mmmmasdnbअक्सर चुनावों के समय यह देखा जाता है कि समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय लोग मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो जाते हैं. ऐसे फिल्म अभिनेता और खिलाड़ियों की सूची लंबी है, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा और चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों में फिल्मी कलाकारों और खिलाड़ियों की पूछ बढ़ जाती है. अमूमन जो फिल्म अभिनेता चुनाव लड़ते हैं, वह अक्सर जीत भी जाते हैं. हालांकि, सरकार गठन के समय राजनीतिक दल फिल्म अभिनेताओं को मंत्री बनाने से परहेज़ करते हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर अभिनेता से नेता बनने वाले सांसदों और विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल क्यों नहीं किया जाता? क्या राजनीतिक पार्टियां चुनावों के दौरान स़िर्फ इनके ग्लैमर का इस्तेमाल करने के लिए इन्हें चुनावी मैदान में उतारती हैं? चुनाव में कई खिलाड़ी और फिल्मी कलाकार प्रचार के समय विभिन्न दलों के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करते नज़र आते हैं.
ग़ौरतलब है कि वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से सर्वाधिक फिल्म अभिनेता और खिलाड़ियों ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. आश्‍चर्य की बात यह है कि स्मृति ईरानी को छोड़कर किसी अन्य को कैबिनेट मंत्री पद नहीं दिया गया है. स्मृति ईरानी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के ख़िलाफ़ अमेठी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ी थीं. वैसे तो वह चुनाव हार गईं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क़रीबी होने की वजह से उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया. कांग्रेस से भाजपा में आए राव इंद्रजीत सिंह गुड़गांव संसदीय सीट से जीत हासिल की. राव इंद्रजीत वर्ष 1990 से 2003 तक भारतीय निशानेबाज़ी टीम का हिस्सा रहे. वह राष्ट्रमंडल खेल में कांस्य पदक भी जीता है. मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार में उन्हें राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है. उल्लेखनीय है कि पिछली कई सरकारों में भी खिलाड़ी और कलाकार चुनाव जीत कर आए और उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया. कांग्रेस के टिकट पर मुरादाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले भारतीय टीम के पूर्व कप्तान अजहरुद्दीन को यूपीए सरकार में कोई पद नहीं दिया गया था. ड्रीमगर्ल के नाम से मशहूर भाजपा सांसद हेमा मालिनी को वर्ष 2003 से 2009 के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने मनोनीत किया था. उसके बाद हेमा मालिनी फरवरी 2004 में आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गईं. वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में हेमा मालिनी ने मथुरा लोकसभा सीट से राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी को लगभग तीन लाख 50 हज़ार वोटों से हराया. उसी तरह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े विनोद खन्ना ने पंजाब के गुरुदासपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल की. विनोद खन्ना पंद्रहवीं लोकसभा में भी सांसद रह चुके हैं. चंडीगढ़ लोकसभा सीट से जीत हासिल करने वाली किरण खेर वर्ष 2009 में भाजपा में शामिल हुईं थीं. इस बार लोकसभा में चुनाव में उन्होंने कांग्रेस नेता और पूर्व रेलमंत्री पवन कुमार बंसल को लगभग एक लाख मतो से पराजित किया. आसनसोल लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़े बाबुल सुप्रियो ने भी 70,480 वोटों से जीत हासिल की. बाबुल सुप्रियो मशहूर गायक भी है. जाने-माने निशानेबाज़ राज्यवर्द्धन सिंह राठौर सितंबर, 2013 में भाजपा से जुड़े. राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से जीत हासिल की. पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आज़ाद भाजपा के टिकट पर दरभंगा लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीत हासिल की. यदि पार्टियां यह कह कर पल्ला झाड़ लें कि ये नए लोग हैं और इनके पास कार्य का कोई अनुभव नहीं है, इसलिए इन्हें मंत्री नहीं बनाया जा सकता है, तो यह समझ से परे है. अगर राजनीतिक दलों की यह दलील है, तो यह सभी नेताओं पर लागू क्यों नहीं होती. मोदी मंत्रिमंडल में कई नए चेहरे शामिल हैं. कीर्ति आज़ाद काफ़ी समय से राजनीति में हैं. हेमा मालिनी के पास भी राजनीति का अच्छा ख़ासा अनुभव है, बावजूद इसके मोदी कैबिनेट में इन्हें जगह नहीं मिली. जब राजनीतिक दलों को कलाकारों और खिलाड़ियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने से परहेज़ है, तो फिर इन्हें चुनाव लड़ाया ही क्यों जाता है
क्सर चुनावों के समय यह देखा जाता है कि समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय लोग मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो जाते हैं. ऐसे फिल्म अभिनेता और खिलाड़ियों की सूची लंबी है, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा और चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों में फिल्मी कलाकारों और खिलाड़ियों की पूछ बढ़ जाती है. अमूमन जो फिल्म अभिनेता चुनाव लड़ते हैं, वह अक्सर जीत भी जाते हैं. हालांकि, सरकार गठन के समय राजनीतिक दल फिल्म अभिनेताओं को मंत्री बनाने से परहेज़ करते हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर अभिनेता से नेता बनने वाले सांसदों और विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल क्यों नहीं किया जाता? क्या राजनीतिक पार्टियां चुनावों के दौरान स़िर्फ इनके ग्लैमर का इस्तेमाल करने के लिए इन्हें चुनावी मैदान में उतारती हैं? चुनाव में कई खिलाड़ी और फिल्मी कलाकार प्रचार के समय विभिन्न दलों के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करते नज़र आते हैं.
