भोपाल। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 21 मई को पूरे प्रदेश में विरोध दिवस मनाने का आव्हान किया है। इस दिन प्रत्येक पार्टी ब्रांच जांच, इलाज और राहत की मांगों को लेकर शाम 4.00 बजे से 6.00 बजे तक फिजीकल डिस्टेंस के साथ पोस्टर्स, फैस्टोन्स लेकर विरोध प्रदर्शन करेगी और महामारी और उसके असर से बचाव और राहत की मांगे उठाएगी । पार्टी राज्य सचिव मंडल की प्रभारी पोलिट ब्यूरो सदस्य सुभाषिणी अली की उपस्थिति और रामनारायण क़ुररिया की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।

सीपीएम राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने विरोध दिवस की मांगों की जानकारी दी। इनमें सभी स्रोतों से: घरेलू और विदेशों से भी व्यापक पैमाने पर टीकों की व्यवस्था की जाए और युद्ध स्तर पर सबको टीके लगाये जाने, केंद्रीय बजट में टीकाकरण के लिए आवंटित 35000 करोड़ के बजट को खर्च किये जाने, सेंट्रल विस्टा (नए मोदी महल और संसद भवन) के निर्माण के काम को तुरंत रोक कर उसके लिए आवंटित 20 हजार करोड़ रुपए को ऑक्सीजन और उपकरणों व दवाओं की उपलब्धता पर खर्च किये जाने, सभी जरूरतमंदों को मुफ्त में राशन मुहैया कराने, उस राशन में केरल की तरह सभी 17 आवश्यक वस्तुओं को शामिल करने, आयकर टैक्स न देने वाले समस्त परिवारों के खाते में 6000 रुपए प्रति माह जमा करने, किसी भी जांच से परे और निजी बना दिए गए पीएम केयर फंड में से पैसा निकाल कर ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा उपकरण और टीके खरीदे जाने के साथ तीनो कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांगें शामिल हैं ताकि लाखों अन्नदाताओं को महामारी से बचाया जा सके। उपरोक्त छ: मांगों के अलावा अन्य जो भी स्थानीय मांगें भी शामिल की जाएंगी। इन्हे लेकर 21 मई को विरोध दिवस का आयोजन किया होगा । इन मांगों को लेकर बाकी राजनीतिक दलों के साथ मिलकर जिलाधीश को ज्ञापन भी सौंपे जाएंगे।

बैठक में प्रदेश की राजनीतिक और कोरोना महामारी से पैदा हुई परिस्थिति की चर्चा की। बैठक के बाद जानकारी देते हुए सीपीआई(एम) राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने भाजपा सरकार की तुच्छ और संकीर्ण राजनीति की निंदा करते हुए कहा कि उसने कोरोना की स्थिति के संबंध में जिला स्तर पर गठित सर्वदलीय समितियों में सीपीएम सहित कई राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को को शामिल नहीं किया है। उन्होंने बताया कि इसका विरोध करते हुए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपे जाएंगे । इस संबंध में मुख्यमंत्री को भेजा गया विरोध पत्र भी लिखा गया है।

माकपा ने 26 मई को किसान आंदोलन के छह माह पूरे होने पर किसान संगठनों के इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाने के आव्हान का समर्थन किया है।

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