page-10इस बार हम बात करेंगे संसदीय विशेषाधिकार के बारे में. कैसे और कब फंसता है संसदीय विशेषाधिकार का पेंच. सबसे पहले एक उदाहरण से इस मामले को समझने की कोशिश करते है. अमेरिका से एटमी डील के दौरान यूपीए सरकार को जब सदन में विश्वास मत हासिल करना था, उसके कुछ घंटे पहले सदन में भारत के संसदीय इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना घटित हुई. भाजपा के तीन सांसदों ने सदन में नोटों की गड्डियां लहराते हुए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर यह आरोप लगाया कि यह नोट उन्हें सरकार के  पक्ष में विश्वास मत के दौरान वोट देने के लिए घूस के  रूप में मिले हैं जिसे एक मीडिया चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन के दौरान अपने कैमरे में कैद कर लिया था और उसे लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी को सौंप दिया था. बाद में कुछ ग़ैर सरकारी संगठनों और लोगों ने जब सूचना के अधिकार के  तहत आवेदन करके वीडियो टेप्स सार्वजनिक करने की मांग की तो लोकसभा ने उन टेप्स को सार्वजनिक करने से मना कर दिया. लोकसभा ने बताया कि वीडियो टेप्स अभी संसदीय समिति के पास हैं और जांच की प्रक्रिया चल रही है. इसलिए जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक इस सूचना के  दिए जाने से धारा 8 (1)(सी) का उल्लंघन होता है. इस धारा में बताया गया है कि ऐसी सूचना जिसके सार्वजनिक किए जाने से संसद या किसी राज्य के  विधानमंडल के विशेषाधिकार का हनन होता है, उसे सूचना के अधिकार के तहत दिए जाने से रोका जा सकता है.
ऐसा ही एक मामला और है जिसमें तत्कालीन केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने महाराष्ट्र के सामान्य प्रशासनिक विभाग से मुख्यमंत्री राहत कोष में मुंबई ट्रेन धमाकों के बाद प्राप्त अनुदानों के  ख़र्चों का ब्यौरा मांगा था. हालांकि सूचना यह कहकर देने से खारिज कर दी गई कि मुख्यमंत्री राहत कोष एक निजी ट्रस्ट है और सूचना क़ानून के दायरे में नहीं आता. जबकि शैलेष का मानना था कि राहत कोष एक पब्लिक बॉडी है और आयकर छूट का लाभ उठाती है. मुख्यमंत्री जनता का सेवक होता है इसलिए इस सूचना के  दिए जाने से विधानमंडल के विशेषाधिकारों का हनन नहीं होता है.
एक मासिक पत्रिका से जुड़े रमेश तिवारी ने उत्तर प्रदेश के स्पीकर और स्टेट असेंबली के सचिव के पास एक आवेदन किया था. आवेदन के  माध्यम से यह जानना चाहा था कि क्या कोई लेजिसलेटर अपने आप से कोई सरकारी ठेका ले सकता है और यदि ऐसा ठेका लिया गया है तो क्या ऐसे सदस्य की असेंबली से सदस्यता रद्द की जा सकती है? असेंबली से रमेश को जब कोई जवाब नहीं मिला तो मामले को वे उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष ले गए. आयोग के तत्कालीन मुख्य सूचना आयुक्त एम ए ख़ान ने स्पीकर और सचिव को सूचना के अधिकार क़ानून के तहत नोटिस जारी कर दिया. नोटिस पाते ही सबसे पहले तो रमेश का आवेदन खारिज कर दिया गया और उसके  बाद असेंबली में एक रेजोल्यूशन पास किया गया जिसके माध्यम से सूचना आयोग को चेतावनी दी गई कि आयोग का इस मामले में कोई लेना देना नहीं है और इस तरह की सूचना मांगे जाने से और आयोग द्वारा नोटिस भेजे जाने से विधानमंडल के विशेषाधिकार का हनन होता है. इसलिए आयोग को आगे से ऐसे मामलों में सावधान रहने की चेतावनी दी गई.
राहुल विभूषण ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड और तीन सांसदों के बीच हुए पत्र व्यवहार की प्रतिलिपि मांगी थी. दरअसल एक पेट्रोल पंप को अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करने के  कारण बंद कर दिया गया था. इस पेट्रोल पंप को दोबारा खुलवाने के लिए तीन सांसदों ने पेट्रोलियम मंत्री को पत्र लिखा था. राहुल ने इस पत्र के जवाब की प्रतिलिपि मांगी थी जिसे यह कहकर देने से मना कर दिया गया कि इसे दिए जाने से संसद के विशेषाधिकारों को हनन होता है. आयोग में सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त ने माना कि सांसद द्वारा लिखे गए पत्र का संसद या संसदीय कार्रवाई से किसी प्रकार का कोई संबंध ही नहीं है और इस सूचना के सार्वजनिक किए जाने से संसद के किसी विशेषाधिकार का कोई हनन नहीं होता है. आयुक्त ने मांगी गई सूचना को 15 दिनों के भीतर आवेदक को सौंपे जाने का आदेश दिया. कुल मिला कर देखें तो ज़्यादातर मामलों में लोक सूचना अधिकारी संसदीय विशेषाधिकार की आड़ में सूचना देने से मना कर देते है जबकि वास्तव में वह मामला संसदीय विशेषाधिकार से जुडा नहीं होता है.
 
आवेदन का प्रारूप
राशन दुकान और राशन की मात्रा से संबंधित आरटीआई
आवेदन.
 
सेवा में,                                  दिनांक-
लोक सूचना अधिकारी
जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी
पता-
विषय :-सूचना का अधिकार कानून 2005 के तहत आवेदन.
महोदय, मैं….(नाम)…(गांव का नाम) का निवासी हूं. मेरा राशन कार्ड संख्या…और राशन दुकान संख्या….हैं. कृपया निम्नलिखित सूचना उपलब्ध कराएं.
मेरे राशन कार्ड पर प्रत्येक महीने जारी किए गए राशन, किरोसीन तेल इत्यादि की मात्रा जो आपके रजिस्टर में दर्ज है, का पूर्ण विवरण निम्न सूचनाओं के साथ उपलब्ध कराएं.
क. महीना.
ख. जारी की गई राशन और किरोसीन तेल की मात्रा
ग.  तारीख, जिस दिन राशन और किरोसीन बांटना था.
2.  राशन दुकान से संबंधित पिछले छह माह का निम्नलिखित ब्यौरों की एक सत्यापित फोटोकॅापी उपलब्ध कराएं.
क. मास्टर कार्ड रजिस्टर
ख. प्रतिदिन की बिक्री का रजिस्टर
ग. डेली स्टॉक रजिस्टर
घ. मासिक स्टॉक रजिस्टर
च. असेसमेंट बुक
छ. कैश मेमो
अभी तक उक्त राशन दुकानदार के ख़िला़फ कितनी शिकायत दर्ज हुई है? उन पर किस तरह की कार्रवाई की गई है? इन शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई का पूर्ण विवरण दे.
मैं दस रुपये का आवेदन शुल्क जमा कर रहा हूं.
भवदीय
नाम-
हस्ताक्षर
पता-

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