहले यह सपना आया था कि आईआरसीटीसी होटलों का आवंटन करेगा.

सुशील मोदी द्वारा लालू के परिवार, जिसमें उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी शामिल हैं, पर आरोप लगाया गया था कि डिलाइट मार्केटिंग ने 2 एकड़ जमीन की मिलकियत उन्हें सौंप दी है. इस भूमि पर बिहार का सबसे बड़ा मॉल निर्माणाधीन है. मोदी के आरोप और उस पर लालू के तथ्यात्मक जवाब से यह तय है कि मोदी अपने आरोपों को शायद ही कानूनी तौर पर सिद्ध कर सकें.

लेकिन यह भी तय है कि तथ्य और हकीकत भले जो भी हों, मोदी ने लालू परिवार के विरुद्ध जनमानस में एक परसेप्सन तैयार करने की कोशिश की और इसमें वे सफल रहे. सुशील मोदी द्वारा लालू परिवार के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के अनेक आरोप लगाए गए थे, जिनका जवाब लालू प्रसाद ने प्वाइंटवाइज दिया है. इसका अवलोकन बॉक्स में किया जा सकता है.

यहां हम मोदी के आरोपों के पीछे की रणनीति और बिहार की राजनीति में उसके संभावित प्रभाव की गुत्थियों को तलाशने की कोशिश करते हैं. सुशील मोदी ने एक रणनीति के तहत प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की. उसमें उन्होंने आरोप का महज एक लेकिन सटीक तीर छोड़ा. उन्होंने न तो लालू पर सीधा निशाना साधा और न ही उनके उपमुख्यमंत्री पुत्र तेजस्वी यादव पर. उनका सीधा हमला तेज प्रताप यादव पर था, जो स्वास्थ्य मंत्री के अलावा वन एवं पर्यावरण मंत्री भी हैं. मोदी ने कहा था कि लालू के परिवार की जमीन पर आरजेडी विधायक अबु दोजाना की कम्पनी द्वारा मॉल बनाया जा रहा है.

उस जमीन से खोदी गई मिट्टी पटना के चिड़ियाघर को 90 लाख रुपए में बेची गई, वह भी बिना टेंडर के. इस तरह तेज प्रताप यादव ने अपने विभाग के मंत्री के बतौर 90 लाख रुपए का फायदा खुद उठा लिया. उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी ने स्ट्रैटिजिकली तेज को लपेटा, क्योंकि उन्हें पता है कि तेज प्रताप यादव तीव्र प्रतिक्रिया देते हैं. सुशील मोदी की आशा के अनुरूप तेज प्रताप यादव ने तुरंत ही प्रतिक्रिया दी और कहा कि वे मोदी पर मानहानि का मुकदमा ठोकेंगे.

तेज की इस प्रतिक्रिया के बाद लालू कुछ समझते या बोलते, तब तक हंगामा खड़ा हो चुका था. लालू प्रसाद को शायद मोदी की रणनीति का पता नहीं था, इसलिए उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया. मामले को ठंडा करते हुए उन्होंने पत्रकारों के जवाब में यह कह डाला कि चिड़ियाघर को तो वे मुफ्त में अपनी गायों का गोबर देते हैं. वैसे अगर किसी को संदेह हो, तो इस मामले की जांच करा ली जाय. इसके एक दिन बाद मोदी ने दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की और फिर आरोपों की झड़ी लगा दी, (जिनका उल्लेख बाक्स में है). साथ ही पत्रकारों को ऑफ दी रिकार्ड यह भी बताया कि अभी उनके पास आरोपों का और भी पुलिंदा है, जिसे वे आगे उजागर करते रहेंगे.

मोदी की दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद लालू उनकी रणनीति समझ गए और उन्होंने चुप्पी साध ली. उनकी ये चुप्पी लगातार पांच दिनों तक बनी रही. इस बीच सुशील मोदी एक पर एक आरोप मढ़ते रहे. लेकिन पांचवें दिन लालू प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की घोषणा कर दी, जिससे ये अंदाजा हो गया कि वे अब पूरी तैयारी के साथ मोदी के आरोपों का जवाब देने वाले हैं. यहां इस बात का उल्लेख जरूरी है कि जैविक उद्यान को कथित तौर पर 90 लाख रुपए की मिट्टी बचने का जो आरोप मोदी ने लगाया था, उसके जवाब में लालू ने ये कहा कि जैविक उद्यान को एक रुपए की भी मिट्टी नहीं बेची गई है. मॉल की जमीन से निकली मिट्टी दानापुर कब्रिस्तान को दी गई है.

