जिस देश के पर्यटन मंत्रालय का टैगलाइन ही अतिथि जिदेवो भव: हो और जहां की अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग का योगदान छह प्रतिशत तक का हो, वहां अगर अतिथि आने में कतराने लगें, तो ये देश के लिए चिंता की बात होनी चाहिए. विदेशी सैलानियों को भारत हमेशा से आकर्षित करता रहा है.
लेकिन पर्यटन मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि 2013 के मुकाबले 2015 में भारत आने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या में तेजी से कमी आई है. गौर करने वाली बात ये है कि जिन देशों से आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आई है, उनमें से ज्यादातर देश ऐसे हैं, जहां भारतीय पर्यटन मंत्रालय के कार्यालय हैं. देश के बाहर 14 शहरों, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिलिस, टोरंटो, फ्रेंकफर्ट, मिलान, एम्सटरडम, पेरिस, लंदन, दुबई, जोहानिसबर्ग, टोक्यो, बीजिंग, सिडनी और सिंगापुर के ये कार्यालय, वहां भारतीय पर्यटन मंत्रालय के प्रचार-प्रसार के लिए काम करते हैं.
पर्यटन मंत्रायल के इन विदेशी कार्यालयों के योगदान को इस बात से समझा जा सकता है कि 2013 के मुकाबले 2015 में फ्रांस से आने वाले पर्यटकों की संख्या 2,48,379 से घटकर 2,30,854 हो गई. सिर्फ फ्रांस ही नहीं, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, यूनान, स्विटजरलैंड और स्वीडन जैसे संपन्न यूरोपीय देशों से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या भी तेजी से घटी है.
दक्षिण अफ्रिका से आने वाले पर्यटकों की संख्या में तो 2013 के मुकाबले 2015 में 10.51 प्रतिशत की कमी आई है. विदेशों में पर्यटन मंत्रालय के जरिए प्रचार-प्रसार के बाद भी सैलानियों की संख्या में आ रही कमी को देखते हुए सरकार इन कार्यालयों को बंद करने पर विचार कर रही है. नीति आयोग ने इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के बाहर 14 शहरों में स्थित पर्यटन मंत्रालय के इन कार्यालयों का कोई फायदा देखने को नहीं मिल रहा है. भारत आने के लिए विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के अपने काम में ये कार्यालय असफल होते दिख रहे हैं. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि पर्यटन के मामले में भारत के प्रचार-प्रसार में उन कार्यालयों द्वारा किया जाने वाला खर्च व्यर्थ जा रहा है. इसलिए इन्हें बंद कर देना चाहिए.
हालांकि, ये भी सच है कि प्रचार का सकारात्मक परिणाम तभी सामने आएगा जब उसका कोई आधार हो. पर्यटन मंत्रालय का पैसा बचाने के लिए विदेशों के कार्यालयों को बंद करने पर विचार कर रही सरकार, भारत में पर्यटकों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान देती नहीं दिख रही है. कई रिपोर्टस में ये बात खुलकर सामने आ चुकी है कि भारत में विदेशी पर्यटक खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते.
आए दिन विदेशी पर्यटकों के साथ हिंसा, छिना-झपटी और महिला पर्यटकों के साथ बलात्कार की भी घटनाएं सामने आती हैं. दिल्ली के दामिनी प्रकरण के बाद विदेशी महिला पर्यटकों की घटती संख्या को देखते हुए केंद्र की नई सरकार ने तमाम जरूरी कदम उठाने की बात कही थी. फरवरी 2014 में पर्यटन मंत्रालय से सम्बंधित संसदीय समिति ने मंत्रालय को स्पष्ट निर्देश दिया था कि भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की सुख-सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाय.
साथ ही महिला पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाए जाएं. उस समय संसदीय समिति ने विदेशी पर्यटकों की संख्या में हो रही कमी को रोकने के लिए कई व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का सुझाव भी दिया था. संसदीय समिति ने पर्यटन उद्योग में लगे लोगों में कुशलता की कमी, तमाम पर्यटन स्थलों पर विदेशी पर्यटकों के ठहरने में होने वाली असुविधा, पर्यटकों के साथ छेड़छाड़, हिंसा की घटनाएं और पर्यटन स्थलों की गंदगी जैसी समस्याओं को जल्द से जल्द दूर करने को कहा था.
इसके बाद पर्यटन मंत्रालय ने तमाम पर्यटक स्थलों पर टुरिस्ट पुलिस की तैनाती की बात कही थी. लेकिन सरकार का वो कदम भी बहुत प्रभावी नहीं हुआ. अब तक सिर्फ 13 राज्यों ने ही सरकार के उस आदेश पर अमल किया है. आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, मध्य प्रदेश और ओ़डीशा में ही पर्यटक स्थलों पर ही टुरिस्ट पुलिस की तैनाती की जा सकी है.
भारत को विदेशी पर्यटकों के लिए पहली पसंद बनाना तो दूर की बात है, पर्यटन मंत्रालय की नई गाइडलाइंस उनके लिए समस्या बन रही हैं. किसी और सभ्यता-संस्कृति को जीने वाले लोगों के लिए चंद दिनों के टूर में दूसरे देश के रहन-सहन को अपनाना मुश्किल भरा काम है.
अगस्त 2016 में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने आगरा में पर्टयकों के लिए एक बुकलेट जारी किया था. विदेशी पर्यटकों के लिए ‘क्या करें-क्या न करें’ के सुझाव वाले उस बुकलेट की बातों का हवाला देते हुए महेश शर्मा ने कहा था कि भारत आने वालीं विदेशी महिला पर्यटक स्कर्ट या अन्य छोटे कपड़े नहीं पहनें और वे रात में अकेले बाहर निकलने से परहेज करें.
हालांकि जब महेश शर्मा को लगा कि उनके बयान और इस बुकलेट पर विवाद हो सकता है, तो उन्होंने कहा कि कपड़ों को लेकर उन्होंने किसी तरह के दिशानिर्देश जारी नहीं किए हैं. भले ही मंत्री जी ने इससे सम्बंधित बयान से पीछा छुड़ा लिया, लेकिन वो बुकलेट अब भारत आने वाले सभी पर्यटकों को दिया जाता है और उसके दिशा-निर्देशों को मानने की बात कही जाती है.
विदेशी पर्यटकों के लिए सुरक्षा तंत्र बहाल कर पाने में नाकाम भारत सरकार के द्वारा उनके पहनावे और संस्कृति पर बंदिश लगाना भी एक महत्वपूर्ण कारण है, भारत से विदेशी पर्यटकों के दुराव का. 2015 में आई एसोचैम की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के कई महत्त्वपूर्ण देशों में ब़ढती आतंक की घटनाओं के कारण विदेशी सैलानी अब भारत का रुख कर रहे हैं. लेकिन अब भारत से भी विदेशी पर्यटकों की दूरी, भारत सरकार के लिए चिंता का विषय है.