विरोध और बगावती सुर के कारण गुजरात में भाजपा को नामांकन के आखिरी दिन उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी करनी पड़ी. लेकिन 34 प्रत्याशियों की इस सूची में वो नाम नहीं दिखा, जिसके लिए लोगों को इस सूची का बेसब्री से इंतजार था. हम बात कर रहे हैं गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की, जिन्होंने पटेल और दलित आंदोलनों के बाद अपना इस्तीफा सौंप दिया था. वो जिस घाटलोडिया सीट से विधायक थीं, वहां से भूपेंद्र पटेल को टिकट दे दिया गया.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के साथ भी ऐसा ही हुआ था. 2001 में गुजरात भूकंप के बाद केशुभाई ने सेहत का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनपर सरकार चलाने में विफल होने, सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार जैसे आरोप लगे थे. उनकी जगह नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई. उसके बाद हुए 2002 के विधानसभा चुनाव में केशुभाई पटेल को टिकट नहीं दिया गया.

गौरतलब है कि आनंदीबेन पटेल ने भी अगस्त 2016 में सीएम पद से इस्तीफा देते समय उम्र का हवाला दिया था. पिछले महीने खबर आई थी कि आनंदीबेन ने पार्टी प्रमुख को पत्र लिखकर चुनाव न लड़ने की इच्छा जताई है और घाटलोडिया सीट पर योग्य उम्मीदवार को टिकट देने को कहा है. हालांकि हाल ही में उन्होंने इस बात के संकेत दिए थे कि अगर पार्टी कहती है, तो वे चुनाव लड़ने पर विचार कर सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि घाटलोडिया सीट हो या कोई और इस बात का फैसला पार्टी नेतृत्व और प्रतिनिधिमंडल ही करेगा कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा. लेकिन सोमवार को हुए 34 प्रत्याशियों के फैसले से यह साफ हो गया कि आनंदीबेन पटेल घाटलोडिया सीट तो क्या कुल 182 में से किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ेंगी.

इस अंतिम सूची में भाजपा की एक पूर्व मंत्री रजनी पटेल को टिकट दिया गया है, वहीं पूर्व मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर होम गोर्धन जदाफिया का नाम इस सूची में नहीं है. इस अंतिम सूची के जारी होने के साथ ही भाजपा अपने सभी 182 सीटों के लिए नामों की घोषणा कर चुकी है. पूरे 182 उम्मीदवारों में से भाजपा ने 12 एससी, 28 एसटी, 52 पाटीदार और 61 ओबीसी प्रत्याशियों को टिकट दिया है.

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