ग़ौरतलब है कि वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से सर्वाधिक फिल्म अभिनेता और खिलाड़ियों ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. आश्‍चर्य की बात यह है कि स्मृति ईरानी को छोड़कर किसी अन्य को कैबिनेट मंत्री पद नहीं दिया गया है. स्मृति ईरानी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के ख़िलाफ़ अमेठी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ी थीं. वैसे तो वह चुनाव हार गईं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क़रीबी होने की वजह से उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया. कांग्रेस से भाजपा में आए राव इंद्रजीत सिंह गुड़गांव संसदीय सीट से जीत हासिल की. राव इंद्रजीत वर्ष 1990 से 2003 तक भारतीय निशानेबाज़ी टीम का हिस्सा रहे. वह राष्ट्रमंडल खेल में कांस्य पदक भी जीता है. मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार में उन्हें राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है. उल्लेखनीय है कि पिछली कई सरकारों में भी खिलाड़ी और कलाकार चुनाव जीत कर आए और उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया. कांग्रेस के टिकट पर मुरादाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले भारतीय टीम के पूर्व कप्तान अजहरुद्दीन को यूपीए सरकार में कोई पद नहीं दिया गया था. ड्रीमगर्ल के नाम से मशहूर भाजपा सांसद हेमा मालिनी को वर्ष 2003 से 2009 के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने मनोनीत किया था. उसके बाद हेमा मालिनी फरवरी 2004 में आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गईं. वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में हेमा मालिनी ने मथुरा लोकसभा सीट से राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी को लगभग तीन लाख 50 हज़ार वोटों से हराया. उसी तरह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े विनोद खन्ना ने पंजाब के गुरुदासपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल की. विनोद खन्ना पंद्रहवीं लोकसभा में भी सांसद रह चुके हैं. चंडीगढ़ लोकसभा सीट से जीत हासिल करने वाली किरण खेर वर्ष 2009 में भाजपा में शामिल हुईं थीं. इस बार लोकसभा में चुनाव में उन्होंने कांग्रेस नेता और पूर्व रेलमंत्री पवन कुमार बंसल को लगभग एक लाख मतो से पराजित किया. आसनसोल लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़े बाबुल सुप्रियो ने भी 70,480 वोटों से जीत हासिल की. बाबुल सुप्रियो मशहूर गायक भी है. जाने-माने निशानेबाज़ राज्यवर्द्धन सिंह राठौर सितंबर, 2013 में भाजपा से जुड़े. राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से जीत हासिल की. पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आज़ाद भाजपा के टिकट पर दरभंगा लोकसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीत हासिल की. यदि पार्टियां यह कह कर पल्ला झाड़ लें कि ये नए लोग हैं और इनके पास कार्य का कोई अनुभव नहीं है, इसलिए इन्हें मंत्री नहीं बनाया जा सकता है, तो यह समझ से परे है. अगर राजनीतिक दलों की यह दलील है, तो यह सभी नेताओं पर लागू क्यों नहीं होती. मोदी मंत्रिमंडल में कई नए चेहरे शामिल हैं. कीर्ति आज़ाद काफ़ी समय से राजनीति में हैं. हेमा मालिनी के पास भी राजनीति का अच्छा ख़ासा अनुभव है, बावजूद इसके मोदी कैबिनेट में इन्हें जगह नहीं मिली. जब राजनीतिक दलों को कलाकारों और खिलाड़ियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने से परहेज़ है, तो फिर इन्हें चुनाव लड़ाया ही क्यों जाता है.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here