डॉ सुरेश खैरनार

आज भारत की न्याय व्यवस्था की कितनी छी छी पूरे विश्व में हो रही होगी इस बात का मुझे एक भारतीय नागरिक होने के नाते बहुत दुख और क्षोभ हो रहा है और आज क्या होना था इसका निर्णय 29 नवम्बर 2019 के दिन सर्वोच्च न्यायालय ने मंदिर बनाने के लिए इजाजत देकर इस कोर्ट में चल रहे मामले की सिर्फ खाना पूर्ति चल रही थी जो आज खत्म हो गई !

गत 35 साल पहले एक राजनैतिक दल के और उस दलको जन्म देने वाले संघटन ने जब बाबरी मस्जिद के आंदोलन की शुरुआत की थी तो 90 में बडौदा के एक सावरकर भक्त से दो घंटे से ज्यादा समय मेरी मुलाकात हुई थी और मैने उन्हे साफ कहा कि आप सावरकर के भक्त हो और मैं एक राष्ट्र सेवा दल का सैनिक हूँ आपको बचपन से ही हिंदुत्व घुट्टी में पिलाया गया है और हमे जनतांत्रिक,समाजवादी,सेकुलर,विज्ञानाभिमुख,समाज बनानेका घुट्टी में पिलाया गया है इसलिये अभिकी मुलाकात मे नाही मै आपका विचार परिवर्तन करने आया हूँ और नाही आप मेरा करने हेतू आपने बुलाया नहीं है इसलिए ज्यादा इधर-उधर की बातो मे समय गवाने के बजाय आप ईतिहास पर मराठी सोबत और माणूस इन दोनों पत्रिकाओं में लिखते रहते हो तो 16 वी शतिके शूरूआत मे मिर बकी ने अयोध्या में आकर मस्जिद बनाई तो उसके बाद अभितक कोई बडी कोशिश इस मस्जिद के खिलाफ की गई है क्या ? तो उन्होने कहा कि असल में ऐसी कोई खास बात नहीं हुई है यह सही है! लेकिन 1906 के 30  दिसम्बर  मे मुस्लीम लिग बनी और उसीके प्रतिक्रया में 1915 के एप्रिल मे हिंदू महासभा की स्थापना की गई थी ! और 1885 के दिसम्बर में बनी कोन्ग्रेस के साथ दोनो संगठन मिलजुल कर चल रहे थे इतना कि कोन्ग्रेस अधिवेशन की जगह पर ही साथ साथ हमारे भी अधिवेशन होते थे ! लेकिन 1920 मे लोकमान्य तिलक की म्रुत्युनके पस्च्चात 1915 मे अफ्रीका से हमेशा के लिए भारत आये गाँधी की पकड़ कोन्ग्रेस पर होने लगी और वह दावा करने लगे की भारत के सभी समाजोका प्रतिनिधित्व अकेले कोन्ग्रेस ही करती है ! इससे और खुद अपने आप को सनातनी हिंदू कहाँ करते थे और आश्रमों की स्थापना भारत की राजनीति में प्रथम उह्नोने ही शुरु की और उसमे प्रार्थना,एकादश व्रत,अत्यंत सादगीपूर्ण जीवन तथा कुछ ऐसे काम शुरू कर दिये जो हिंदू धर्म परंपरा में जाति आधारित था वह कोई भी जातीके होनेके बावजूद उसे हर तरह के कामो में लगा दिया यहा तक की ब्राह्मण चमार तथा मेहतर के काम करने लगे थे और हमारी पूरी जमिन ही उन्होने निकाल ली ! हालांकि हमने कोशिशे बहुत की लेकिन हमारी दाल नहीं गली फीर 1925 मे संघ की स्थापना की और मुस्लीम लिग की और डॉ बाबा साहब आंम्बेडकरजी के द्वारा अलग-अलग मतदार संघो की मांग और बादमे पकिस्तान की मांग से हमे भी थोडी-सी ताकत मिली लेकिन गाँधी के सामने हम बहुत ही सामान्य थे !

फिर आजादीके बाद भी हमने कई तरह की कोशिशें की गोहत्या बंदी,रामराज्य परिषद लेकिन गाँधी और बादमे नेहरू के जादु के सामने खास पनप नहीं सके 1974 के जेपी आंदोलन मे भाग लेने के कारण और उन्होने ही जिद कर के जनता पार्टी का गठन यह हमारे लिये सबसे फायदेमंद साबित हुआ फिर दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर 1980 मे हम लोगो ने भारतीय जनता पार्टी नामसे अलग पार्टी बनाने के बाद धीरे-धीरे कुछ कामयाबी मिली लेकिन 1985 मे शाहबानो के मुद्देपर कोन्ग्रेस्ने जो भूमिका बदली वह हमारे लिये संजीवनी साबित हुई सवाल आस्था का है कानून का नही यह नारा हमे ऊसी शाहबानो के मामले से मिला !

