बंगाल आज सोचता है, उसके बाद भारत के अन्य राज्य के लोग सोचते हैं ! और सांस्कृतिक रूप से तथा कला साहित्य जैसे विधाओ में सभी से उन्नत है, वगैरा – वगैरा, किवदंतीया इस राज्य के बारे में बचपन से सुनते – पढते आ रहा हूँ !


और सबसे बडी बात बंगाल के नवजागरण के बारे में ! राजाराम मोहन राय, पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर, केशवचंद्र सेन, महर्षी देवेन्द्रनाथ ठाकुर, स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टागोर जैसे लोगों के पैदा होने की वजह से, और इन सभी लोगों को अंग्रेजी भाषा सीखने की सुविधा सबसे पहले बंगाल में उपलब्ध थी ! क्योंकि सब से पहले अंग्रेजी राज की निंव बंगाल में ही डाली गई थी !

( इस्ट इंडिया कंपनी ! ) 23 जून 1756 के दिन, सिराजउद्दोला की प्लासी के लढाई में हार के बाद, अंग्रेजो ने भारत में सबसे पहले बंगाल को अपने कब्जे में कर लिया था ! और कलकत्ता में हुगली के किनारे ‘फोर्ट विल्यम’ ( इंग्लैंड के राजा विल्यम जॉर्ज के नाम पर ! ) किले का निर्माण किया ! और उस किले को कभी भी लडाई का सामना नहीं करना पडा ! ( जहाँ पर अब भारतीय सेना का इस्टर्न कमांड का मुख्यालय है ! ) बंगाल में तथाकथित नवजागरण के लिए इस तरह के कारक तत्व भी जिम्मेदार है !
लेकिन 9 अगस्त 2023 के दिन जादवपुर विश्वविद्यालय के होस्टल की चौथी मंजील से गिरकर 17 साल के प्रथम वर्ष के एक छात्र की मौत ने, बंगाल की संस्कृति और सभ्यता के बारे में मेरे मन में भूचाल पैदा हो गया है ! यह कोई सामान्य हादसा नहीं है ! यह सदियों पुरानी विभिन्न होस्टलों में चली आ रही, अत्यंत घृणास्पद रेंगिग की परंपरा की वजह से, तथाकथित सिनियर विद्यार्थियों के तरफसे की गई रेगिंग के वजह से एक 17 साल का, नदिया जिला के छोटे से गांव से, मॅट्रिक के बाद कॉलेज की पढाई के लिए, कोलकाता के जाधवपूर विश्वविद्यालय में नए सत्र में दाखिल हो कर आगे की पढाई के लिए आया था ! और सबसे हैरानी की बात जिस सिनियर विद्यार्थि को मृत विद्यार्थि के मां बाप ने अभिभावक के तौर पर अपने सत्रह साल के बेटे को देखने की जिम्मेदारी सौंपी थी ! वह खुद इस रेगिंग में शामिल था !
यह लडका अपने पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी, विश्वविद्यालय के छात्रावासों में अपनी पढ़ाई खत्म होने के बावजूद होस्टल में जमा हुआ था ! और यह प्रॅक्टिस भारत के कई शिक्षा संस्थानों में बदस्तूर जारी है ! क्योंकि यह लडके राजनीतिक रूप से किसी सत्ताधारी दल से संबंधित होते हैं ! इसलिये इनमे दंबगाई आ जाती है ! और अपनी पढाई पूरी होने के बावजूद होस्टल में जमे रहते हैं ! और वह अपनी सिनियारिटी का और निठल्लेपन का फायदा उठाकर इस तरह की हरकतों को रोकने की जगह खुद आगुआई करते हुए ऐसे कारनामे करते रहते हैं !
