सांप और छिपकली खाकर 19 दिन तक ज़िंदा रहा
मनुष्यों को जिंदा रहने के लिए ऊर्जा की ज़रूरत होती है और ऊर्जा भोजन से मिलती है, लेकिन कभी-कभी ऐसी परिस्थिति आ जाती है कि भोजन नहीं मिल पाता. कैलिफोर्निया के इस व्यक्ति के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, जब वह व्यक्ति जंगल में खो गया और इसे कुछ खाने को नहीं मिला तो इसने जंगल में खोने के बाद सांप, गिलहरी और छिपकली खाकर 19 दिन बिताए. यह शख्स उत्तरी कैलिफोर्निया के जंगल में रास्ता भूल जाने के कारण 19 दिन तक वहीं रहा. इस पूरे समय में न तो उसके पास कुछ खाने को था और न ही पीने को, लेकिन ज़िंदा तो रहना था. इसलिए जेन पेनाफ्लोर नाम के इस आदमी ने जंगल के जानवरों को ही अपना भोजन बनाना शुरू कर दिया. 72 वर्षीय इस आदमी को खोजने के लिए काफ़ी बचाव दल भेजे गए, लेकिन बीच में तूफ़ान आने के कारण उसको ढूंढा नहीं जा सका. 19 दिन बाद जब बचाव दल दोबारा उसको खोजने पहुंचा तो वो ज़िंदा था. लौटकर आने पर वह बताया कि वो इस दौरान छिपकली, सांप और गिलहरी का मांस खाकर ज़िंदा रहा. साथ ही सोने के लिए उसने सूखी पत्तियों का सहारा लिया.
बच्चे के पेट से निकलीं 22 सुइयां
केरल के कोल्लम इलाके में एक साल का बच्चा 22 सुइयां निगल गया, जिसे डॉक्टरों ने ऑपरेशन की मदद से बाहर निकाला. ऑपरेशन में शामिल डॉक्टर सुधीर ने बताया कि बच्चा कागज़ में लपेट कर रखी गई सुइयों को गलती से निगल गया था. संयोग सही था कि सभी सुइयां बिना आंतों को नुकसान पहुंचाएं सीधे पेट में चली गईं. बच्चे के माता-पिता उसे पेट में अधिक दर्द और उल्टियां होने के कारण अस्पताल लाए, जहां चिकित्सकों ने बच्चे के पेट का एक्सरे किया, जिसमें पता चला कि बच्चे के पेट में कम से कम 22 सुइयां हैं. बच्चे की हालत काफी ख़राब थी, इसलिए डॉक्टरों को आनन-फानन में ऑपरेशन का फैसला लेना पड़ा. इस बेहद जटिल किस्म के ऑपरेशन में लगभग दो घंटे की जद्दोजहद के बाद डॉक्टर बच्चे के पेट से सुइयां निकालने में कामयाब रहे. ऑपरेशन के बाद बच्चे की रेडियोलॉजी की गई. साथ ही फिर एक्सरे कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गई कि कहीं कोई सूई आंत में तो नहीं फंसी है, लेकिन इस पूरी जांच में कहीं कोई सूई नहीं मिली.
टैटू ने 22 साल बाद परिवार से मिलाया
महाराष्ट्र पुलिस में तैनात एक युवक 22 साल पहले अपने परिवार से बिछड़ गया था, लेकिन एक साधारण से टैटू के कारण वह अपने परिवार के पास फिर से पहुंच गया. 1991 में जब गणेश छह साल का था तो उसने एक दिन स्कूल बंक कर दिया. उसी दौरान खेलते हुए वह ठाणे के वागले इस्टेट उपनगर इंदिरा नगर में स्थित अपने घर से बहुत आगे निकल गया, लेकिन अब वह लौट आया है. उसके हाथ पर गुदे नाम से मांडा को मां ने अपने बेटे को तुरंत पहचान लिया. गणेश के खोने के बाद उसकी मां मांडा धनगड़े ने बेटे की तलाश में कोई कसर नहीं छोड़ी. खेल में उत्कृष्ट गणेश राज्य पुलिस परीक्षा में बैठा था और साल 2010 में चयनित हो गया था. वर्तमान में बतौर क्यूआरटी सदस्य तैनात होने से पहले उसने विभिन्न पदों पर काम किया. गणेश और उसका पूरा परिवार पिछले माह युवा भर्ती के लिए उसे लेकर आए क्यूआरटी इंस्पेक्टर श्रीकांत सोंधे का आभारी है. आभारी गणेश ने कहा कि मेरी बांह पर गुदे टैटू की तह में जाने के लिए सोंधे ने सभी पुलिस जांच तकनीकों का प्रयोग किया. आखिर में मेरे परिवार तक पहुंचने में मुझे सफलता मिल गई.
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