लंबे समय बाद शुरू हुए आयोजन, शुरुआत “अफसाना का अफसाना से”

लंबे समय से रुकी हुई अदबी गतिविधियों को एक फिर रफ्तार मिलने लगी है। कोरॉना काल में ठप्प सब कुछ, सरकार बदल और सरकारी हाथों में बागडोर से मंद पड़े कामों में अब गति आने के हालात बने हैं। इसकी शुरुआत शनिवार को आयोजित कार्यक्रम से हुई है। बदले हालात के बाद आने वाले समय में कुछ बड़े आयोजनों को आक़ार मिलने की उम्मीद भी की जा रही है।

सरकार बदल के दौर के साथ बदली मप्र उर्दू अकादमी की व्यवस्था को अपने ढर्रे पर लाने की कवायद में पिछले दिनों यहां डायरेक्टर के रूप में डॉ नुसरत मेहदी को नियुक्त किया गया है। इससे पहले ये व्यवस्था संस्कृति विभाग की अधिकारी वंदना पांडेय बतौर प्रभारी सचिव सम्हाल रही थीं। लेकिन Corona की पाबंदियों और सरकारी ढर्रे ने अकादमी से होने वाले कामों के कदमों में बेड़ियां डाल रखी थीं। डॉ नुसरत मेहदी पूर्व में लंबे समय अकादमी की खिदमत कर चुकी हैं। अपनी नई पारी में उन्होंने फिर अपने अनुभव, समझ और अदब में रुचि को सामने रखकर कार्यक्रमों को आकार देना शुरू कर दिया है।

शुरुआत अफसाना से

शनिवार को उर्दू अकादमी हाल में आयोजित कार्यक्रम अफसाना का अफसाना दो सत्रों में आयोजित किया गया। अदब, संस्कृति और कहानी को रेखांकित करते इस कार्यक्रम के पहले सत्र की अध्यक्षता पद्मश्री मेहरुन्निसा परवेज ने की। वक्ता के रूप में इशरत नाहीद लखनउ और भोपाल के शायान कुरैशी ने अपनी बात रखी। इस सत्र का संचालन मेहमूद मलिक ने किया। दूसरे सत्र की अध्यक्षता के लिए भोपाल के नईम कौसर मौजूद थे। जबकि वक्ता के तौर पर अफशां मलिक अलीगढ़ और भोपाल से शैफाली पांडेय एवं निसार राही ने बात की। सत्र का संचालन इशरत नाहीद के हवाले रखा गया था।

प्रदेश के कहानीकार नजरअंदाज

उर्दू अकादमी हाल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मंच के पीछे लगाए गए बैनर में देशभर के बड़े कहानीकारों की तस्वीरें मौजूद थीं। शहरभर में लगाए गए इसी तरह के पोस्टर्स पर साहित्यिक लोगों की आपत्ति ये है कि इस प्रदर्शन में प्रदेश या शहर भोपाल के किसी कहानीकार का चित्र शामिल नहीं किया गया। बताया जाता है कि कार्यक्रम में अरुचि का ये आलम था कि संस्कृति परिषद के डायरेक्टर ने अपनी मौजूदगी कुछ ही पलों के लिए दर्ज कराई। जबकि मेजबान की भूमिका में मप्र उर्दू अकादमी की नई निदेशक डॉ नुसरत मेहदी पूरे समय मौजूद थीं। कार्यक्रम में शहर की साहित्यिक हस्तियों में शामिल डॉ अंजुम बाराबंकी, डॉ कमर अली शाह, डॉ आज़म खान, मुबारक अली खान, सरफराज हसन समेत कई लोग मौजूद थे।

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