मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में करीब 164 साल पुराने अयोध्या मामले की आखिरी सुनवाई शुरू हुई. चीफ जस्टिस की अगुआई में दो मजहबों के तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. ये जज हैं- चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अब्दुल नाजिर और जस्टिस अशोक भूषण. दोपहर 2 बजे कोर्ट नं. 1 में सुनवाई शुरू हुई. इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल और राजीव धवन हैं, वहीं रामलला का पक्ष हरीश साल्वे रख रहे हैं.

गौरतलब है कि 7 साल पहले इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट फैसला सुना चुका है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था. अदालत ने रामलला की मूर्ति वाली जगह रामलला विराजमान को, सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को और बाकी हिस्सा मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया था.

इस फैसले के खिलाफ सुन्नी वक्फ बोर्ड 14 दिसंबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. उसके बाद इससे जुड़े 20 पिटीशन्स दाखिल हुए. 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया, लेकिन सुनवाई शुरू नहीं हो सकी. तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने इस साल 11 अगस्त को पहली बार पिटीशन्स लिस्ट की. लेकिन पहले ही दिन डॉक्युमेंट्स के ट्रांसलेशन को लेकर मामला फंस गया. कोर्ट ने 12 हफ्ते का वक्त दिया, ताकि संस्कृत, पाली, फारसी, उर्दू और अरबी समेत 7 भाषाओं में 9 हजार पन्नों का अंग्रेजी में ट्रांसलेशन किया जा सके. अब शुरू हो चुकी सुनवाई टलेगी नहीं, इस मामले में पहले ऑरिजनल टाइटल सूट दाखिल करने वाले अपनी दलीलें रखेंगे, फिर बाकी अर्जियों पर बात होगी.

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