और उसी समय रामानंद सागरका रामायण सिरियल दूरदर्शन पर शुरु हुआ और जिस तरह से सिरियल के समय रस्तेपर कोई भी नहीं दिखता था सबके सब टी वी के सामने ! और कहा कहा शादी के मुहर्त में बदल हुआ तो कुछ विधान सभा के सत्र उस समय को छोडकर रखे गए ! सबसे बड़ी बात पूरे देश में इस सिरियल के कारण लोग जिस तरह से अपने आप को तादात्म्य करते हुए दिख रहें थे तो हम लोगो को लगा की क्यो नही अयोध्या में राम मंदिर के आंदोलन को शुरु किया जाय और वह भी सोमनाथ के मंदिर से जो आजादीके बाद तुरंत निर्माण किया था ! यह सब ट्रायल ऐण्ड एरर के बेसपर किया था और हमे लगा नहीं था कि हमे इतनी कामयाबी हासिल होगी !

मैने कहा कि यह सब ठीक है लेकिन वह अखंड भारत का क्या 1940 मे ऐसा कुछ भी नहीं था तो भी जिनाने हिंदू मेजोरिटी भारत मे मुसलमानो को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रखा जायेगा और 1947 मे देश का बटवारे का कारण यही कारण रहा है ! और अब आप मस्जिद की जगह मंदिर बनाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं और इसिके कारण बिहार के भागलपुर में 24 अक्टूबर 1989 को शिला पूजा जुलूस के दौरान दंगा हुआ और 3000 लोग मारे गए 300 से ज्यादा गाव युध्द जैसे बर्बाद हो गये हैं ! तो यही राजनीती आप जारी रखेंगे तो 15 से 20 करोड़ की संख्यामे मुसलमान आज भारत मे रह रहे हैं ! जो बँगला देश और पकिस्तान से ज्यादा है ! इन्हे असुरक्षाके मानसिकता में डालकर आपको ऐसा नहीं लगता है कि वह फिर बटवारे की मांग करेंगे तो किधर से लेकर और एक अलग देश बना कर दोगे क्योकिं डर के साये में कोई भी समाज ज्यादा लंबा समय नही रह सकता है और रहा भी तो समाज स्वास्थ के लिये वह खतरनाक होता है इसलिये बटवारे के बाद भारत में जो मुसलमान रह गये हैं वह आपको अच्छे लगे या ना लगे लेकिन ऊनके साथ रहनेका एक तरीका आपको वीकसित करना पड़ेगा और वह डर दिखाकर नही हो सकता है ! और इस तरह से पुराने इतिहास्के उदहारण लेकर राजनीति करोगे तो फिर मुल वासि असली कौन है यह भी शूरू होने कीसम्भावना है और इस तरह की बातों को तूल दिया गया तो 2500 साल पहले के बौद्दो और जैन मंदिर तोडकर कई हिंदू मंदिर बनाने का काम किया है और यह संख्या मस्जिदें से ज्यादा है ! एक जमानेका कलिंग जो आज ओरिसा,बिहार,झारखंड और छत्तीस गढ़ के भी कई पुराने मंदिर विवादग्रस्त होनेकी सम्भावना है ! और इतिहास में हर कोई हमलावर होता है वह शत्रु पक्ष की श्रद्दा के स्थलों सबसे पहले हाथ लगाता है ! और यह दुनियाके हर हमलावरने किया है और इस काम में हिंदू भी पिछे नहीं रहे यह बात आप गौर करें !लेकिन वह तो बस पहले तो हमे दिल्ली तक पाहूचने दो बाद में देखा जायेगा ! यह महाशय गुजरात के हिन्दुत्व वादियोके मार्ग दर्शन करने वाले लोगों से एक महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले है !

बाबरी मस्जिद के विध्वंस के लिए कितने षड्यंत्र और कोशिशे की गयी है यह 30 साल के इतिहास में झाककर देखनेसे पता चल जायेगा हालाकि इसके ऊपर दर्जनो सहित्य लिखा गया है !

इसलिये 2300 पन्नो के जज्मेंट की जरुरत नहीं है 23 शब्द पर्याप्त हैं !1984-85 के जलगाव और भिवन्डी के दंगोकी इन्क्वायरी के लिए जस्टिस मादान कमिशन नियुक्त किया था और मेरे अपने इस विषय पर के अध्ययन में यह एक मात्र दंगेका रिपोर्ट है जो साफ साफ लिखा है कि दंगेमे डायरेक कौन इन्वॉल थे वह बात दीगर है लेकिन इन लोगों को उकसाने वाले कौन थे और वह सन्घके लोगों का काम रहा है ! और वह असली गुनाहगारों में आते हैं ! शायद हमारे देश के अबतक के दंगोमे यह पहला रिपोर्ट होगा जो पते की बात लिख कर रखा है !

