हाल में शिल्पायन पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स ने चेतन कश्यप का कविता संग्रह चांद के दर पर दस्तक प्रकाशित किया है. तमाम कविताएं मन को छू लेने की तासीर रखती हैं. क्या है इस किताब में ख़ास?
मन की कोमल भावनाओं को शब्दों में पिरोना ही काव्य कहलाता है. कविताएं दो तरह की होती हैं, एक छंदयुक्त और दूसरी मुक्तछंद. दरअसल, छंद कविताओं को प्रभावी बनाते हैं और इन कविताओं को गाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि मुक्तछंद कविताएं गाई नहीं जा सकती हैं. ऐसा नहीं है कि मुक्तछंद कविताएं प्रभाव नहीं छो़डतीं, क्योंकि अच्छी कविताएं पाठक पर गहरा असर डालती ही हैं. ग़ौरतलब है कि मुक्तछंद कविताएं सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की देन हैं. कहा जाता है कि काव्य की दुनिया में एक व़क्त ऐसा आया कि कवि छंद पर ज़्यादा ध्यान देने लगे और कविता पर कम. ऐसे में कविता में छंद तो रहा, लेकिन कविता ग़ायब-सी होने लगी. तब निराला मुक्तछंद कविताओं की शुरुआत करके काव्य जगत में नई क्रांति लेकर आए. हालांकि उस व़क्त उनका काफ़ी विरोध भी हुआ, लेकिन उस विरोध का उन पर कोई असर नहीं हुआ. आज भी छंद के पैरोकार मुक्तछंद कविताओं को काव्य मानने से इंकार करते हुए इन्हें गद्य क़रार देते हैं. मगर इस सबके बावजूद मुक्तछंद कविताओं ने एक लंबा सफ़र तय किया है और इनकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन ब़ढती ही जा रही है. मुक्तछंद कविताओं के आए दिन प्रकाशित हो रहे काव्य संग्रह इनकी जनप्रियता के ही प्रतीक हैं.
हाल में शिल्पायन पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स ने चेतन कश्यप का कविता संग्रह चांद के दर पर दस्तक प्रकाशित किया है. अपने नाम की मानिंद इस कविता संग्रह में शामिल तमाम कविताएं मन को छूने की तासीर रखती हैं. इनमें जहां एक ओर ज़िंदगी की जद्दोजहद है और दुख-सुख की धूप-छांव है, तो वहीं दूसरी ओर वहीं इंद्रधनुषी सपनों को हक़ीक़त में बदलने की ललक भी दिखाई प़डती है. चांद के दर तक पहुंचकर दस्तक देने का जज्बा तो चेतन जैसे कवियों में ही हो सकता है. दरअसल, उनकी कविताएं नए मिज़ाज की ऐसी कविताएं हैं, जिन्हें प़ढकर पाठक सोचने पर मजबूर हो जाता है, क्योंकि इनमें शब्दों का सौंदर्य है, तो अनुभूतियों की गहराई भी है. वह बख़ूबी जानते हैं कि अपनी अनुभूतियों को प्रकट करने के लिए उन्हें किन शब्दों का चयन करना है. यह उनकी ख़ासियत है कि उन्होंने आम बोलचाल के शब्दों का इस्तेमाल करते हुए अपनी भावनाओं को बेहद नफ़ासत के साथ कविताओं में ढाला है. उनकी कविता उदासी को ही देखिए-
आधा अधूरा चांद
कुम्हलाया हुआ
दिखता है
क़िले की दीवार से सर टिकाए हुए
ये कोई आईना है
जिसमें मेरा अक्स दिखता है
या ये कोई पाती है
कि जिसमें तुम्हारी ख़बर आती है
यह किसी रचनाकार की सबसे ब़डी कामयाबी है कि पाठक उसकी रचना से सीधे जु़डकर उससे रिश्ता क़ायम कर लेता है. उनकी कविताएं गहरी छाप छो़डती हैं. जैसे-
एक अरसे बाद
दिल ने चाहा
कि दुआ मांगी जाए
आंखें ख़ुद-ब-ख़ुद बंद हो गईं
हाथ ख़ुद-ब-ख़ुद जु़ड गए
और मन ने कहा-
सभी इसी तरह ख़ुश रहें, यूं ही ख़ुश रहें
सदा, सर्वदा
चेतन कश्यप की रचनाएं
पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं. बहरहाल, उनकी कविताएं प़ढकर पाठकों को सुकून की अनुभूति होगी. किताब का आवरण बेहद आकर्षक है.
Adv from Sponsors