भाजपा नेताओं ने नेतृत्व के सामने जमकर विरोध जताया. नतीजा यह हुआ कि अजीज कुरैशी केंद्र के निशाने पर आ गए. बाद में कुरैशी ने अदालत में भी दस्तक दी, लेकिन बात कुरैशी की उत्तराखंड से विदाई पर जाकर ख़त्म हुई. स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे कुरैशी इसके पूर्व स्वयं को नेहरू परिवार का अंध समर्थक बताते रहे हैं. हद तो तब हो गई थी, जब उत्तराखंड का राज्यपाल बनते ही उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी कहें, तो वह झाड़ू भी लगा सकते हैं.

Ph,KUrasi-A-KHaaउत्तर प्रदेश सरकार के बड़बोले कैबिनेट मंत्री आजम खां 14 वर्षों तक खुली आंखों से जौहर विश्‍वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान बनाने और स्वयं उसका आजीवन कुलाधिपति बनने का सपना देखते रहे. केंद्र में यूपीए के दस वर्षों के शासनकाल में भी किसी राज्यपाल ने जौहर विश्‍वविद्यालय रामपुर के विधेयक को मंजूरी नहीं दी, लेकिन मोदी सरकार आने के बाद कुछ दिनों के लिए उत्तर प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार संभालने वाले उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी ने उसे मंजूरी दे दी. कुरैशी की यही दरियादिली उनके गले की फांस बन गई. भाजपा नेताओं ने हाईकमान को समझाया कि जो काम कांग्रेस की मनमोहन सरकार में नहीं हुआ, वह केंद्र में मोदी सरकार आते ही हो गया. इससे भाजपाइयों को लगा कि कुरैशी मुख में राम बगल में छूरी रखते हैं. उत्तराखंड के राज्यपाल रहते हुए कुरैशी मोदी सरकार को पटाने के लिए हर दिन गंगा, गाय एवं चार धाम को चार वेद की तर्ज पर विकसित करने का भी शिगूफा छोड़ते रहे. जौहर विश्‍वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान और आजम को आजीवन कुलाधिपति बनाने का यह मामला भाजपा हाईकमान को खासा अखरा.
भाजपा नेताओं ने नेतृत्व के सामने जमकर विरोध जताया. नतीजा यह हुआ कि अजीज कुरैशी केंद्र के निशाने पर आ गए. बाद में कुरैशी ने अदालत में भी दस्तक दी, लेकिन बात कुरैशी की उत्तराखंड से विदाई पर जाकर ख़त्म हुई. स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे कुरैशी इसके पूर्व स्वयं को नेहरू परिवार का अंध समर्थक बताते रहे हैं. हद तो तब हो गई थी, जब उत्तराखंड का राज्यपाल बनते ही उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी कहें, तो वह झाड़ू भी लगा सकते हैं. अपना तबादला किए जाने के बाद धर्मनगरी हरिद्वार के प्रेमनगर आश्रम में आयोजित एक कार्यक्रम में डॉ. कुरैशी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड के लिए उन्होंने कई सपने संजोए थे, लेकिन मोदी सरकार ने उनके सपने पूरे नहीं होने दिए. चार धाम के विकास को भी उन्होंने अपने सपनों से जोड़ा और कहा कि उम्मीद कभी नहीं मरती. भले ही वह अब उत्तराखंड से जा रहे हैं, लेकिन प्रदेश के लिए जो सपने उन्होंने संजोए थे, वे ज़रूर पूरे होंगे. जाते-जाते डॉ. कुरैशी ने मीडिया को भी जमकर कोसा. उन्होंने कहा कि उनके किसी मजहब के विरोधी होने या दूसरे संप्रदाय की वकालत करने की छवि बनाने के लिए मीडिया पूरी तरह ज़िम्मेदार है. वह न तो किसी मजहब के विरोधी हैं और न उन्होंने कभी किसी संप्रदाय की वकालत की.

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