इसीतरह बाबरी मस्जिद के विध्वंस में  कौनसे हाथ रंगे है कि जगह 1990 के सोमनाथ से रथ पर सवार होकर और अपना मंदिर वही बनायेंगे,सवाल आस्था का है कानून का नही यह नारे लगाते हुए देशभर माहौल पैदा करने वाले चेहरे किसी बच्चे से भी छुपे नहीं है जो बच्चे अब 40-45 के जिम्मेदार नागरिक बन गये हैं और इनमेसे कुछ संसद,विधान सभा में बैठे हुए है और उनमेसे कुछ मुख्यमंत्री,राज्यपाल,न्यायमूर्ति,पुलिस-प्रशासन में जिम्मेदार पदोपर बैठे हुए हैं और कुछ बैठाये जा रहे हैं !

6 दिसंबर 1992 के वीडियो,फोटो सिल नहीं है! फलनी प्रक्रिया किये बिना चार्जशीट नहीं है और दुनिया भरकी गल्तियां गिनाकर 2300 पन्ने जाया करके यह सब नौटंकी करने की जरूरत क्या थी ? 7 या 8 दिसंबर 1992 को ही मामला रफा दफा कर देना था ! 28 सालों के बाद लगा कि इन सब लोगों को हम निर्दोष घोषित करते हैं !
गुजरात दंगों के लिए भी एक नानावटी कमिशन नियुक्त किया गया था और मुझे मुकुल सिन्हा जी के कारण 5-6 बार उस कमिशन में जानेका मौका मिला है ! और उस कार्य प्रणाली को देखकर मैने मुकुल भाई को कहा भी कि आप बेमतलब अपना समय बर्बाद कर रहे हैं ! इस बन्देने तय कर लिया है कि नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी जाय तो मुकुल भाई मुझेबोले की यह बात मुझे भी मालुम है लेकिन मै नरेंद्र मोदी जी को प्रधान मंत्री बननेके समय को लंबा करनेकी कोशिश कर रहा हूँ ! लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधान-मंत्री बननेके दो दिन पहले मुकुल सिन्हा छातिके कैसंर से इस दुनिया को छोड़कर चले गये !

न्याय व्यवस्था की क्षरण की सबसे पहले शुरुआत नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री काल में शूरू होकर वह अब अगर प्रधान-मंत्री पदपर पहुच गए हैं तो कोई भी संविधानीक संस्था अपना काम स्वतंत्रतासे कर ही नही सकती हैं और 29 नवंबर 2019 और 30 सितम्बर 2020 का लखनऊ स्पेशल कोर्ट का फैसला मुझे तो रत्तीभर भी विश्वास नहीं था कि कोई अलग निर्णय आयेगा !

अब इस तरह के माहौल में 30-35 करोड की आबादी मानसिक रूप से असुरक्षाके मानसिकता में जाना जो मेरे जैसे सामान्य कर्यक्ररता का गिनकर 30 साल से भी अधिक समय से इसी विषयपर काम कर रहे होने के कारण मेरी चिंता की बात है कि एक इतनी बड़ी आबादी अपने आप को आयसोलेशन फिल करे तो कितना भयावह लगता है !

और संघ परिवार मध्य धारा में शामिल हो की बच्चे जैसा रट लगाए जा रहे हैं एक तो ये लोग बिल्कुल ही बुद्धि हीन हैं या बहुत छठे हुये बदमाश है कि इतनी बड़ी अबादिको गत 95 सालोसे लगातार असुरक्षा की भावना से ग्रसित करने का काम कर रहे हैं ! एक तरफ प्रधान-मंत्री लाल किले से चिल्ला-चिल्ला कर 135 करोड़ टिम इंडिया बोलकर सबका साथ सबका विकास के लिए अपील करते है और बाबरी मस्जिद के जैसे गडे मुडदो को लेकर जो राजनीती कर रहे हैं वह देश की एकता-अखंडता खतरे में डालने का काम कर रहे हैं और चले दूसरोको देशद्रोही बोलनेवाले !

असली देशद्रोह तो इतनी विविधता वाले देश के हर नागरिक कि बगैर किसी भेदभाव से सुरक्षा और सम्मान पूर्वक जीने की गारन्टी और इतना-सा भी देना संभव नहीं है तो 25 जून 1975 के दिन रामलीला मैदान से जेपिने एलान किया था कि सिहासन खाली करो कि जनता आती है !
डॉ सुरेश खैरनार 1अक्तूबर 2020,नागपुर

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