नीतीश कुमार के दशकों पुराने विशिष्ट सहयोगी के तौर पर विख्यात और राज्य के संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने सा़फ कहा है कि मांझी को अण्णे मार्ग स्थित बंगला खाली करना होगा, क्योंकि यह मुख्यमंत्री आवास के तौर पर चिन्हित है. सभी को क़ानून का पालन करना होगा. यह सभी को जान लेना चाहिए कि नीतीश राज में क़ानून अपना काम बखूबी करता है, कोई कितना भी बड़ा क्यों न हो. श्रवण कुमार के इस बयान को गंभीरता से लिया जा रहा है. श्रवण जब कुछ बोलते हैं, तो ज़ुबान उनकी और बातें नीतीश कुमार की मानी जाती हैं. अब डॉ. मिश्र के पुत्र एवं पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र ने भी अपने पिता के लिए सर्कुलर रोड स्थित उसी बंगले की मांग कर दी है.

agle-bangle-ki-rajneetiजीतन राम मांझी सरकार में मंत्री रहे नेताओं की परेशानियों का अंत होता नहीं दिखता. उनकी विधायकी पर अनौपचारिक तौर पर तो पहले से ही तलवार लटक ही रही है, अब उनके बेघर होने की नौबत भी आ गई है. इन पूर्व मंत्रियों को बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग ने नोटिस जारी कर निर्धारित समय सीमा के अंदर सरकारी बंगले खाली करने के लिए कहा है. विभाग द्वारा मंत्रियों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि उन्हें यह सरकारी आवास बतौर मंत्री मिला था और अब वह मंत्री नहीं रहे, लिहाजा उन्हें बंगला खाली करना होगा. यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर बंगला खाली नहीं किया जाता है, तो सरकार उचित कार्रवाई करेगी. यानी बंगले बलपूर्वक खाली कराए जाएंगे. भवन निर्माण विभाग ने बतौर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र को बेली रोड स्थित सरकारी बंगले का आवंटन भी रद्द कर दिया है. यह आवंटन जीतन राम मांझी सरकार ने किया था. तत्कालीन नीतीश सरकार ने डॉ. मिश्र को पूर्व मुख्यमंत्री के नाते हार्डिंग्ज रोड पर एक बंगला आवंटित किया था. बिहार सरकार के नए आदेश के तहत अब उन्हें हार्डिंग्ज रोड के बंगले में वापस जाना होगा.
मुख्यमंत्री आवास के तौर पर चिन्हित अण्णे मार्ग स्थित बंगले को लेकर सबसे रोचक और उत्तेजक माहौल बन गया है. मुख्यमंत्री पद से इस्ती़फा देने के डे़ढ महीने बाद भी जीतन राम मांझी इस बंगले पर काबिज हैं. हालांकि, उनके लिए भवन निर्माण विभाग ने स्ट्रैंड रोड पर बंगला आवंटित किया है, लेकिन वह इतने मात्र से अपना बंगला खाली करने के लिए तैयार नहीं हैं. मांझी का कहना है कि पहले नीतीश कुमार उस बंगले को खाली करें, जो बतौर पूर्व मुख्यमंत्री उन्हें आवंटित किया गया था. मांझी का तर्क है कि नीतीश कुमार अब मुख्यमंत्री हैं और इस नाते अण्णे मार्ग स्थित बंगला तो उन्हें मिलेगा ही, फिर दूसरा बंगला भी रखने का क्या औचित्य है? यह विवाद इसलिए पैदा हो गया, क्योंकि नीतीश कुमार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि अण्णे मार्ग स्थित सरकारी बंगले (मुख्यमंत्री आवास) से वह कामकाज निपटाएंगे, लेकिन रहेंगे सर्कुलर रोड स्थित बंगले में. नीतीश कुमार के दशकों पुराने विशिष्ट सहयोगी के तौर पर विख्यात और राज्य के संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने सा़फ कहा है कि मांझी को अण्णे मार्ग स्थित बंगला खाली करना होगा, क्योंकि यह मुख्यमंत्री आवास के तौर पर चिन्हित है. सभी को क़ानून का पालन करना होगा. यह सभी को जान लेना चाहिए कि नीतीश राज में क़ानून अपना काम बखूबी करता है, कोई कितना भी बड़ा क्यों न हो. श्रवण कुमार के इस बयान को गंभीरता से लिया जा रहा है. श्रवण जब कुछ बोलते हैं, तो ज़ुबान उनकी और बातें नीतीश कुमार की मानी जाती हैं. अब डॉ. मिश्र के पुत्र एवं पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र ने भी अपने पिता के लिए सर्कुलर रोड स्थित उसी बंगले की मांग कर दी है. उनका कहना है कि नीतीश कुमार को बतौर मुख्यमंत्री अण्णे मार्ग स्थित बंगला मिलना ही है, लिहाजा डॉ. जगन्नाथ मिश्र के नाम पर सर्कुलर रोड स्थित बंगला आवंटित किया जाए.