लालू के इस जवाब पर सुशील मोदी ने चुप्पी साध ली. उसके बाद उन्होंने 90 लाख की मिट्टी बेचने के आरोप को नहीं दोहराया और अपने आक्रमण को मॉल और जमीन पर केंद्रित कर दिया. लालू ने सवाल खड़ा किया कि मोदी हिट एंड रन का तरीका अपना रहे हैं. उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा- देखा न, मिट्टी के मामले में जवाब मिलने के बाद अब मोदी चुप हो गए हैं. हालांकि इस मामले में मोदी की चुप्पी संशय बढ़ाने वाली है. बिना टेंडर के मिट्टी बेचने की तथ्यात्मक सूचना अगर मोदी के पास थी, तो उन्हें लालू प्रसाद के जवाब पर अपनी बात कहनी चाहिए थी.

मोदी द्वारा लालू परिवार पर लगाए गए आरोपों का एक और महत्वपूर्ण पक्ष है. जिस डिलाइट मार्केटिंग कम्पनी से लालू के परिवार को जमीन हस्तांतिरत करने का आरोप मोदी ने लगाया था, वो कम्पनी प्रेम गुप्ता के परिवार के सदस्यों की थी. प्रेम गुप्ता लालू के खासे करीबी हैं और राजद की ओर से राज्यसभा सदस्य रहे हैं. राजद जब केंद्र सरकार का हिस्सा थी, तो प्रेम गुप्ता कम्पनी मामलों के मंत्री थे.

लिहाजा मोदी के आरोपों का जवाब देने के लिए लालू प्रेम गुप्ता के साथ प्रेस के सामने आए. प्रेम गुप्ता ने समझाने की कोशिश की कि जब बिहार में काम करने का माहौल नहीं था, तो कम्पनी के निदेशकों ने तमाम कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए 2008 में  लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) के तहत डिलाइट मार्केटिंग को लारा प्रोजेक्टस में बदल दिया.

जिसके शेयर राबड़ी देवी, तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के पास हैं. प्रेम गुप्ता ने पत्रकारों को याद दिलाया कि यह मामला 2008 में भी उठाया गया था. हालांकि उन्होंने उस नेता का नाम नहीं लिया, जिन्होंने इस मामले को 2008 में उठाया था. दरअसल, 2008 में ललन सिंह ने ये मामला उठाया था, जो जदयू के नेता हैं और अभी नीतीश मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री हैं. गौर करने की बात है कि 2008 में नीतीश और लालू राजनीतिक रूप से एक दूसरे के विरोधी थे. लेकिन अब, जब इस मामले को भाजपा के नेताओं ने उठाना शुरू किया है, तो जदयू बिल्कुल खामोश है.

जाहिर सी बात है कि राज्य में जदयू और राजद, गठबंधन की सरकार का हिस्सा हैं और इन दोनों दलों का सेपरेट राजनीतिक वजूद है. ऐसे में भाजपा और राजद की आरोप प्रत्यारोप की लड़ाई से एक तरफ जहां भाजपा राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है, वहीं राजद डैमेज कंट्रोल में लगा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मामले में जदयू की चुप्पी एक तीर से दो निशाने जैसी है. जदयू एक तरफ तेज प्रताप और तेजस्वी को मंत्रिमंडल से निकालने के सुशील मोदी की मांग पर चुप्पी साध कर राजद के मनोबल को मजबूत बनाए रखने में मदद कर रही है, तो दूसरी तरफ उसे यह भी उम्मीद है कि राजद-भाजपा की लड़ाई में उसे फायदा होगा.

कथित भ्रष्टाचार पर सुशील मोदी के आरोप और लालू की सफाई

सुशील मोदी- निर्माणाधिन मॉल वाली तेज प्रताप और तेजस्वी यादव की जमीन से मिट्टी निकाल कर उसे पटना के जैविक उद्दयान को बेचा गया. इसके लिए कोई टेंडर भी नहीं निकाला गया और बदले में जैविक उद्यान से 90 लाख रुपए लिए गए, जिसका लाभ तेज प्रताप को हुआ. तेज प्रताप वन एंव पर्यावरण मंत्री भी हैं.