मैंने भी अपनी कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ( 1969-73 ) अमरावती मेडिकल कॉलेज में एक लडका अपने आपको तत्कालीन मुख्यमंत्री का भतिजा कहते रहता था ! और लड़कियों से छेड़खानी से लेकर, नए आए हुए लडकों को सताया करता था ! एक दिन वह बेसिन पर मुह धो रहा था ! और मै हमारे होस्टेल के निचले हिस्से में जमीन में एक हौद के नल से अपनी बाल्टी में पानी ले रहा था ! तो उसने रोबदार आवाज में मुझे नल बंद करने के लिए कहा ! तो तपाकसे मैने वहीं बाल्टी को उठाकर उसकी तरफ फेंककर मारा ! तो वह निचे झुक गया ! अन्यथा उसे बाल्टी से कुछ जख्म हो सकता था ! और मुझे गालीबकना शुरू किया ! तो हमारे होस्टल के आंगन में, गर्मी की वजह से हमारे रुम के कॉट रात में बाहर सोने के लिए पडे थे ! और वह कॉट लोहो की फ्रेम मे लकडी के पट्टे फसाकर बनाएं थे ! तो मैंने एक लडकी का पट्टा निकाल कर, हवा में लहराते हुए उसकी तरफ दौडा ! तो वह होस्टल से बाहर भाग गया ! और पूरे होस्टल में खबर फैल गई कि खैरनारने मुख्यमंत्री के भतीजे को मारने की वजह से वह भाग गया ! लेकिन उस घटना के बाद उसमें काफी परिवर्तन हुआ ! सबसे मुख्य बात उसने लडकियों को छेडना बंद कर दिया ! और नए लडको के उपर रोब जमाना भी बंद ! हालांकि हमारे बीच पुरी पढाई पूरी होने तक बातचीत बंद रही ! और मुझे इस बात का बिल्कुल भी दुख नही है ! और नही अभिमान !
मैंने पिछले चालीस सालों से भी अधिक समय से बंगाल को अपना दुसरा घर जो माना हुआ है ! हमें नब्बे के दशक की शुरुआत में ही बंगाल में पंद्रह साल रहने का मौका मिला है (1982-97) और उस समय के बंगाल के साहित्यिक जगत से लेकर नाटक, सिनेमा तथा विभिन्न कलाकारों के साथ, करीब से दोस्ती करने का मौका मिला था ! इसलिए बंगाल की किसी भी प्रकार की घटनाओं पर मेरी पैनी नजर रहती है ! या वहां के मित्रों से तुरंत ही पता चलता है ! तो वह मुझे खबर करते रहते हैं !
हमारे रहते हुए समय हायस्कूल के छात्रों ने अपने एक सहपाठी विद्यार्थि की हत्या की थी ! और उस समय भी बंगाल में तहलका मचा था ! और उसिके आसपास एक झुग्गी में रहने वाली महिला के साथ बलात्कार हुआ था ! तथा चुनाव के दौरान हिंसा भी बंगाल के जीवन का अभिन्न अंग हो गई है ! और सत्तर के दशक में नक्सलियों के द्वारा ट्रॅम – बसों को आग लगाने से लेकर, बमबारी होना और पुलिस के तरफसे एनकाउंटर के नाम पर हजारों तेजस्वी छात्रों को मौत के घाट उतार दिया है ! बंगाल में सब कुछ अति होता है !


जैसे अभी अगस्त के दुसरे सप्ताह में, नदिया जिले के देहात का रहने वाला 17 साल का लडका, रॅगिंग की बली चढ गया है ! यह घटना समस्त बंगाल के लिए अंतर्मुख करने के लिए पर्याप्त है ! यदि सचमुच बंगाल सुसंस्कृत है ! तो इस तरह एक सत्रह साल का निरिह बच्चे को अपनी जान नहीं गवानी पडती !

बंगाल ने घोर सांप्रदायिक भाजपा को बंगाल में सत्ताधारी बनने से रोका है ! और नाटकों से लेकर सिनेमा पेंटिंग तथा संगीत और साहित्य की सभी विधाओं में बहुत ही अच्छी उपलब्धियां प्राप्त की है ! लेकिन शिक्षा जगत में वह भी जादवपुर युनिवर्सिटी जैसे कॅम्पस में ? एक निरिह सत्रह साल के बच्चे की मौत सभी बंगाल के सभ्य समाज के लिए, अंतर्मुख करने के लिए पर्याप्त है !
डॉ. सुरेश खैरनार, 2 सितंबर 2023, नागपुर

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