यदि मांझी के निकटवर्ती सूत्रों पर भरोसा करें, तो इस समूह का मानना है कि बंगला खाली न किया जाए, सरकार चाहे तो बल प्रयोग करके बंगला खाली करा ले. यह उनकी राजनीति का हिस्सा है. बीते फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में नीतीश कुमार की बतौर मुख्यमंत्री चौथी पारी शुरू हुई है और फरवरी की अंतिम तारीख से जीतन राम मांझी ने नीतीश विरोधी अभियान छेड़ दिया है. इस अभियान का चुनावी राजनीति में क्या असर होगा, यह कहना अभी कठिन है.

बिहार के राजनीतिक हलकों में बंगला प्रकरण खासा रोचक बन गया है. राजनीति और सरकार में माना जाता रहा है कि मंत्री पद से मुक्त होने के बाद किसी भी राजनेता को एक महीने के भीतर सरकारी बंगला खाली कर देना है. उसे वे सारी सुविधाएं भी त्याग देनी हैं, जो बतौर मंत्री मिली थीं. यह आदर्श स्थिति है, जो सामान्यत: दिखती नहीं है. बिहार में तो इसका पालन कभी हुआ ही नहीं. जद (यू) और भाजपा के अलग-अलग होने के बाद भाजपा के मंत्रियों को भी नोटिस जारी किया गया था, पर किसी ने नोटिस को तवज्जो नहीं दी. वस्तुत: आज की राजनीति में जिन सुविधाओं को राजनेता की हैसियत (स्टेटस) का पैमाना मान लिया गया है, उनमें सरकारी बंगला, बॉडीगार्ड और अन्य तामझाम शामिल हैं. ऐसे में कोई बड़े-बड़े सरकारी बंगले कैसे खाली करेगा! पर, मंत्री होने के साथ राजनेता विधान मंडल के किसी सदन के सदस्य भी होते हैं, इसलिए जिन्हें बंगला खाली करने का नोटिस मिला है, उनके आवास की व्यवस्था विधान मंडल प्रशासन ने की है या नहीं, यह महत्वपूर्ण है. विधान मंडल प्रशासन द्वारा उन्हें आवास उपलब्ध कराए जाने की बात अभी तक सामने नहीं आई है. ऐसे में, पूर्व मंत्रियों के लिए वैकल्पिक आवास की व्यवस्था के बगैर बंगला खाली कराना विवेक सम्मत कतई नहीं है. जिन राजनेताओं को बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया गया है, उनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो पच्चीस-तीस वर्षों से विधायक हैं.
बंगला प्रकरण राजनीतिक रूप ग्रहण करता जा रहा है. जीतन राम मांझी और उनके साथी पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह, वृषिण पटेल, सम्राट चौधरी, शाहिद अली खान, महाचंद्र प्रसाद सिंह, नीतीश मिश्र एवं भीम सिंह आदि आवास खाली करने को कतई तैयार नहीं दिखते. मंत्री न रहने के कारण उन्हें भवन निर्माण विभाग नहीं, विधान मंडल के पूल से आवास मिलने हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें विधान मंडल प्रशासन से अनुरोध करना होगा, जो उन्होंने अब तक नहीं किया है और शायद करने का विचार भी नहीं है. यदि मांझी के निकटवर्ती सूत्रों पर भरोसा करें, तो इस समूह का मानना है कि बंगला खाली न किया जाए, सरकार चाहे तो बल प्रयोग करके बंगला खाली करा ले. यह उनकी राजनीति का हिस्सा है. बीते फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में नीतीश कुमार की बतौर मुख्यमंत्री चौथी पारी शुरू हुई है और फरवरी की अंतिम तारीख से जीतन राम मांझी ने नीतीश विरोधी अभियान छेड़ दिया है. इस अभियान का चुनावी राजनीति में क्या असर होगा, यह कहना अभी कठिन है. बिहार में नीतीश कुमार को सुशासन बाबू और विकास पुरुष जैसे विशेषण हासिल हैं, लेकिन इस चौथी पारी में अपने उक्त विशेषण बचा पाने में वह कामयाब होंगे अथवा नहीं, यह सबसे बड़ा सवाल है. विधि व्यवस्था लागू करने या विकास की गाड़ी पटरी पर लाने के लिए उन्हें बगैर समय गंवाए तेजी से काम करना है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं अधिकारियों को सुस्ती त्याग कर काम की रफ्तार बढ़ाने को कहा है. नीतीश को सत्ता की राजनीति हो या प्रशासन, एक बड़ी लकीर खिंचनी होगी. और, यह उनके लिए मुश्किल भी नहीं है, क्योंकि वह तो इसके माहिर रहे हैं.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here