उसकी ये आदत बहुत पुरानी थी कि जाते हुए वो कभी पीछे पलटकर नहीं देखती थी। लेकिन,  मेरी आदत ऐसी कि जाते हुए जब तक वो नज़र से ओझल न हो जाये मैं उसे एकटक देखता रहता! आखिरी बार वो जब मुझसे मिली थी तो अपना शादी का कार्ड लेकर आई थी। उसके साथ उसकी एक सहेली भी थी।

उसने मेरा हाथ पकड़ कर जोर देते हुए कहा कि तुम्हें आना है मेरी शादी में। मैंने हौले से कहा था कि जरूर आऊँगा। मैं गया भी। लेकिन, पूरे कार्यक्रम के दौरान मैंने खुद को उसकी नज़र से बचाकर रखा। फिर चुपके से खाने के बाद वहाँ से निकल गया।

कई दिनों बाद उसका एक मैसेज मिला- मैं जानती थी कि तुम नहीं आओगे मेरी शादी में। मैंने बस यही लिखा कि गुलाबी शेरवानी में तुम्हारा दुल्हा बहुत डैशिंग लग रहा था, बधाई! उसके बाद मैंने उसके किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। बारह साल बाद वो फेसबुक पर मिली। ज़ाहिर है कुछ बातें भी हुई। वो मेरे सैकड़ों फेसबुक पोस्ट् पढ़ चुकी थी। इस बीच मैंने अनुभव किया कि अब वो थोड़ी बदल गई है। जाते हुए कभी मुड़कर पीछे न देखने वाली वो लड़की अब पलटकर देखना चाहती है?

एक प्रेमी की डायरी से चुनकर कुछ पन्ने हम आपके लिए लाते रहेंगे!

“हीरेंद्र झा”

Adv from Sponsors