राहुल गांधी उन भारतीय नेताओं में सबसे आगे हैं, जिनकी बुद्धिमता पर सबसे ज्यादा सवाल खड़े किए जाते हैं. लोग उनपर चुटकुले बनाते हैं, उनकी भाषण शैली का बजाक बनाया जाता है. लेकिन राहुल गांधी का नया अवतार उन्हें उस पुरानी पहचान से अलग करता है. वर्तमान के चुनावी अभियान में राहुल गांधी जिस रूप में नजर आ रहे हैं, वो प्रभावी है.
हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष इंदौर में प्रदेश के चुनिंदा संपादकों/पत्रकारों से मिले थे. इस मीटिंग के बाद कई पत्रकारों ने खुले मन से स्वीकार किया कि राहुल गांधी अब पहले जैसे नहीं रहे, एक नेता की तमाम बारिकियां उनमें विकसित हो गई हैं.
उस मीटिंग में शामिल होने के बाद वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिन्दुस्तानी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इंदौर में राहुल गांधी से मिलकर लगा कि वे कुटिल भले ही नहीं हो, लेकिन परिपक्व तो हो ही गए हैं. आक्रामक!बेबाक और बेलौस स्वीकारोक्तियां, जुबान से डंक मारने की कला सीखने के विद्यार्थी, लेकिन संवेदनशील.
राहुल गांधी को लेकर कुछ इस तरह का इम्प्रैशन प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और दैनिक एल एन स्टार के संपादक प्रकाश भटनागर का भी है, जिनका कहना है कि अतीत के तमाम प्रहसनों को पीछे छोड़कर गांधी ने अब वाकई किसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे तेवर हासिल कर लिए हैं.वरिष्ठ पत्रकार रिज़वान अहमद सिद्दीक़ी कहते हैं कि राहुल गांधी के बारे में जिस तरह के दुष्प्रचार होते रहे हैं, उनसे रूबरू हुए तो ज्यादातर सम्पादकों के अनुभव उससे बिल्कुल विपरीत रहे.
संपादकों के साथ मुलाक़ात में राहुल गांधी से सवाल पूछे गए, जिसका उन्होंने सधे हुए तरीके से जवाब दिया, जबकि सवाल फिक्स नहीं थे. इस दौरान वे खुद को और अपनी राजनीति को भी खोलते नजर आए.
हिंदू, और हिन्दुत्व के बीच मोटी लकीर खींचते हुए उन्होंने कहा कि ‘हिंदू, हिन्दूवादी और हिंदुत्व अलग-अलग हैं, मैं हिंदुत्व नहीं हिंदूवाद का पक्षधर हूं, हिंदूवाद एक महान परंपरा है जो सबको लेकर चलती है, सबकी सुनता और सबका आदर करता हूं, मैं हिन्दू हूं, लेकिन सभी धर्म का आदर करता हूं, मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा आदि सभी जगह जाता हूं.
मैं हिंदूवादी नेता नहीं, बल्कि हर धर्म और हर वर्ग का नेता हूं.’ इस दौरान जब राहुल गांधी से एक पत्रकार ने पूछा कि आपको भाजपा वाले पप्पू क्यों कहते हैं, राहुल गांधी का जवाब था कि ‘मैं शिवभक्त हूं शंकर जी का दूसरा नाम भोले नाथ है और मैं भला और भोला हूं. ’