लालू प्रसाद- जिस मॉल की जमीन से मिट्टी निकाल कर बेचने की बात कही जा रही है, उस जमीन से एक रुपए की मिट्टी भी जैविक उद्यान को नहीं बची गई है. मोदी का आरोप मनगढ़त, बे बुनियाद और झूठा है.

 

सुशील मोदी- लालू ने रेल मंत्री रहते हुए कोचर ब्रदर्स को रेलवे के दो होटल औने पौने दामों में बेच दिए और उसके बदले उनसे दो एकड़ जमीन ले ली.

लालू प्रसाद- सुशील मोदी ने जिस जमीन की बात कही है, वह जमीन 2005 में कोचर ब्रदर्स ने डिलाइट कम्पनी को दी थी. उसके 22 महीने बाद आईआरसीटीसी (रेलवे का स्वायत्त निगम) के माध्यम से ओपेन बीड के तहत कोचर ब्रदर्स ने रेलवे से होटल की लीज प्राप्त की थी. कोचर ने ओपेन बीड में तमाम बीडर्स से ज्यादा बोली लगाई और भारी कम्पिटिशन के बाद उसे 15 साल की लीज आईआरसीटीसी ने दी. आईआरसीटीसी के काम में रेल मंत्री का कोई दखल नहीं होता. यह डील तमाम नियम कानून के तहत हुई. कोचर्स को होटल बेचा नहीं गया. ऐसे में मोदी का आरोप बेबुनियाद और झूठा है.

 

सुशील मोदी- डिलाइट कम्पनी को  राबड़ी, तेजस्वी, तेज और चंदा यादव (बेटी) ने लारा प्रोजेक्ट्‌स नामक कम्पनी में बदल दिया और उससे ही दो एकड़ जमीन औने पौने दामों में खरीद ली.

लालू प्रसाद-  मेरे परिवार के किसी सदस्य के नाम पर बेली रोड की जमीन है ही नहीं. डिलाइट कम्पनी ने 2007 के कम्पनी ऐक्ट के तहत एलएलपी के तहत लारा प्रोजेक्ट्स का हिस्सा हो गई. इस कम्पनी में श्रीमति राबड़ी देवी का हिस्सा था जिसके शेयर उन्होंने तेज और तेजस्वी को दिए. डिलाइट कम्पनी की स्थापना 1981 में प्रेम गुप्ता और उनके परिवार ने मिल कर की थी. लेकिन प्रेम गुप्ता के परिवार वालों ने उसके शेयर का हस्तांतरण कर इनकम टैक्स, कम्पनी लॉ और तमाम कानूनी प्रक्रिया के बाद एलएलपी कम्पनी बनाई. बेटी चंदा यादव का नाम इस मामले में मोदी ने घसीटा है, जबकि उनका इस कम्पनी से कोई लेना देना नहीं है.

 

सुशील मोदी- नीतीश मंत्रिमंडल में रहते हुए तेज और तेजस्वी प्रसाद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, ऐसे में उन्हें मंत्रिपद से हटाया जाय.

लालू प्रसाद- लारा प्रोजेक्ट्‌स की जमीन पर मेरेडियन नामक कम्पनी मॉल बनवा रही है. नियमों के अनुसार उसमें निर्माण का सारा खर्च उसे उठाना है और बदले में उसे मॉल का आधा हिस्सा मिलेगा. इसमें मेरे परिवार का एक पैसे भी नहीं लग रहा है. बिजनेस मॉडल में कारोबार ऐसे होता है, ये दुनिया को पता है. इस जमीन के संबंध में सारा रिकार्ड तेज प्रताप और तेजस्वी यादव ने चुनाव से पहले चुनाव आयोग को सौंपा था. साथ ही इन दोनों ने मंत्री बनने के बाद सीएम नीतीश कुमार को भी अपनी जायदाद की पूरी जानकारी दी थी. इस मामले में भी झूठे आरोप लगा कर सुशील मोदी खुद अपनी जगहंसाई कर रहे हैं.

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